मेरठः पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में हॉकी के प्रति युवाओं में काफी जुनून देखने को मिलता है. इसी जुनून को मुकाम तक पहुंचाने के लिए प्रदीप चिन्योटी लगे हुए हैं. प्रदीप बेटियों को निशुल्क प्रशिक्षण देते हैं. प्रदीप चिन्योटी द्वारा प्रशिक्षित की गई कई बेटियां तो राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रदर्शन कर चुकी है. हॉकी की अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी वंदना कटारिया को प्रदीप चिन्योटी ने ट्रेनिंग दी थी.
घर की स्थिति ठीक नहीं होने के कारण छोड़ने पड़ी थी हॉकी
ईटीवी भारत से बातचीत में प्रदीप चिन्योटी ने बताया कि उनके मन में एक कसक सी है. ज़ब वह हॉकी खेलते थे तो तमाम अलग-अलग प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग भी उन्होंने किया. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, जिस वजह से उन्हें जीवन यापन के लिए कुछ और करना पड़ गया. चाहकर भी स्वयं अपना सपना पूरा नहीं कर सके. प्रदीप का कहना है कि ओलम्पिक खेलने का जो सपना उन्होंने देखा था, उसे पूरा करने के लिए उन्होंने बेटियों को प्रशिक्षण देना आज तक बंद नहीं किया. इसको लेकर बेटियों को ही क्यों ट्रेंड करते हैं. प्रदीप चिन्योटी बताते हैं कि बेटियां ज्यादा अनुशासित होती है और ज्यादा बेहतर ढंग से अपने कर्तव्य को पूरा करने की ललक रहती है. प्रदीप का कहना है कि वह जो नहीं क़र पाए, वह प्रशिक्षण पा रही बेटियां कर जाएं.
32 साल में 1 हजार बेटियों को दिया प्रशिक्षण
प्रदीप चिन्योटी बताते हैं कि उन्हें ख़ुशी है कि आज उनसे प्रशिक्षण पाने वाली बेटियां आगे बढ़ रही हैं. कोई अंतर्राष्ट्रीय अम्पायर है तो कोई इंटरनेशनल प्लेयर. तमाम बेटियां हॉकी में बेहतर प्रदर्शन के बावजूद नौकरियां भी पा गई हैं. प्रदीप बताते हैं कि 32 वर्ष में लगभग एक हजार से ज्यादा बेटियों को प्रशिक्षण दे चुके हैं. उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण पाने के लिए सिर्फ मेरठ से ही नहीं बल्कि बाहर की बेटियां भी आती हैं. प्रदेश स्तर पर और नेशनल स्तर पर मेडल भी ला रही हैं और टूर्नामेंट भी खेल रही हैं.
प्रतिदिन 60 बेटियां ट्रेनिंग के लिए आती हैं
प्रदीप बताते हैं कि एनएएस कॉलेज के प्रिंसिपल का पूरा सहयोग उन्हें मिलता है. वर्तमान समय में एनएएस कॉलेज में हर दिन लगभग 65 से 70 बेटियां उनसे हॉकी सीखने आती हैं. प्रदीप बताते हैं कि वर्तमान समय में बड़ी चुनौती यह है कि टूर्नामेंट खेलने जाने के लिए बच्चों को जाना होता है, ऐसे में बस और ट्रेन का किराया भी ज्यादा हो गया है. जिससे बच्चों को समस्या होती है.
जरूरत का सामान भी कराते हैं उपलब्ध
बुलंदशहर से आने वाली कुछ बेटियों ने बताया वह कई टूर्नामेंट खेल चुकी हैं. कई बेटियों ने बताया कि अलग अलग जगह पर होने वाले हॉकी मैच में वह प्रतिभाग करती हैं और मेडल भी ला पा रही हैं. प्रशिक्षण पाने वाली बेटियां बताती हैं कि उनके गुरु उनका पूरा ख्याल रखते हैं. आवश्यकता पड़ने पर जरूरत का सामान भी दे देते हैं.
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