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हॉकी की 'रानी' ने लिया संन्यास, जिसने गरीब बेटियों को सिखाया सपने देखना, पिता करते थे मजदूरी

भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने संन्यास ले लिया है. हरियाणा के गरीब परिवार की रानी की जिंदगी एक मिसाल है.

RANI RAMPAL ANNOUNCED RETIRED
रानी रामपाल (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

चंडीगढ़: भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने संन्यास का ऐलान कर दिया है. गरीब परिवार से बुलंदियों तक पहुंची रानी रामपाल का जीवन किसी मिसाल से कम नहीं है. आज लोग अपनी बेटियों को रानी जैसा बनाना चाहते हैं. रानी रामपाल का हॉकी करियर करीब 16 साल का रहा. इस दौरान उन्होंने कई बड़े मुकाम हासिल किए. इनमें लगातार दो बार ओलंपिक में भारतीय टीम की कप्तानी करना भी शामिल है.

हरियाणा के शाहबाद में पैदा हुईं रानी

रानी रामपाल हरियाणा की रहने वाली हैं. रानी का जन्म कुरुक्षेत्र जिले के शाहबाद में 1994 में हुआ. रानी रामपाल बेहद गरीब परिवार से आती हैं. उनके पिता रामपाल घोड़ा तांगा चलाते और ईंट बेचते थे. जब रानी ने हॉकी खेलने की जिद की तो परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो रानी की जरूरतें पूरी कर सकें. तांगा चलाकर किसी तरह परिवार का गुजारा होता था. पिता दिन में मुश्किल से 100 रुपये कमा पाते थे. कच्चा मकान बारिश में टपकता था. इसके बावजदू रानी ने हॉकी में आगे बढ़ने का हौसला नहीं छोड़ा.

7 साल की उम्र में पैदा हुआ हॉकी का जुनून

रानी जब 6-7 साल की थीं तभी उनके अंदर हॉकी खेलने का जुनून पैदा हो गया. शाहबाद को हॉकी की नर्सरी कहा जाता है. यहां हॉकी एकेडमी भी है. घरवालों ने पहले रानी को मना किया लेकिन रानी ने तो ठान लिया था कि हॉकी खेलनी है. रानी की इस जिद के आगे उनके पिता को झुकना पड़ा और उन्होंने रानी को का एडमिशन अकाडमी में करा दिया. कोच और कुछ खिलाडियों की मदद से उन्हें किट मिली और उन्होंने प्रैक्टिस शुरू कर दी.

RANI RAMPAL ANNOUNCED RETIRED
पद्म श्री मिलने के बाद पिता के साथ रानी. (सोर्स- रानी फेसबुक पेज)

2009 में पहली बार भारतीय टीम में हुआ चयन

रानी रामपाल का भारतीय हॉकी टीम में पहली बार 2009 में चयन हुआ. उस समय उनकी उम्र करीब 15 साल थी. 2009 में जर्मनी में जूनियर विश्व कप खेला गया. इसमें भारत ने कांस्य पदक जीता था. रानी पहली बार भारतीय टीम में खेल रहीं थी. इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल मुकाबले में रानी ने तीन गोल करके अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. वो इस प्रतियोगिता में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट थीं. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. रानी रामपाल 200 से ज्यादा इंटरनेशनल मैच खेल चुकी हैं.

RANI RAMPAL ANNOUNCED RETIRED
पीएम मोदी के साथ रानी और उनके पिता रामपाल (सोर्स- रानी फेसबुक पेज)

पद्म श्री और खेल रत्न से सम्मानित

हॉकी में तमाम उप्लब्धियों के लिए रानी रामपाल को अब तक कई सम्मान से नवाजा जा चुका है. भारत सरकार ने 2020 में रानी रामपाल को पद्म श्री और राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा. उन्होंने ओलंपिक में दो बार भारतीय महिला हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व किया. उनकी अगुवाई में भारतीय टीम ने एशियन गेम्स और एशिया कप में मेडल जीता. रानी की कप्तानी में भारतीय महिला हॉकी टीम टोक्यो ओलंपिक में टीम चौथे नंबर पर रही.

