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चुनाव से पहले खूंटी के हाथी प्रभावित क्षेत्र में तैनात किए जाएंगे वनरक्षी, मतदाता बिना किसी भय के निकलेंगे वोट देने - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

Elephant affected area khunti. लोकसभा चुनाव से पहले खूंटी के हाथी प्रभावित इलाकों में वनरक्षियों की तैनाती की जाएगी, ताकि मतदाता बिना किसी डर के वोट डालने जा सकें. इसके लिए वन विभाग ने आठ टीमें बनाई हैं.

Elephant affected area khunti
खूंटी वन विभाग कार्यालय (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 10, 2024, 11:04 AM IST

जानकारी देते संवाददाता सोनू अंसारी (ईटीवी भारत)

खूंटी : पिछले लोकसभा चुनाव तक खूंटी लोकसभा क्षेत्र के लोग नक्सलियों के भय से मतदान करने के लिए कम ही घरों से निकलते थे, लेकिन अर्धसैनिक बल और जिला पुलिस ने नक्सलियों को तो खदेड़ने में सफलता हासिल कर ली, लेकिन अब ग्रामीण और सुदूरवर्ती इलाकों में हाथियों का भय ग्रामीणों को सताने लगा है. नक्सलियों के बाद अब जिला और वन विभाग ने हाथियों को भी भगाने की योजना बनाई है, जो अपने आप में अनूठी पहल है.

खूंटी लोकसभा क्षेत्र के खूंटी वन प्रमंडल क्षेत्र के दर्जनों इलाके हाथियों से प्रभावित हैं. इन इलाकों के तीन दर्जन से अधिक बूथों को अतिसंवेदनशील बूथों में शामिल किया गया है. बुंडू, तमाड़, अड़की रनिया और कर्रा इलाके में हाथियों के झुंड ने जंगलों में अपना डेरा बना लिया है. बीच-बीच में हाथियों का झुंड गांव की ओर बढ़ जाता है, जिससे ग्रामीण डरे रहते हैं. हाथियों का झुंड जैसे ही जंगल से निकलता है, ग्रामीण अपने घरों में दुबक जाते हैं.

डीएफओ कुलदीप मीणा ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान ग्रामीणों को हाथियों के भय से न जीना पड़े, इसके लिए वन विभाग ने वन प्रभाग क्षेत्र के अतिसंवेदनशील इलाकों के लिए आठ टीमें बनाई हैं, जो चिन्हित बूथों के क्षेत्र में तैनात रहेंगी. अगर हाथियों का झुंड मतदान केंद्र पर पहुंचता है, तो उसे मतदान केंद्र पहुंचने से पहले ही भगाया जा सकेगा और ग्रामीणों में किसी तरह का भय नहीं रहेगा.

डीएफओ ने गठित टीम में शामिल वन क्षेत्राधिकारी और वनरक्षियों को ब्रीफ कर पूरी जानकारी दे दी है. जब खेतों में धान की फसल होती थी, तो हाथियों का झुंड सब्जी और धान के खेतों की ओर चला जाता था और रोकने की कोशिश करने वाले ग्रामीणों को अपना निशाना बनाता था.

गर्मी के मौसम में हाथी अपने भोजन की तलाश में जंगल से सटे गांवों की ओर चले जाते हैं. इस क्रम में वे गांव में बने मिट्टी के घरों को तोड़ देते हैं. घर में रखे अनाज को भी खा जाते हैं. पिछले तीन-चार महीनों में ग्रामीण इलाकों में सुबह शौच के लिए निकलने वाले लोगों से भी हाथियों का सामना हुआ है.

जंगली हाथियों ने कई किसानों के खेतों में लगी हरी सब्जियों को भी अपना शिकार बनाया है. इस बार मतदान का समय सुबह सात बजे से तय है, ऐसे में आम लोगों के लिए सुबह के समय हाथियों के इलाके से बचकर सुरक्षित मतदान केंद्र तक पहुंचना बड़ी बात होगी. खूंटी वन प्रमंडल की यह पहल अगर कारगर साबित हुई तो लोगों का हाथियों से सामना नहीं होगा और ग्रामीण आसानी से बूथ तक पहुंच सकेंगे.

आपको बता दें कि खूंटी वन प्रमंडल क्षेत्र में अतिसंवेदनशील बूथों की संख्या 66 है, जबकि संवेदनशील बूथों की संख्या 96 है. वन विभाग द्वारा चिन्हित सभी बूथ ऐसे इलाकों में हैं, जहां हाथियों का विचरण होता रहा है.

