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देशभर के बाजारों में नजर आएंगे आयुर्वेदिक नुस्खों से तैयार भोजन और स्नैक्स, इन बीमारियों को करेगी कम - UTTARAKHAND AYURVEDA CONFERENCE

प्रामाणिक आयुर्वेदिक नुस्खों से तैयार भोजन और स्नैक्स बाजार में उतरेगें. कई बीमारियों को कम करने में मदद मिलेगी.

UTTARAKHAND AYURVEDA CONFERENCE
विश्व आयुर्वेद सम्मेलन एवं आरोग्य एक्सपो 2024 (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 13, 2024, 10:10 PM IST

Updated : Dec 13, 2024, 10:53 PM IST

देहरादून: प्रामाणिक आयुर्वेदिक नुस्खों के अनुसार तैयार भोजन और स्नैक्स जल्द ही देशभर के बाजारों में नजर आएंगे. जिससे कुपोषण, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को कम करने में मदद मिलेगी. देहरादून में चल रहे 10 वें विश्व आयुर्वेद सम्मेलन (डब्ल्यूएसी) में 'आयुर्वेद आहार: फूड इज मेडिसिन, बट मेडिसिन इज नॉट फूड' (भोजन औषधि है, लेकिन औषधि भोजन नहीं है) विषय पर सत्र का आयोजन किया गया. इस दौरान आयुर्वेदिक भोजन और स्नैक्स के उत्पादन एवं मार्केटिंग के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति के सदस्यों ने ये जानकारी दी.

उच्च स्तरीय समिति के शामिल हैं ये सदस्य: उच्च स्तरीय समिति के सदस्यों में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद डीम्ड यूनिवर्सिटी जयपुर (एनआईएडीयू) के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मीता कोटेचा, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद, नई दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर तनुजा नेसारी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद जयपुर के प्रोफेसर अनुपम श्रीवास्तव शामिल रहे. ये समिति खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है.

एनआईएडीयू के पूर्व कुलपति प्रो. मीता कोटेचा ने कहा कि आयुर्वेदिक ग्रंथों का सख्ती से पालन करते हुए 700 व्यंजन और फॉर्मूलेशन होंगे. इसके अलावा कई अन्य व्यंजन भी होंगे, जो सशर्त परिवर्तन की अनुमति देंगे. ताकि, विविधता प्रदान की जा सके. मौजूदा मेगा फूड सेक्टर का मुकाबला किया जा सके, जो खरबों में कारोबार कर रहा है.

उन्होंने कहा कि ये पहल भारत के पारंपरिक खाद्य पदार्थों को पुनर्जीवित करेगी, जिन्होंने बाजार में अस्वास्थ्यकर प्रसंस्कृत उत्पादों (Unhealthy Processed Products) की बाढ़ ला दी है, जो लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. साथ ही कहा कि ये परियोजना आयुर्वेद आहार विनियम 2022 और कानून के तहत बनाए गए नियमों के तहत शुरू की गई थी. कानून और नियमों के तहत दिशा-निर्देश तैयारी के अंतिम चरण में हैं. जो जल्द ही धरातल पर नजर आएगा.

वर्तमान में बाजार में उपलब्ध अधिकांश आयुर्वेदिक खाद्य पदार्थ हर पहलू में चाहे वो प्रक्रिया हो, गुणवत्ता हो या सामग्री की मात्रा हो, प्रामाणिकता के परीक्षण में विफल होंगे. ये पहल सरकार को विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र की ओर से निर्धारित विकास लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा. साथ ही भूख, कुपोषण एवं मोटापे की समस्याओं से प्रभावी ढंग से निपटने में भी प्रमुख भूमिका निभाएगी.

वहीं, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद नई दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर तनुजा नेसारी ने कहा कि प्रस्तावित आयुर्वेद खाद्य खंड 'अवसरों का सागर' और सीमाहीन होगा. इस क्षेत्र को नवीनतम खाद्य प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने और पोषण विशेषज्ञों एवं आयुर्वेद विशेषज्ञों की मदद लेने की अनुमति दी जाएगी.

