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बस्तर में बाढ़ बचाव की टीमें तैनात, SDRF ने किया मॉक ड्रिल, त्वरित मदद पहुंचाने के लिए बना प्लान - Preparation for flood in Bastar

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 1, 2024, 7:23 PM IST

SDRF deployed in Bastar बस्तर संभाग में मानसून के समय कई जिलों में बाढ़ की स्थिति निर्मित होती है. बाढ़ के कारण सैकड़ों गांवों का संपर्क जिला और संभाग मुख्यालय से टूट जाता है. बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, और सुकमा के कई गांव टापू में तब्दील हो जाते है. बारिश के दिनों अचानक आने वाले बाढ़ से निपटने के लिए एसडीआरएफ की टीम ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है.Preparation for flood in Bastar

Preparation for flood
बस्तर में बाढ़ बचाव की टीमें तैनात (ETV Bharat Chhattisgarh)

जगदलपुर : मॉनसून में भारी बारिश के बाद बीजापुर जिले का मिनगाचल गांव में नदी के किनारे स्थित सीआरपीएफ कैम्प के साथ ही आसपास के क्षेत्र डुबान की चपेट में आते हैं. इसके अलावा सुकमा जिले का कोंटा ब्लॉक मुख्यालय भी बैक वॉटर के कारण डूब जाता है. हर साल यह इलाका जलमग्न हो जाता है. यही नहीं सुकमा को बस्तर मुख्यालय से जोड़ने वाली एनएच 30 में कई जगहों पर भी बाढ़ का पानी आ जाता है. जिसके कारण आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाता है.

Preparation for flood
बाढ़ से पहले ही तैयारी (ETV Bharat Chhattisgarh)

नारायणपुर में बाढ़ आने से गांव बनते हैं टापू : नारायणपुर के कई हिस्से भी बाढ़ की चपेट में आते हैं. कुछ इलाके जिला मुख्यालय से कट जाते हैं. इसके अलावा संभाग मुख्यालय जगदलपुर से लगे दर्जनों गांव भी बाढ़ की वजह से मुख्यालय से कट जाते हैं. जगदलपुर शहर से लगे गणपति रिसॉर्ट और आसपास का क्षेत्र पूरी तरह डूब जाता है. इन सब परिस्थितियों के कारण अचानक नदी में बाढ़ का पानी बढ़ने से फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के एसडीआरएफ ने पूरी तैयारी कर ली है.एसडीआरएफ की टीम बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तैनात है.

Preparation for flood
बस्तर में बाढ़ बचाव की टीमें तैनात (ETV Bharat Chhattisgarh)


बाढ़ बचाओ टीम रहेगी तैनात : डिस्ट्रिक कमांडेंट संतोष मार्बल ने जानकारी देते हुए बताया कि बाढ़ बचाओ की टीम 12 महीने बस्तर में एक्टिव रहता है. बस्तर में कभी न कभी किसी न किसी रीति में आपदा आती रहती है. इसीलिए सभी जवान और एक्यूमेंट पूरी तरह तैयार रहता है. संभागीय आंकड़ों के मुताबिक हर जिले में 15-20 क्षेत्र बाढ़ प्रभावित रहता है. जिसकी सूची तैयार है. पूरे बस्तर संभाग के अंतर्गत 20 बोट है. हर जिले में 20-20 जवानों की टीम तैनात रहती है.

बस्तर में बाढ़ बचाव की टीमें तैनात (ETV Bharat Chhattisgarh)

''संभाग के बीजापुर और नारायणपुर सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित हैं. इस कारण इन जिलों में जवानों की संख्या लगभग 30-30 है. वहीं पहले बीजापुर में कम बोट हुआ करता था. लेकिन अब 5 बोट केवल बीजापुर में ही है. वहीं बैक वाटर की वजह से डूबने वाले NH 30 कोंटा में सुरक्षा के लिहाज से पहले ही टीम भेजी गई है.''- संतोष मार्बल, डिस्ट्रिक कमांडेंट


बाढ़ से पहले किया गया मॉक ड्रिल : बस्तर में बाढ़ से निपटने के लिए SDRF की टीम ने इंद्रावती नदी में बीते दिनों सफल मॉकड्रिल किया. इस दौरान बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने का अभ्यास किया गया. बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम ने बताया कि मानसून से पहले नगरसेना और बस्तर पुलिस की मदद से मानसून में होने वाले समस्याओं को देखा गया है.

