बाड़मेर. जिला मुख्यालय पर दो दिनों से जमीनी विवाद को लेकर दिए जा रहे धरना प्रदर्शन पर शुक्रवार को पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी पहुंचे. चौधरी ने धरने पर बैठे पीड़ित परिवार और ग्रामीणों से बातचीत कर पूरे मामले की जानकारी ली. इस दौरान हेमाराम चौधरी भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि पुश्तैनी जमीन पर पुलिस-प्रशासन मिलकर कब्जा करवाए, ऐसा अन्याय जीवन के 75 सालों में नहीं देखा.
दरअसल जमीनी विवाद को लेकर बीते दो दिनों से जिला मुख्यालय पर लूंगीनाडी निवासी पीड़ित परिवार के ग्रामीणों के साथ धरना दे रहे हैं. शनिवार को पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी, जिला प्रमुख महेंद्र चौधरी और कांग्रेस के प्रत्याशी उम्मेदाराम बेनीवाल धरना स्थल पर पहुंचे. इसके बाद हेमाराम चौधरी के नेतृत्व में पीड़ित परिवार पुरखाराम पुत्र खेताराम निवासी लूंगीनाडी ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.
ज्ञापन में बताया कि 29 मई को खेताराम सहित 30-35 अन्य लोग धारदार हथियार लेकर आए और पुलिस व प्रशासन के सहयोग से धोरीमन्ना और दूध गांव के सेटलमेंट की सीमाओं को तोड़ दिया. अस्थाई निषेधाज्ञा होने के बावजूद पहले नेखमबंदी का आदेश जारी किया और फिर स्टे जमीन पर नेखमबंदी की गई. पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस व प्रशासन राजनीतिक दबाव में आकर काम कर रही है. इधर वार्ता के लिए धोरीमन्ना तहसीलदार किरण सिगारिया भी धरना स्थल पहुंची.
इस दौरान हेमाराम चौधरी ने तहसीदार को जमकर खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि आप लोग स्टे ऑर्डर को मानते है या नहीं. पुलिस व प्रशासन की उपस्थिति में धारदार हथियार लेकर घूम रहे थे, यह कहां न्यायोचित है. हेमाराम चौधरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पीड़ित परिवार की जमीन है. वहां पीढ़ियों से यह परिवार बैठा है और उनकी पैतृक संपत्ति है. इतना कहते हुए हेमाराम चौधरी भावुक हो गए.
चौधरी ने भावुक होते हुए कहा कि पुश्तैनी जमीन पर पुलिस-प्रशासन मिलकर कब्जा करवाएं, ऐसा अन्याय जीवन में नहीं देखा. उन्होंने कहा कि अगर पुलिस व प्रशासन पुश्तैनी कब्जा खाली करवाकर दूसरों को कब्जा सौंपे, तो इससे ज्यादा अन्याय मैंने कभी देखा नहीं. यह सब मिलीभगत और राजनीतिक प्रभाव की वजह से हुआ है. चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह राजनीतिक दवाब में हुआ है. पुलिस व प्रशासन उनके दबाव में है. चौधरी ने कहा कि इनको जान माल का खतरा है. यह परिवार वापस वहां पर जाकर रह नहीं सकते हैं. इस वजह से यह परिवार यहां पर बैठा है.