ताकि, योजना के तहत तैयार और विपणन किए जाने वाले भोजन एवं नमकीन में सदियों पुरानी भारतीय परंपराओं के आवश्यक सिद्धांत बरकरार रहें. विपणन फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) क्षेत्र की ओर से अपनाई जाने वाली प्रथाओं की तर्ज पर होगा, जो डोर डिलीवरी करने वाले फूड एग्रीगेटर्स का लाभ उठाएगा. यह भी सुनिश्चित करेगा कि ये खाद्य किस्में स्टार होटलों समेत सभी भोजनालयों में उपलब्ध हों.

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देहरादून: प्रामाणिक आयुर्वेदिक नुस्खों के अनुसार तैयार भोजन और स्नैक्स जल्द ही देशभर के बाजारों में नजर आएंगे. जिससे कुपोषण, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को कम करने में मदद मिलेगी. देहरादून में चल रहे 10 वें विश्व आयुर्वेद सम्मेलन (डब्ल्यूएसी) में 'आयुर्वेद आहार: फूड इज मेडिसिन, बट मेडिसिन इज नॉट फूड' (भोजन औषधि है, लेकिन औषधि भोजन नहीं है) विषय पर सत्र का आयोजन किया गया. इस दौरान आयुर्वेदिक भोजन और स्नैक्स के उत्पादन एवं मार्केटिंग के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति के सदस्यों ने ये जानकारी दी.

उच्च स्तरीय समिति के शामिल हैं ये सदस्य: उच्च स्तरीय समिति के सदस्यों में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद डीम्ड यूनिवर्सिटी जयपुर (एनआईएडीयू) के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मीता कोटेचा, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद, नई दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर तनुजा नेसारी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद जयपुर के प्रोफेसर अनुपम श्रीवास्तव शामिल रहे. ये समिति खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है.

एनआईएडीयू के पूर्व कुलपति प्रो. मीता कोटेचा ने कहा कि आयुर्वेदिक ग्रंथों का सख्ती से पालन करते हुए 700 व्यंजन और फॉर्मूलेशन होंगे. इसके अलावा कई अन्य व्यंजन भी होंगे, जो सशर्त परिवर्तन की अनुमति देंगे. ताकि, विविधता प्रदान की जा सके. मौजूदा मेगा फूड सेक्टर का मुकाबला किया जा सके, जो खरबों में कारोबार कर रहा है.

उन्होंने कहा कि ये पहल भारत के पारंपरिक खाद्य पदार्थों को पुनर्जीवित करेगी, जिन्होंने बाजार में अस्वास्थ्यकर प्रसंस्कृत उत्पादों (Unhealthy Processed Products) की बाढ़ ला दी है, जो लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. साथ ही कहा कि ये परियोजना आयुर्वेद आहार विनियम 2022 और कानून के तहत बनाए गए नियमों के तहत शुरू की गई थी. कानून और नियमों के तहत दिशा-निर्देश तैयारी के अंतिम चरण में हैं. जो जल्द ही धरातल पर नजर आएगा.

वर्तमान में बाजार में उपलब्ध अधिकांश आयुर्वेदिक खाद्य पदार्थ हर पहलू में चाहे वो प्रक्रिया हो, गुणवत्ता हो या सामग्री की मात्रा हो, प्रामाणिकता के परीक्षण में विफल होंगे. ये पहल सरकार को विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र की ओर से निर्धारित विकास लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा. साथ ही भूख, कुपोषण एवं मोटापे की समस्याओं से प्रभावी ढंग से निपटने में भी प्रमुख भूमिका निभाएगी.

वहीं, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद नई दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर तनुजा नेसारी ने कहा कि प्रस्तावित आयुर्वेद खाद्य खंड 'अवसरों का सागर' और सीमाहीन होगा. इस क्षेत्र को नवीनतम खाद्य प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने और पोषण विशेषज्ञों एवं आयुर्वेद विशेषज्ञों की मदद लेने की अनुमति दी जाएगी.

ताकि, योजना के तहत तैयार और विपणन किए जाने वाले भोजन एवं नमकीन में सदियों पुरानी भारतीय परंपराओं के आवश्यक सिद्धांत बरकरार रहें. विपणन फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) क्षेत्र की ओर से अपनाई जाने वाली प्रथाओं की तर्ज पर होगा, जो डोर डिलीवरी करने वाले फूड एग्रीगेटर्स का लाभ उठाएगा. यह भी सुनिश्चित करेगा कि ये खाद्य किस्में स्टार होटलों समेत सभी भोजनालयों में उपलब्ध हों.

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Last Updated : Dec 13, 2024, 10:53 PM IST
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