कानपुर : मैं आज जो भी कुछ हूं, वह कानपुर की धरती के आशीर्वाद के कारण हूं. कानपुर मेरी जन्मभूमि है. यह मेरी कर्मभूमि रही है. मेरी शिक्षा-दीक्षा यहां हुई. मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत भी कानपुर से ही हुई. फिर यहां से ही मेरा दिल्ली हाईकोर्ट जाना हुआ. वहां से सुप्रीम कोर्ट में वकालत की. इसके बाद बिहार राजभवन होते हुए राष्ट्रपति बनने तक का सफर पूरा किया.
बुधवार को यह बातें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कही. वह शहर के कमला नगर स्थित सर पदमपत सिंहानिया एजुकेशन सेंटर में 42वें वार्षिकोत्सव व जेके समूह के 140 साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. कानपुर दौरे पर पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति ने हमेशा की तरह इस बार भी कानपुर से खुद के जुड़ाव को प्रमुखता दी.
बच्चों को नैतिक मूल्यों की जानकारी दें शिक्षक : पूर्व राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कई बार कानपुर और मां गंगा का नाम लिया. उन्होंने कहा कि छात्रों के लिए सबसे जरूरी है कि जब वह अपने गैजेट्स (मोबाइल, लैपटॉप आदि) का उपयोग करें तो वह केवल पढ़ाई के लिए ही होना चाहिए. इसी तरह शिक्षक छात्रों को शिक्षित करते समय नैतिक मूल्यों की भी जानकारी जरूर दें. जिंदगी में हमेशा एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश करनी चाहिए.
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि एक अच्छा इंसान एक अच्छा हुनरमंद भी बन सकता है. जेके समूह का इस देश के लिए बहुत अहम योगदान हमेशा से रहा है. चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो या धार्मिक या सामाजिक हित के कार्यों की बात हो. कार्यक्रम में स्कूल की चेयरपर्सन मनोरमा गोविंद हरि सिंहानिया, वाइस चेयरमैन अभिषेक सिंहानिया, वाइस चेयरपर्सन वर्षा सिंहानिया, डायरेक्टर पार्थो पी.कर, प्रधानाचार्य भावना गुप्ता आदि उपस्थित रहे.
कक्षा चार की छात्रा की पॉटरी ने रिझाया : पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सर पदमपत सिंहानिया एजुकेशन सेंटर में पढ़ने वाली कक्षा 4 की छात्रा आद्या के हुनर को सराहा. जब वह स्कूल परिसर में आए तो छात्रों द्वारा तैयार प्रदर्शनी को देखा. इस दौरान आद्या द्वारा तैयार की गई पॉटरी मेकिंग को देखा तो वह खुश हो गए. इसके अलावा 11वीं के छात्र रूद्राक्ष व आयुष प्रताप सिंह द्वारा तैयार ड्रोंस के मॉडलों को भी सराहा.
छात्रों और शिक्षकों को मिला सम्मान : कार्यक्रम के दौरान पूर्व राष्ट्रपति ने स्कूल में टॉप करने वाले छात्रों को सम्मानित किया. स्कूल में पिछले कई सालों से बेहतर काम करने वाले शिक्षकों को भी सम्मान देकर उनका हौसला बढ़ाया.
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