देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत टिहरी बांध विस्थापितों को भूमिधरी अधिकार दिए जाने की मांग प्रमुखता से उठा रहे हैं. इसी कड़ी में आज हरीश रावत ने टिहरी विस्थापितों के साथ गांधी पार्क में एक घंटे का मौन उपवास रखा. सांकेतिक उपवास में पथरी, बंजारा वाला, भानियावाला और ऋषिकेश स्थित पशु लोक आदि क्षेत्रों के विस्थापितों ने हिस्सा लिया है. इस दौरान हरीश रावत ने धामी सराकार पर सरकारी ऋण की कोई सुविधाएं ना देने का आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने वन विभाग की ओर से करवाए गए सर्वेक्षण और उसके निष्कर्षों को वापस लेने की मांग उठाई है.
विस्थापितों को अभी तक नहीं मिला भूमिधर अधिकार: पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि टिहरी बांध विस्थापितों ने अपना वर्तमान देश और उत्तराखंड के भविष्य के लिए कुर्बान कर दिया है, लेकिन जिन जमीनों पर उनको बसाया गया है, वहां पर 42 वर्ष बीतने के बावजूद भी उनको अब तक भूमिधरी का अधिकार नहीं मिल पाया है. उन्होंने कहा कि यह एक प्रकार से उनके बलिदान का उपहास है.
टिहरी विस्थापित चुनाव का करेंगे बहिष्कार: हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने टिहरी के विस्थापितों को भूमिधरी अधिकार दिए जाने के आदेश दिए थे, लेकिन 7 साल बीतने के बावजूद यह मामला अब तक ठप पड़ा हुआ है. ऐसे में अब पथरी में बसाए लोगों ने यह निर्णय लिया है कि अगर उन्हें जमीन का मालिकाना हक नहीं मिला, तो वह काला दिवस मनाएंगे और चुनाव का बहिष्कार करेंगे. उनके इस फैसले से ऐसा लग रहा है कि हमने उनके बलिदान के मूल्यों को नहीं समझा है.
हरीश रावत बोले हर हाल में विस्थापितों का दूंगा साथ: हरीश रावत ने साफ किया कि टिहरी और विशेष तौर पर पथरी में रहने वाले विस्थापितों के इस संघर्ष में वह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर शामिल होंगे. हरीश रावत ने उम्मीद जताई कि सांकेतिक उपवास के बाद मुख्यमंत्री धामी टिहरी विस्थापितों की भावनाओं को समझेंगे और शीघ्र मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर टिहरी विस्थापितों को भूमिधरी अधिकार दिए जाने का फैसला करेंगे.
ये भी पढ़ें-