जयपुर. जल जीवन मिशन में कथित घोटालों की जांच कर रही ईडी के सामने आज पूर्व पीएचईडी मंत्री महेश जोशी पेश नहीं हुए. उन्होंने ईडी से पूछताछ के लिए पेश होने के लिए 15 दिन की मोहलत मांगी है. जोशी का कहना है कि उन्हें 16 मार्च को नोटिस देकर 18 मार्च को दस्तावेजों के साथ पेश होने को कहा गया. इतने कम समय में सभी दस्तावेज इकठ्ठा करना संभव नहीं था इसलिए ईडी से 15 दिन का समय मांगा है. अब ईडी की ओर से जो जवाब आएगा. उसके हिसाब से आगे देखेंगे. साथ ही उनका यह भी दावा है कि ईडी ने उनसे जो दस्तावेज मांगें हैं. उनमें जल जीवन मिशन में गड़बड़ी का जिक्र नहीं है.
डॉ. महेश जोशी ने आज सोमवार को अपने आवास पर मीडिया से बात करते हुए कहा, ईडी ने बहुत जल्दबाजी का नोटिस भेजा है. उन्हें 16 मार्च को दोपहर में नोटिस मिला और 18 मार्च को सुबह 10:30 बजे पेश होने के लिए कहा गया. साथ ही एक लंबी फेहरिस्त दस्तावेजों की है. जो मुझे साथ ले जाने हैं. इतने दस्तावेज जुटाने में कम से कम 15-20 दिन लगते हैं. इसका मैंने जवाब भेजकर कम से कम 15 दिन का समय मांगा है. ताकि दस्तावेज जुटा सकूं. क्योंकि बिना दस्तावेज जाने का भी कोई मतलब नहीं है. अब उनके जवाब का इंतजार है.
छापेमारी में क्या मिला, इसका यह जवाब : 16 मार्च को ईडी ने महेश जोशी के घर पर और उनके सहयोगियों के ठिकानों पर तलाशी ली थी. इसे लेकर जोशी ने कहा कि इस सर्च में उनके घर पर कुछ भी नहीं मिला. साथ ही उन्होंने कहा, यह सिस्टम हो गया है कि दस जगह पर कार्रवाई होगी और इकठ्ठा प्रेस नोट जारी होता है. दस जगहों पर अलग-अलग क्या मिला. यह नहीं बताया जाता. बल्कि इकठ्ठा क्या मिला. यह जानकारी दी जाती है. ऐसा क्यों होता है. यह पता नहीं लेकिन मैं चाहता हूं कि जिसके भी कार्रवाई हो. उसके यहां क्या मिला. यह अलग-अलग बताया जाना चाहिए.
भाजपा में जाने की अटकलों के सवाल पर यह जवाब : भाजपा में जाने की अटकलों के सवाल पर महेश जोशी ने कहा कि इसका जवाब आप ही दे सकते हो. अटकलें भी आपने लगाई हैं. अब उनको कमजोर या मजबूत भी आप लोग ही कर सकते हैं. मैंने कभी इस बारे में कोई बात नहीं की है. एजेंसियों के जरिए दबाव बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी तक भाजपा से किसी ने उनसे संपर्क नहीं किया. लेकिन आरोप तो लगे हैं. जब कोई जिम्मेदार व्यक्ति आरोप लगाता है तो उसका कोई आधार होता है.
जांच एजेंसियां निष्पक्ष जांच करें : मैंने कभी भी जांच एजेंसियों की कार्रवाई पर सवाल नहीं उठाए. मैं कहता हूं कि जांच एजेंसियां निष्पक्ष जांच करें. अगर कोई दोषी है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करे. मैं इतना कहना चाहता हूं कि जल जीवन मिशन के किसी भी टेंडर से मेरा कोई लेना-देना नहीं है. कोई 20 हजार करोड़ कहता है कोई 22 हजार करोड़ कहता है. इतनी राशि के टेंडर तो जब से यह योजना शुरू हुई है. तब से हमारी सरकार के समय में कभी भी नहीं हुए थे. टेंडर की एक प्रक्रिया है और मंत्री का उसमें कोई दखल नहीं होता. न हमारी सरकार के समय और न ही वर्तमान सरकार में.
पहली कार्रवाई भी हमारी ही सरकार में हुई : महेश जोशी ने कहा कि किसी भी मामले में कोई शिकायत आती है तो जांच होती. अब नई सरकार बनने के बाद भी किसी भी टेंडर को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. हमारी सरकार थी तब पदमचंद जैन नाम के ठेकेदार के खिलाफ एक्शन लिया गया था. एसीबी ने यह कार्रवाई की थी और उसी के आधार पर ईडी ने मामला दर्ज किया है. अगर कार्रवाई नहीं करती तो ईडी भी कार्रवाई नहीं कर पाती. जांच एजेंसी कोई भी हो. वो अपनी कार्रवाई निष्पक्ष तरीके से करे. सच्चाई सामने आनी चाहिए.
संजय बड़ाया को लेकर कही यह बात : अपने करीबी संजय बड़ाया से ईडी की पूछताछ के सवाल पर उन्होंने कहा, जल जीवन मिशन मामले में ईडी बाहर के लोगों से भी पूछताछ कर रही है. जिनका जल जीवन मिशन के किसी टेंडर से कोई लेना-देना नहीं है. उनसे जो जानकारियां मांगी जा रही है. वो अलग तरीके की हैं. जिनका जल जीवन मिशन से ताल्लुक नहीं है.
जल जीवन मिशन में नहीं मिली गड़बड़ी : महेश जोशी का कहना है कि उनकी जानकारी के हिसाब से ईडी को अभी तक जल जीवन मिशन मामले में कोई अनियमितता नहीं मिली है. उनका कहना है कि अगर ईडी को कोई अनियमितता मिलती तो उन्हें दस्तावेजों की जो फेहरिस्त भेजी है. उसमें कम से कम उस गड़बड़ी (जो ईडी ने पकड़ी) का जिक्र होता. अगर कोई संभावित गड़बड़ी होती तो उसके बारे में भी पूछा जाता.मुझे जो सूची भेजी उसमें पीएचईडी से संबंधित किसी भी टेंडर का जिक्र नहीं है.