यह भी पढ़ें: बोकारो के गांवों में घुसे 32 से भी ज्यादा जंगली हाथी, फसलों को किया बर्बाद, दहशत में ग्रामीण - Herd of wild elephants in Bokaro

यह भी पढ़ें: खूंटी वन प्रमंडल क्षेत्र में गजराज का आतंक! सोनाहातू में जंगली हाथी ने ली एक बुजुर्ग की जान, तीन माह में अब 6 की मौत

यह भी पढ़ें: खदेड़ने पहुंचे ग्रामीणों पर हाथियों का फूटा गुस्सा, एक मजदूर की कुचलकर ले ली जान

जानकारी देते संवाददाता सोनू अंसारी (ईटीवी भारत)

खूंटी : पिछले लोकसभा चुनाव तक खूंटी लोकसभा क्षेत्र के लोग नक्सलियों के भय से मतदान करने के लिए कम ही घरों से निकलते थे, लेकिन अर्धसैनिक बल और जिला पुलिस ने नक्सलियों को तो खदेड़ने में सफलता हासिल कर ली, लेकिन अब ग्रामीण और सुदूरवर्ती इलाकों में हाथियों का भय ग्रामीणों को सताने लगा है. नक्सलियों के बाद अब जिला और वन विभाग ने हाथियों को भी भगाने की योजना बनाई है, जो अपने आप में अनूठी पहल है.

खूंटी लोकसभा क्षेत्र के खूंटी वन प्रमंडल क्षेत्र के दर्जनों इलाके हाथियों से प्रभावित हैं. इन इलाकों के तीन दर्जन से अधिक बूथों को अतिसंवेदनशील बूथों में शामिल किया गया है. बुंडू, तमाड़, अड़की रनिया और कर्रा इलाके में हाथियों के झुंड ने जंगलों में अपना डेरा बना लिया है. बीच-बीच में हाथियों का झुंड गांव की ओर बढ़ जाता है, जिससे ग्रामीण डरे रहते हैं. हाथियों का झुंड जैसे ही जंगल से निकलता है, ग्रामीण अपने घरों में दुबक जाते हैं.

डीएफओ कुलदीप मीणा ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान ग्रामीणों को हाथियों के भय से न जीना पड़े, इसके लिए वन विभाग ने वन प्रभाग क्षेत्र के अतिसंवेदनशील इलाकों के लिए आठ टीमें बनाई हैं, जो चिन्हित बूथों के क्षेत्र में तैनात रहेंगी. अगर हाथियों का झुंड मतदान केंद्र पर पहुंचता है, तो उसे मतदान केंद्र पहुंचने से पहले ही भगाया जा सकेगा और ग्रामीणों में किसी तरह का भय नहीं रहेगा.

डीएफओ ने गठित टीम में शामिल वन क्षेत्राधिकारी और वनरक्षियों को ब्रीफ कर पूरी जानकारी दे दी है. जब खेतों में धान की फसल होती थी, तो हाथियों का झुंड सब्जी और धान के खेतों की ओर चला जाता था और रोकने की कोशिश करने वाले ग्रामीणों को अपना निशाना बनाता था.

गर्मी के मौसम में हाथी अपने भोजन की तलाश में जंगल से सटे गांवों की ओर चले जाते हैं. इस क्रम में वे गांव में बने मिट्टी के घरों को तोड़ देते हैं. घर में रखे अनाज को भी खा जाते हैं. पिछले तीन-चार महीनों में ग्रामीण इलाकों में सुबह शौच के लिए निकलने वाले लोगों से भी हाथियों का सामना हुआ है.

जंगली हाथियों ने कई किसानों के खेतों में लगी हरी सब्जियों को भी अपना शिकार बनाया है. इस बार मतदान का समय सुबह सात बजे से तय है, ऐसे में आम लोगों के लिए सुबह के समय हाथियों के इलाके से बचकर सुरक्षित मतदान केंद्र तक पहुंचना बड़ी बात होगी. खूंटी वन प्रमंडल की यह पहल अगर कारगर साबित हुई तो लोगों का हाथियों से सामना नहीं होगा और ग्रामीण आसानी से बूथ तक पहुंच सकेंगे.

आपको बता दें कि खूंटी वन प्रमंडल क्षेत्र में अतिसंवेदनशील बूथों की संख्या 66 है, जबकि संवेदनशील बूथों की संख्या 96 है. वन विभाग द्वारा चिन्हित सभी बूथ ऐसे इलाकों में हैं, जहां हाथियों का विचरण होता रहा है.

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