ये भी पढ़ें- पिता चलाते थे घोड़ा गाड़ी, बेटी कर रही राष्ट्रीय टीम की कप्तानी

ये भी पढ़ें- मिलिए उस महिला खिलाड़ी से जिसके नाम पर यूपी में बना हॉकी स्टेडियम

ये भी पढ़ें- विनेश फोगाट और रानी रामपाल को मिला खेल रत्न, पढ़िए इनके सफर की कहानी

चंडीगढ़: भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने संन्यास का ऐलान कर दिया है. गरीब परिवार से बुलंदियों तक पहुंची रानी रामपाल का जीवन किसी मिसाल से कम नहीं है. आज लोग अपनी बेटियों को रानी जैसा बनाना चाहते हैं. रानी रामपाल का हॉकी करियर करीब 16 साल का रहा. इस दौरान उन्होंने कई बड़े मुकाम हासिल किए. इनमें लगातार दो बार ओलंपिक में भारतीय टीम की कप्तानी करना भी शामिल है.

हरियाणा के शाहबाद में पैदा हुईं रानी

रानी रामपाल हरियाणा की रहने वाली हैं. रानी का जन्म कुरुक्षेत्र जिले के शाहबाद में 1994 में हुआ. रानी रामपाल बेहद गरीब परिवार से आती हैं. उनके पिता रामपाल घोड़ा तांगा चलाते और ईंट बेचते थे. जब रानी ने हॉकी खेलने की जिद की तो परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो रानी की जरूरतें पूरी कर सकें. तांगा चलाकर किसी तरह परिवार का गुजारा होता था. पिता दिन में मुश्किल से 100 रुपये कमा पाते थे. कच्चा मकान बारिश में टपकता था. इसके बावजदू रानी ने हॉकी में आगे बढ़ने का हौसला नहीं छोड़ा.

7 साल की उम्र में पैदा हुआ हॉकी का जुनून

रानी जब 6-7 साल की थीं तभी उनके अंदर हॉकी खेलने का जुनून पैदा हो गया. शाहबाद को हॉकी की नर्सरी कहा जाता है. यहां हॉकी एकेडमी भी है. घरवालों ने पहले रानी को मना किया लेकिन रानी ने तो ठान लिया था कि हॉकी खेलनी है. रानी की इस जिद के आगे उनके पिता को झुकना पड़ा और उन्होंने रानी को का एडमिशन अकाडमी में करा दिया. कोच और कुछ खिलाडियों की मदद से उन्हें किट मिली और उन्होंने प्रैक्टिस शुरू कर दी.

RANI RAMPAL ANNOUNCED RETIRED
पद्म श्री मिलने के बाद पिता के साथ रानी. (सोर्स- रानी फेसबुक पेज)

2009 में पहली बार भारतीय टीम में हुआ चयन

रानी रामपाल का भारतीय हॉकी टीम में पहली बार 2009 में चयन हुआ. उस समय उनकी उम्र करीब 15 साल थी. 2009 में जर्मनी में जूनियर विश्व कप खेला गया. इसमें भारत ने कांस्य पदक जीता था. रानी पहली बार भारतीय टीम में खेल रहीं थी. इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल मुकाबले में रानी ने तीन गोल करके अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. वो इस प्रतियोगिता में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट थीं. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. रानी रामपाल 200 से ज्यादा इंटरनेशनल मैच खेल चुकी हैं.

RANI RAMPAL ANNOUNCED RETIRED
पीएम मोदी के साथ रानी और उनके पिता रामपाल (सोर्स- रानी फेसबुक पेज)

पद्म श्री और खेल रत्न से सम्मानित

हॉकी में तमाम उप्लब्धियों के लिए रानी रामपाल को अब तक कई सम्मान से नवाजा जा चुका है. भारत सरकार ने 2020 में रानी रामपाल को पद्म श्री और राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा. उन्होंने ओलंपिक में दो बार भारतीय महिला हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व किया. उनकी अगुवाई में भारतीय टीम ने एशियन गेम्स और एशिया कप में मेडल जीता. रानी की कप्तानी में भारतीय महिला हॉकी टीम टोक्यो ओलंपिक में टीम चौथे नंबर पर रही.

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Last Updated : 2 hours ago
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