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कानपुर में बनेगा टिश्यू कल्चर लैब, किसानों के लिए फायदेमंद - Tissue Culture Lab

केंद्रीय मंत्री ने एनएसआई में टिश्यू कल्चर लैब का किया शिलान्यास, टिश्यू कल्चर विधि से चार हजार हेक्टेयर में बीज उगा सकेंगे

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

एनसआई के स्थापना दिवस समारोह पर किसानों व शुगर के क्षेत्र में बेहतर काम करने वालों को सम्मानित करती केंद्रीय राज्य मंत्री निमुबेन जयंतीभाई बांभणिया.
एनसआई के स्थापना दिवस समारोह पर किसानों व शुगर के क्षेत्र में बेहतर काम करने वालों को सम्मानित करती केंद्रीय राज्य मंत्री निमुबेन जयंतीभाई बांभणिया. (Etv Bharat)

कानपुर: शहर के कल्याणपुर थाना क्षेत्र स्थित राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में शुक्रवार को संस्थान के 89वें स्थापना दिवस पर पहुंची केंद्रीय राज्य मंत्री (उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय) निमुबेन जयंतीभाई बांभणिया ने ढाई करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाली टिश्यू कल्चर लैब का तोहफा दिया.

संस्थान के विशेषज्ञों का कहना है कि इस लैब की मदद से अब गन्ने की फसल को तैयार करना बहुत आसान हो जाएगा. लैब द्वारा बंपर बीज उत्पादन की दिशा में कवायद होगी. जबकि अभी तक किसान परंपरागत तरीके से 5 साल में 150 हेक्टेयर एरिया में गन्ना उगाते थे. लेकिन टिश्यू कल्चर विधि से यह एरिया उक्त अवधि में चार हजार हेक्टेयर तक बढ़ जाएगा. कार्यक्रम के दौरान शर्करा के क्षेत्र में बेहतर काम करने वालों को जहां सम्मानित किया गया. वहीं, बेहतर गन्ना उत्पादक वाले किसानों को भी मंच पर केंद्रीय मंत्री ने सम्मानित कर उनका हौसला बढ़ाया. कार्यक्रम में संस्थान की निदेशक डॉ.सीमा परोहा, अखिलेश पांडेय, डॉ. अशोक कुमार आदि अन्य प्रशासनिक अफसर मौजूद रहे.

केंद्रीय राज्यमंत्री निमुबेन जयंतीभाई बांभणिया. (Video Credit; ETV Bharat)

238 वैरायटी में लग गया लाल सड़न रोग: कार्यक्रम के दौरान संस्थान के विशेषज्ञों ने कहा कि गन्ने की जो नोबल प्रजाति दुनिया भर में जानी जाती रही है, वह 238 वैरायटी है. हालांकि, साल 2014 से यह वैरायटी उप्र, पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों से धीरे-धीरे विलुप्त सी हो रही है. इसका एक बड़ा कारण है, इस वैरायटी में लाल सड़न रोग का लगना. जिसे गन्ने का कैंसर कहा जाता है. विशेषज्ञों ने कहा कि अब हमें इस वैरायटी के स्थान पर अन्य वैरायटी को तैयार करना है. जिससे अधिक से अधिक किसानों को लाभ मिल सके.

बता दें कि अभी भारत में 52 लाख हेक्टेयर में गन्ने की फसल होती है. जबकि उत्तर प्रदेश में 22.5 लाख हेक्टेयर में (करीब 46 प्रतिशत) गन्ने की खेती होती है. किसान को औसतन 14 से 15 रुपये गन्ने के एक पौधे की कीमत चुकानी पड़ती है. एक हेक्टेयर में 25 से 35 हजार पौधे तैयार होते हैं.

इसे भी पढ़ें-चीनी मिलों के दूषित पानी से एनएसआई में बनेगा गन्ना जल, जल्द होगा चीनी मिल से करार

कानपुर: शहर के कल्याणपुर थाना क्षेत्र स्थित राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में शुक्रवार को संस्थान के 89वें स्थापना दिवस पर पहुंची केंद्रीय राज्य मंत्री (उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय) निमुबेन जयंतीभाई बांभणिया ने ढाई करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाली टिश्यू कल्चर लैब का तोहफा दिया.

संस्थान के विशेषज्ञों का कहना है कि इस लैब की मदद से अब गन्ने की फसल को तैयार करना बहुत आसान हो जाएगा. लैब द्वारा बंपर बीज उत्पादन की दिशा में कवायद होगी. जबकि अभी तक किसान परंपरागत तरीके से 5 साल में 150 हेक्टेयर एरिया में गन्ना उगाते थे. लेकिन टिश्यू कल्चर विधि से यह एरिया उक्त अवधि में चार हजार हेक्टेयर तक बढ़ जाएगा. कार्यक्रम के दौरान शर्करा के क्षेत्र में बेहतर काम करने वालों को जहां सम्मानित किया गया. वहीं, बेहतर गन्ना उत्पादक वाले किसानों को भी मंच पर केंद्रीय मंत्री ने सम्मानित कर उनका हौसला बढ़ाया. कार्यक्रम में संस्थान की निदेशक डॉ.सीमा परोहा, अखिलेश पांडेय, डॉ. अशोक कुमार आदि अन्य प्रशासनिक अफसर मौजूद रहे.

केंद्रीय राज्यमंत्री निमुबेन जयंतीभाई बांभणिया. (Video Credit; ETV Bharat)

238 वैरायटी में लग गया लाल सड़न रोग: कार्यक्रम के दौरान संस्थान के विशेषज्ञों ने कहा कि गन्ने की जो नोबल प्रजाति दुनिया भर में जानी जाती रही है, वह 238 वैरायटी है. हालांकि, साल 2014 से यह वैरायटी उप्र, पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों से धीरे-धीरे विलुप्त सी हो रही है. इसका एक बड़ा कारण है, इस वैरायटी में लाल सड़न रोग का लगना. जिसे गन्ने का कैंसर कहा जाता है. विशेषज्ञों ने कहा कि अब हमें इस वैरायटी के स्थान पर अन्य वैरायटी को तैयार करना है. जिससे अधिक से अधिक किसानों को लाभ मिल सके.

बता दें कि अभी भारत में 52 लाख हेक्टेयर में गन्ने की फसल होती है. जबकि उत्तर प्रदेश में 22.5 लाख हेक्टेयर में (करीब 46 प्रतिशत) गन्ने की खेती होती है. किसान को औसतन 14 से 15 रुपये गन्ने के एक पौधे की कीमत चुकानी पड़ती है. एक हेक्टेयर में 25 से 35 हजार पौधे तैयार होते हैं.

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