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हाथियों को करंट से बचाने कवायद, वन विभाग का शपथपत्र - CHHATTISGARH HIGH COURT - CHHATTISGARH HIGH COURT

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी अब हाथियों को करंट से बचाने के लिए कार्य करेगी. इसके लिए बिजली कंपनी ने निर्देश भी जारी किए हैं.

protect elephants in Chhattisgarh
हाथियों को करंट से बचाने विद्युत कंपनी करेगी काम (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 4, 2024, 9:22 AM IST

रायपुर/बिलासपुर : हाथियों की बिजली करंट से हो रही मौत को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दूसरी बार जनहित याचिका दायर की गई थी. इस पर वन विभाग ने बिलासपुर हाईकोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी अब भारत सरकार द्वारा हाथियों को बिजली करंट से बचाने के लिए कार्य करेगी. इसके लिए बिजली कंपनी ने निर्देश भी जारी किए हैं.

भारत सरकार की गाइडलाइंस करने दिया निर्देश : वन विभाग के शपथ पत्र देने के बाद बिलासपुर हाईकोर्ट ने रायपुर के नितिन सिंघवी द्वारा दायर जनहित याचिका का निराकरण किया है. मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी डी गुरु की युगलपीठ ने कहा है कि भारत सरकार की गाइडलाइंस का शब्दतः और मूल भावना में पालन किया जाए.

क्या है भारत सरकार की गाइडलाइंस : भारत सरकार की वर्ष 2016 की गाइडलाइंस के मुताबिक, हाथी जैसे वन्य प्राणियों को बिजली करंट से बचने के लिए हाथी की सूंड जहां तक जा सकती है, इतनी ऊंचाई तक विद्युत लाइन रखनी है. गौरतलब है कि पीछे के पांव पर खड़े होने पर और सूंड ऊपर उठाने पर एक व्यस्क हाथी की लंबाई 20 फीट तक हो सकती है.

गाइडलाइंस के अनुसार, हाथियों के लिए यह काम करेगी छत्तीसगढ़ की विद्युत वितरण कंपनी :

  • बिजली कंपनी हाथियों के मूवमेंट वाले वन क्षेत्र में विद्युत लाइन की ऊंचाई 20 फीट करने और विद्युत तारों को कवर्ड कंडक्टर में बदलने या अंडरग्राउंड केबल बिछाने के लिए कार्य करेगी.
  • बिजली कंपनी समय-समय पर झुकी हुई बिजली की लाइनों और बिजली के खम्बों को ठीक करने के अलावा बिजली के खम्बों पर 3 से 4 मीटर तक बारबेट वायर लगाएगी. ताकि वन्य प्राणी सुरक्षित रहे.
  • बिजली कंपनी हाथी विचरण क्षेत्र में बिजली कंपनी जंगली जानवरों के शिकार हेतु फैलाए जाने वाले स्थान और फसलों व घरों की सुरक्षा हेतु बनाए गए घेरे में विद्युत फैलाए जाने की नियमित जांच करेगी.
  • बिजली कंपनी अस्थाई पंप और अवैध विद्युत कनेक्शन की भी जांच करेगी. प्रोटेक्टेड एरिया अर्थात नेशनल पार्क, टाइगर रिजर्व, अभ्यारण, एलिफेंट कॉरिडोर में वन विभाग के साथ वर्ष में दो बार संयुक्त सर्वे करेगी.

वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की बैठक में हुआ फैसला : 26 जून 2024 को ऊर्जा विभाग, विद्युत वितरण कंपनी और वन विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई थी. इसमें फैसला लिया गया कि हाथियों को बिजली करंट से बचाने के लिए भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी गाइडलाइंस का पालन किया जावेगा. बैठक में निर्देश दिए गए की ऊर्जा विभाग बिजली के 11 केवी, 33 केवी लाइन और एलटी लाइन के झुके हुए तारों को कसने का काम, तार की ऊंचाई बढ़ाने का काम तथा वन क्षेत्र, हाथी रहवास, हाथी विचरण क्षेत्र में भूमिगत बिजली की लाइन बिछाने अथवा इंसुलेटेड केबल लगाने का कार्य करेंगे.

इसके बाद प्रधान मुख्य संरक्षण (वन्यप्राणी) द्वारा सितम्बर में बैठक ली गई. जिसमें बिजली कंपनी ने बताया कि पंप कनेक्शन के लिए केबल कार्य लगाने का कार्य जारी है. बेयर कंडेक्टर को कवर्ड कंडेक्टर में बदलने का कार्य चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा. वन विभाग ने 2333 लूज पॉइंट को चिन्हित किया है, जहां सुधार कार्य मार्च 2025 तक करा लिया जायेगा.

