देहरादून: गर्मी का ये मौसम जब पारा बेहद हाई है और तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पार कर चुका है, तब ऐसे फाइटर भी हैं जो आग के थपेड़ो से सीधा मुकाबला कर रहे हैं.लेकिन चिंता इस बात की है कि एसी कमरों में बैठे अफसर वनाग्नि नियंत्रण के दौरान आग की तपिश का अंदाजा नहीं लगा पा रहे, शायद यही कारण है कि धरातल पर काम करने वाले कर्मचारियों को ना तो सुरक्षा देने वाले फायर सूट मिल पा रहे हैं और ना ही पर्याप्त दूसरे उपकरण मिल रहे हैं. जिससे वनकर्मी हादसे का शिकार हो रहे हैं.
टेक्नोलॉजी के इस युग में आज दुनिया का हर क्षेत्र नए प्रयोगों को अपना रहा है. कोई समस्या हो या विकास के नए कार्य हर क्षेत्र में समय के साथ नए बदलाव भी आ रहे हैं. लेकिन उत्तराखंड का वन विभाग वनाग्नि जैसे गंभीर मसलों पर भी बीते जमाने के तरीकों को अपनाए हुए हैं. जंगलों की आग को बुझाने के लिए प्रदेश के कर्मचारी आज भी झाड़ियों का इस्तेमाल करते हुए दिखाई देते हैं. इतना ही नहीं तमाम तस्वीर इस बात की गवाह है कि यह कर्मचारी बिना सुरक्षा के ही जंगल की आग को झाड़ियों के जरिए बुझाते हैं. शायद यही कारण है कि अल्मोड़ा जैसी घटनाएं वन कर्मियों की जान ले लेती है.
जंगलों की आग को बुझाने के लिए कर्मचारियों को किन प्रोटोकॉल का पालन करना ये बात ना तो कर्मियों को ही पता है ना ही अफसरों को.उधर शासन के अफसर बैठकों तक ही सीमित दिखते हैं.अल्मोड़ा में वनाग्नि के दौरान IFS अफसरों पर लापरवाही के आरोपों के चलते कार्रवाई हुई.लेकिन क्या इससे महकमे का सिस्टम सुधर जाएगा. बहरहाल कर्मचारियों के लिए फायर सूट की कमी का आकलन शुरू कर दिया गया है. साथ ही प्रत्येक डिवीजन में 2 ब्लोअर अनिवार्य रूप से उपलब्ध रखना के भी प्रयास हो रहे हैं. इसके अलावा प्रत्येक कर्मचारी का इंश्योरेंस अनिवार्य रूप से किया जाए, इसके लिए भी बार-बार दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं और अब अगले 4 दिनों का अल्टीमेटम भी दे दिया गया है.
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