खूंटी : पिछले लोकसभा चुनाव तक खूंटी लोकसभा क्षेत्र के लोग नक्सलियों के भय से मतदान करने के लिए कम ही घरों से निकलते थे, लेकिन अर्धसैनिक बल और जिला पुलिस ने नक्सलियों को तो खदेड़ने में सफलता हासिल कर ली, लेकिन अब ग्रामीण और सुदूरवर्ती इलाकों में हाथियों का भय ग्रामीणों को सताने लगा है. नक्सलियों के बाद अब जिला और वन विभाग ने हाथियों को भी भगाने की योजना बनाई है, जो अपने आप में अनूठी पहल है.
खूंटी लोकसभा क्षेत्र के खूंटी वन प्रमंडल क्षेत्र के दर्जनों इलाके हाथियों से प्रभावित हैं. इन इलाकों के तीन दर्जन से अधिक बूथों को अतिसंवेदनशील बूथों में शामिल किया गया है. बुंडू, तमाड़, अड़की रनिया और कर्रा इलाके में हाथियों के झुंड ने जंगलों में अपना डेरा बना लिया है. बीच-बीच में हाथियों का झुंड गांव की ओर बढ़ जाता है, जिससे ग्रामीण डरे रहते हैं. हाथियों का झुंड जैसे ही जंगल से निकलता है, ग्रामीण अपने घरों में दुबक जाते हैं.
डीएफओ कुलदीप मीणा ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान ग्रामीणों को हाथियों के भय से न जीना पड़े, इसके लिए वन विभाग ने वन प्रभाग क्षेत्र के अतिसंवेदनशील इलाकों के लिए आठ टीमें बनाई हैं, जो चिन्हित बूथों के क्षेत्र में तैनात रहेंगी. अगर हाथियों का झुंड मतदान केंद्र पर पहुंचता है, तो उसे मतदान केंद्र पहुंचने से पहले ही भगाया जा सकेगा और ग्रामीणों में किसी तरह का भय नहीं रहेगा.
डीएफओ ने गठित टीम में शामिल वन क्षेत्राधिकारी और वनरक्षियों को ब्रीफ कर पूरी जानकारी दे दी है. जब खेतों में धान की फसल होती थी, तो हाथियों का झुंड सब्जी और धान के खेतों की ओर चला जाता था और रोकने की कोशिश करने वाले ग्रामीणों को अपना निशाना बनाता था.
गर्मी के मौसम में हाथी अपने भोजन की तलाश में जंगल से सटे गांवों की ओर चले जाते हैं. इस क्रम में वे गांव में बने मिट्टी के घरों को तोड़ देते हैं. घर में रखे अनाज को भी खा जाते हैं. पिछले तीन-चार महीनों में ग्रामीण इलाकों में सुबह शौच के लिए निकलने वाले लोगों से भी हाथियों का सामना हुआ है.
जंगली हाथियों ने कई किसानों के खेतों में लगी हरी सब्जियों को भी अपना शिकार बनाया है. इस बार मतदान का समय सुबह सात बजे से तय है, ऐसे में आम लोगों के लिए सुबह के समय हाथियों के इलाके से बचकर सुरक्षित मतदान केंद्र तक पहुंचना बड़ी बात होगी. खूंटी वन प्रमंडल की यह पहल अगर कारगर साबित हुई तो लोगों का हाथियों से सामना नहीं होगा और ग्रामीण आसानी से बूथ तक पहुंच सकेंगे.
आपको बता दें कि खूंटी वन प्रमंडल क्षेत्र में अतिसंवेदनशील बूथों की संख्या 66 है, जबकि संवेदनशील बूथों की संख्या 96 है. वन विभाग द्वारा चिन्हित सभी बूथ ऐसे इलाकों में हैं, जहां हाथियों का विचरण होता रहा है.
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