जयपुर. एक तरफ जहां अंगदान कर लोगों का जीवन बचाने की मुहिम जोर पकड़ रही है. वहीं, दूसरी तरफ जयपुर में मानव अंगों की खरीद-फरोख्त और तस्करी के काले कारनामे का खुलासा हुआ है. इस खुलासे के बाद राजस्थान की राजधानी जयपुर से लेकर पश्चिम बंगाल और सीमा पार बांग्लादेश तक हड़कंप मचा हुआ है. मामले की आंच कई सफेदपोश लोगों तक भी पहुंच सकती है. मानव अंगों के प्रत्यारोपण में फर्जीवाड़ा और घूस लेकर फर्जी एनओसी जारी करने की शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) तक पहुंची, तो सबसे पहले एसीबी ने सवाई मानसिंह अस्पताल के सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह और दो निजी अस्पतालों के को-ऑर्डिनेटर विनोद सिंह और गिर्राज शर्मा को गिरफ्तार किया था.
इसके बाद हरियाणा की गुरुग्राम पुलिस ने भी एक गिरोह का खुलासा किया, जो अंग प्रत्यारोपण के मामले में सीमापार बांग्लादेश से डोनर लाता था और उन्हें रुपए देकर उनकी किडनी और दूसरे अंग निकाले जाते थे. इस खुलासे के बाद राजस्थान पुलिस मानव अंगों की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह से जुड़े बंदलादेशी नागरिक नुरुल इस्लाम, मेहंदी हसन शमीम, मोहम्मद अहसानुल कोबीर और मोहम्मद आजाद हुसैन को गिरफ्तार कर लिया है. इस गिरोह से तार जुड़े होने की जानकारी मिलने पर पुलिस ने गौरव सिंह, विनोद सिंह और गिर्राज शर्मा को भी गिरफ्तार कर लिया, जो पहले एसीबी के हत्थे चढ़े थे.
अंग तस्करी करने वालों से करार : पुलिस ने इस पूरे मामले में जांच आगे बढ़ाई तो सामने आया कि जयपुर के एक निजी अस्पताल ने एक कंपनी से करार किया हुआ था. यह कंपनी मानव अंग प्रत्यारोपण के लिए डोनर और रिसिपिएंट लाती थी. गहनता से जांच हुई तो सामने आया कि इस कंपनी के निदेशक और कर्मचारी लोगों के साथ धोखाधड़ी करने, मानव अंगों की खरीद-फरोख्त करने और तस्करी के काले धंधे से जुड़े हुए थे. इस कंपनी का निदेशक और एक अन्य अब पुलिस की गिरफ्त में है.
पूछताछ में हो सकते हैं बड़े खुलासे : कंपनी निदेशक और दूसरे आरोपी से पुलिस की पूछताछ जारी है. अब पहले पकड़े गए सात आरोपियों और कंपनी के निदेशक और कर्मचारी से आमने-सामने पूछताछ होगी. इसमें कई अहम खुलासे होने की संभावना है. माना जा रहा है कि इस मामले की आंच कई सफेदपोश लोगों तक भी पहुंच सकती है. पुलिस की जांच अब इस दिशा में भी आगे बढ़ रही है कि डोनर से लेकर जिन लोगों को अंग प्रत्यारोपित किए गए थे. वे वाकई में वही लोग हैं, जिनका नाम सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है, या फिर ऐसा भी हुआ होगा कि सरकारी खाते में नाम किसी और का है और अंग प्रत्यारोपण किसी और व्यक्ति का किया गया.
तीन अस्पतालों के अनुमति पत्र निरस्त : राजस्थान में 13 अस्पताल ऐसे हैं, जहां अंग प्रत्यारोपण होता है. इसके लिए बाकायदा इन्हें अनुमति पत्र जारी किया गया है, लेकिन इस मामले का खुलासा होने के बाद फोर्टिस अस्पताल, ईएचसीसी और मणिपाल अस्पताल का अंग प्रत्यारोपण संबंधी अनुमति पत्र निरस्त कर दिया है, जबकि बाकि अन्य अस्पतालों के खिलाफ भी जांच जारी है. दूसरी तरफ सवाई मानसिंह अस्पताल के कई जिम्मेदार डॉक्टर्स को भी इस मामले में नोटिस मिले हैं. अब देखना यह होगा कि मानव अंगों की खरीद-फरोख्त और तस्करी से जुड़े इस मामले की जांच में किन बड़े चेहरों के नाम उजागर होते हैं.