जयपुर: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बांग्लादेश के हालात, भारत विरोधी माहौल और हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार पर चिंता जताई है. उन्होंने विभिन्न कूटनीतिक चैनल्स के जरिए इन मुद्दों के समाधान की दिशा में प्रयास करने की मांग केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की है.
गहलोत ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बयान जारी कर कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विजय दिवस के अवसर पर सोमवार को बांग्लादेश में भारत विरोधी नारे लगे. प्रधानमंत्री (तत्कालीन) इंदिरा गांधी के मजबूत नेतृत्व में बांग्लादेश को आजादी भारत ने दिलवाई और भारत के साथ बांग्लादेश के अच्छे संबंध रहे, लेकिन दोनों देशों के संबंधों में ऐसी कटुता आना बेहद चिंताजनक है. बांग्लादेश के साथ भारत के व्यापारिक रिश्ते भी हैं. उत्तर-पूर्व के राज्यों का तो रोजमर्रा का व्यापार तक बांग्लादेश के साथ चलता है, जो अभी रुक गया है.
सैनिकों की याद में बन रहे मेमोरियल का काम रुका: उन्होंने कहा, बांग्लादेश के आशुपुर में 1971 के युद्ध में योगदान देने वाले भारतीय सैनिकों की याद में बन रहे मेमोरियल का काम भी बंद है. वहां हिंदू अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार हो रहा है, लेकिन भारत सरकार का इस विषय में अभी तक कोई पक्ष सार्वजनिक तौर पर सामने नहीं आया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विजय दिवस के अवसर पर कल बांग्लादेश में भारत विरोधी नारे लगे। प्रधानमंत्री श्री इन्दिरा गांधी के मजबूत नेतृत्व में बांग्लादेश को आजादी भारत ने दिलवाई और भारत के साथ बांग्लादेश के अच्छे संबंध रहे परन्तु दोनों देशों के संबंधों में ऐसी कटुता आना बेहद…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) December 17, 2024
भारत सरकार ने नहीं रखा कोई बड़ा आयोजन: वे बोले- यह भी विचारणीय है कि बांग्लादेश युद्ध विजय के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी को दुर्गा कहा था. परंतु कल विजय दिवस के अवसर पर भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर कोई आयोजन देशभर में नहीं रखा. बांग्लादेश युद्ध में भारतीय सेना ने 90 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों का समर्पण करवाया था. यह इतिहास की एक बड़ी घटना है. क्या यह हम सब की जिम्मेदारी नहीं है कि नई पीढ़ी तक इतनी बड़ी ऐतिहासिक घटना को बताया जाए और इस विजय का जश्न मनाया जाए.
पीएम मोदी गंभीरता से ध्यान दें: गहलोत ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बांग्लादेश में बढ़ रहे भारत विरोधी माहौल और हिंदू अल्पसंख्यकों के प्रति हिंसा पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए. भारत सरकार को कूटनीतिक चैनलों से सुनिश्चित करना चाहिए कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ऐसी घटनाओं के बारे में सख्ती बरते, जिससे दोनों देशों के बीच रिश्ते पहले जैसे हो सकें.