बिजली कंपनी ने मांगे थे 1674 करोड़ रुपए : हाथियों की बिजली करंट से हो रही मृत्यु को लेकर 2018 में सिंघवी द्वारा पहली जनहित याचिका दायर की गई. इसमें विद्युत वितरण कंपनी ने लगभग 8500 किलोमीटर 33 केवी, 11 केवी और निम्न दाब लाइनों की ऊंचाई बढ़ाने, बेयेर कंडक्टर के स्थान पर कवर्ड कंडक्टर और एबीसी केबल लगाने 1674 करोड़ रुपए की मांग वन विभाग से की थी. तब से दोनों विभाग खर्चा वहन करने के लिए एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे थे. इसको लेकर 2021 में फिर सिंघवी द्वारा जनहित याचिका दायर कर मांग की गई कि खर्चा कौन वहन करेगा, इसकी जवाबदारी तय की जाए.

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भारत सरकार की गाइडलाइंस करने दिया निर्देश : वन विभाग के शपथ पत्र देने के बाद बिलासपुर हाईकोर्ट ने रायपुर के नितिन सिंघवी द्वारा दायर जनहित याचिका का निराकरण किया है. मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी डी गुरु की युगलपीठ ने कहा है कि भारत सरकार की गाइडलाइंस का शब्दतः और मूल भावना में पालन किया जाए.

क्या है भारत सरकार की गाइडलाइंस : भारत सरकार की वर्ष 2016 की गाइडलाइंस के मुताबिक, हाथी जैसे वन्य प्राणियों को बिजली करंट से बचने के लिए हाथी की सूंड जहां तक जा सकती है, इतनी ऊंचाई तक विद्युत लाइन रखनी है. गौरतलब है कि पीछे के पांव पर खड़े होने पर और सूंड ऊपर उठाने पर एक व्यस्क हाथी की लंबाई 20 फीट तक हो सकती है.

गाइडलाइंस के अनुसार, हाथियों के लिए यह काम करेगी छत्तीसगढ़ की विद्युत वितरण कंपनी :

  • बिजली कंपनी हाथियों के मूवमेंट वाले वन क्षेत्र में विद्युत लाइन की ऊंचाई 20 फीट करने और विद्युत तारों को कवर्ड कंडक्टर में बदलने या अंडरग्राउंड केबल बिछाने के लिए कार्य करेगी.
  • बिजली कंपनी समय-समय पर झुकी हुई बिजली की लाइनों और बिजली के खम्बों को ठीक करने के अलावा बिजली के खम्बों पर 3 से 4 मीटर तक बारबेट वायर लगाएगी. ताकि वन्य प्राणी सुरक्षित रहे.
  • बिजली कंपनी हाथी विचरण क्षेत्र में बिजली कंपनी जंगली जानवरों के शिकार हेतु फैलाए जाने वाले स्थान और फसलों व घरों की सुरक्षा हेतु बनाए गए घेरे में विद्युत फैलाए जाने की नियमित जांच करेगी.
  • बिजली कंपनी अस्थाई पंप और अवैध विद्युत कनेक्शन की भी जांच करेगी. प्रोटेक्टेड एरिया अर्थात नेशनल पार्क, टाइगर रिजर्व, अभ्यारण, एलिफेंट कॉरिडोर में वन विभाग के साथ वर्ष में दो बार संयुक्त सर्वे करेगी.

वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की बैठक में हुआ फैसला : 26 जून 2024 को ऊर्जा विभाग, विद्युत वितरण कंपनी और वन विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई थी. इसमें फैसला लिया गया कि हाथियों को बिजली करंट से बचाने के लिए भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी गाइडलाइंस का पालन किया जावेगा. बैठक में निर्देश दिए गए की ऊर्जा विभाग बिजली के 11 केवी, 33 केवी लाइन और एलटी लाइन के झुके हुए तारों को कसने का काम, तार की ऊंचाई बढ़ाने का काम तथा वन क्षेत्र, हाथी रहवास, हाथी विचरण क्षेत्र में भूमिगत बिजली की लाइन बिछाने अथवा इंसुलेटेड केबल लगाने का कार्य करेंगे.

इसके बाद प्रधान मुख्य संरक्षण (वन्यप्राणी) द्वारा सितम्बर में बैठक ली गई. जिसमें बिजली कंपनी ने बताया कि पंप कनेक्शन के लिए केबल कार्य लगाने का कार्य जारी है. बेयर कंडेक्टर को कवर्ड कंडेक्टर में बदलने का कार्य चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा. वन विभाग ने 2333 लूज पॉइंट को चिन्हित किया है, जहां सुधार कार्य मार्च 2025 तक करा लिया जायेगा.

बिजली कंपनी ने मांगे थे 1674 करोड़ रुपए : हाथियों की बिजली करंट से हो रही मृत्यु को लेकर 2018 में सिंघवी द्वारा पहली जनहित याचिका दायर की गई. इसमें विद्युत वितरण कंपनी ने लगभग 8500 किलोमीटर 33 केवी, 11 केवी और निम्न दाब लाइनों की ऊंचाई बढ़ाने, बेयेर कंडक्टर के स्थान पर कवर्ड कंडक्टर और एबीसी केबल लगाने 1674 करोड़ रुपए की मांग वन विभाग से की थी. तब से दोनों विभाग खर्चा वहन करने के लिए एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे थे. इसको लेकर 2021 में फिर सिंघवी द्वारा जनहित याचिका दायर कर मांग की गई कि खर्चा कौन वहन करेगा, इसकी जवाबदारी तय की जाए.

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