नई दिल्ली: भारत में दीपावली केवल एक पर्व ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति की पहचान है. इस पहचान को बच्चों में उजागर करना बेहद जरूरी है. बच्चों में परवरिश और संस्कार देने में माता पिता की अहम भूमिका होती है. वहीं, स्कूल में पढ़ने वाले नन्हें बच्चों में संस्कारों की नींव डालने में शिक्षकों का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है. राजधानी के तमाम प्री स्कूलों में छोटे बच्चों को दिवाली के महत्व और सुरक्षा के बिंदुओं को समझाने के लिए, प्री फेस्टिवल का आयोजन किया जा गया.
ऐसा ही एक कार्यक्रम पश्चिमी दिल्ली में जनकपुरी स्थित बच्चों के स्कूल में किया गया. इसमें बच्चों ने एक्टिविटी के माध्यम से दिवाली के दिन सुरक्षा को ध्यान में रखे जाने वाले कामों की जानकारी दी गई. नन्हें हाथोंं ने तख्ती पर लिख कर बताया कि इको फ्रेंडली दिवाली मनाना चाहिए, पटाखे नहीं जलाने चाहिए. मां लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए. वहीं बच्चों ने रामायण के संदेश को भी सुनाया. इन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में बॉलिवुड फिल्मों के धार्मिक गानों पर भी डांस किया गया.
स्कूल की प्रिंसिपल का मानना है कि स्कूल आने वाले सभी बच्चों के अंदर भारत में मनाए जाने वाले हर तीज त्यौहार की पूर्ण जानकारी होनी जरूरी है. अभी कुछ दिन पहले दशहरा फेस्टिवल सेलिब्रेट किया गया. वहीं अब दिवाली के उपलक्ष्य में फेस्टिवल सेलिब्रेशन का आयोजन किया गया. इसमें बच्चों ने भजन प्रस्तुत किया. इसका उद्देश्य बच्चों को भारतीय संस्कृति के साथ जोड़ना है. वहीं, रामायण में श्री राम की वनवास यात्रा के लेकर राज्याभिषेक तक का वर्णन किया गया.
उन्होंने बताया कि केवल विद्यालय ही एक मात्र ऐसा स्थान हैं जहां सभी धर्म और वर्ग एक हैं. यहां एक हिंदू बच्चा ईद भी मनाता है और एक मुस्लिम बच्चा दिवाली सेलिब्रेशन के महत्व को भी समझता है. दीपाली ने आगे बताया कि स्कूल में इस तरह के आयोजनों में अभिभावकों का भी अहम योगदान रहता है. बच्चे छोटे हैं उनको तैयार करना आसान नहीं होता. वहीं टीचर के लिए भी यह एक रोमांचक पल होता है, जब वह बच्चों को त्यौहार के बारे में रोचकता से समझाती हैं.
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