खूंटीः पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष सह खूंटी लोकसभा के पूर्व सांसद कड़िया मुंडा ने ईटीवी भारत से विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की. इस दौरान उन्होंने झारखंड की राजनीति, बांग्लादेशी घुसपैठ और विधानसभा चुनाव को लेकर बेबाकी से अपनी बात रखी.
झारखंड में शुरू से रही है घुसपैठ की समस्या
भाजपा के दिग्गज नेता कड़िया मुंडा ने ईटीवी भारत को दिए एक्सलूसिव इंटरव्यू में झारखंड में घुसपैठ पर हो रही राजनीति पर कहा कि झारखंड गठन के बाद से ही यहां घुसपैठ की समस्या रही है, लेकिन कभी विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर गंभीर नहीं रही. यही कारण है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या झारखंड में बढ़ गई है, जो चिंता का विषय है.
घुसपैठ राजनीति का मुद्दा नहीं
उन्होंने कहा कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस पर विचार करने की आवश्यकता है.कड़िया मुंडा ने कहा कि घुसपैठिए कोई दलीय मामला नहीं होना चाहिए, यह देश प्रदेश का मामला होना चाहिए. सरकार किसी की भी बाहर के लोग गलत तरीके से यहां आएंगे तो अशांति बढ़ेगी ही. इसलिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विचार करने की जरूरत है. यह मामला राजनीतिक रूप से हल नहीं किया जा सकता.
इस कारण से महागठबंधन को मिल रहा फायदा
उन्होंने आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव में महागठबंधन दलों के द्वारा वोट बैंक में सेंधमारी के सवाल पर कहा कि बीजेपी के किले को ध्वस्त करने के लिए 2019 में ही सेंधमारी हो गई थी, जो लगातार जारी है. उन्होंने कहा कि भाजपा में अब समन्वय की कमी हो गई, जिसका फायदा महागठबंधन के लोगों को मिलने लगा है. उन्होंने कहा कि झारखंड में आज भी झामुमो का मतलब शिबू सोरेन हैं. खासकर संथाल इलाके में झामुमो के किले को ध्वस्त कर पाना भाजपा के लिए चुनौती है.
चंपाई के बीजेपी में शामिल होने से क्या पड़ेगा फर्क
चंपाई सोरेन के भाजपा में आने से कोल्हान समेत दक्षिणी छोटानागपुर की राजनीति में फर्क पड़ेगा या नहीं इस सवाल पर कड़िया मुंडा ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कोई खास फर्क पड़ेगा. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अभी इस संदर्भ में कुछ कहना जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा कि सितंबर समाप्त होने के बाद चुनावी सरगर्मी बढ़ेगी और राजनीतिक चुनावी तस्वीर भी साफ होने लगेगी.
खूंटी लोकसभा सीट हारने का बताया ये कारण
कड़िया मुंडा ने कहा कि खूंटी लोकसभा चुनाव हारने में खूंटी और तोरपा विधायक के अलावा अर्जुन मुंडा खुद भी जिम्मेदार रहे. उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में इसका असर दिखेगा. यही नहीं उन्होंने संभावना जताई है कि हो सकता है कि खूंटी और तोरपा से चेहरे बदले जाएं और युवाओं को मौका मिले.
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