''बाढ़ के दौरान लोगों को बचाने के लिए टीमें तैनात रहेंगी. इसके अलावा बाढ़ आपदा प्रबंधन के तरह से कंट्रोल रूम भी तैयार किया गया है. ताकि बाढ़ संबंधी, पानी संबंधी और जान माल के खतरा संबंधी कोई समस्याएं आती है. तो उसे पहुंचाने के लिए नम्बर जारी किया गया है. इसके अलावा बस्तरवासी से अपील करते हुए कहा कि बाढ़ व पानी से बचें. यदि ऐसी स्थित निर्मित होने पर कंट्रोल रूम को सूचित करें.'' विजय दयाराम, कलेक्टर बस्तर

बस्तर में हर साल बारिश के मौसम में गांव टापू बन जाते हैं.लेकिन इस बार बाढ़ से पहले ही एसडीआरएफ की टीमें डूबान क्षेत्रों को चिन्हित करके तैनात कर दी गई है.ताकि जब जलभराव हो तो जल्द से जल्द लोगों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया जा सके.

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जगदलपुर : मॉनसून में भारी बारिश के बाद बीजापुर जिले का मिनगाचल गांव में नदी के किनारे स्थित सीआरपीएफ कैम्प के साथ ही आसपास के क्षेत्र डुबान की चपेट में आते हैं. इसके अलावा सुकमा जिले का कोंटा ब्लॉक मुख्यालय भी बैक वॉटर के कारण डूब जाता है. हर साल यह इलाका जलमग्न हो जाता है. यही नहीं सुकमा को बस्तर मुख्यालय से जोड़ने वाली एनएच 30 में कई जगहों पर भी बाढ़ का पानी आ जाता है. जिसके कारण आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाता है.

Preparation for flood
बाढ़ से पहले ही तैयारी (ETV Bharat Chhattisgarh)

नारायणपुर में बाढ़ आने से गांव बनते हैं टापू : नारायणपुर के कई हिस्से भी बाढ़ की चपेट में आते हैं. कुछ इलाके जिला मुख्यालय से कट जाते हैं. इसके अलावा संभाग मुख्यालय जगदलपुर से लगे दर्जनों गांव भी बाढ़ की वजह से मुख्यालय से कट जाते हैं. जगदलपुर शहर से लगे गणपति रिसॉर्ट और आसपास का क्षेत्र पूरी तरह डूब जाता है. इन सब परिस्थितियों के कारण अचानक नदी में बाढ़ का पानी बढ़ने से फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के एसडीआरएफ ने पूरी तैयारी कर ली है.एसडीआरएफ की टीम बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तैनात है.

Preparation for flood
बस्तर में बाढ़ बचाव की टीमें तैनात (ETV Bharat Chhattisgarh)


बाढ़ बचाओ टीम रहेगी तैनात : डिस्ट्रिक कमांडेंट संतोष मार्बल ने जानकारी देते हुए बताया कि बाढ़ बचाओ की टीम 12 महीने बस्तर में एक्टिव रहता है. बस्तर में कभी न कभी किसी न किसी रीति में आपदा आती रहती है. इसीलिए सभी जवान और एक्यूमेंट पूरी तरह तैयार रहता है. संभागीय आंकड़ों के मुताबिक हर जिले में 15-20 क्षेत्र बाढ़ प्रभावित रहता है. जिसकी सूची तैयार है. पूरे बस्तर संभाग के अंतर्गत 20 बोट है. हर जिले में 20-20 जवानों की टीम तैनात रहती है.

बस्तर में बाढ़ बचाव की टीमें तैनात (ETV Bharat Chhattisgarh)

''संभाग के बीजापुर और नारायणपुर सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित हैं. इस कारण इन जिलों में जवानों की संख्या लगभग 30-30 है. वहीं पहले बीजापुर में कम बोट हुआ करता था. लेकिन अब 5 बोट केवल बीजापुर में ही है. वहीं बैक वाटर की वजह से डूबने वाले NH 30 कोंटा में सुरक्षा के लिहाज से पहले ही टीम भेजी गई है.''- संतोष मार्बल, डिस्ट्रिक कमांडेंट


बाढ़ से पहले किया गया मॉक ड्रिल : बस्तर में बाढ़ से निपटने के लिए SDRF की टीम ने इंद्रावती नदी में बीते दिनों सफल मॉकड्रिल किया. इस दौरान बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने का अभ्यास किया गया. बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम ने बताया कि मानसून से पहले नगरसेना और बस्तर पुलिस की मदद से मानसून में होने वाले समस्याओं को देखा गया है.

''बाढ़ के दौरान लोगों को बचाने के लिए टीमें तैनात रहेंगी. इसके अलावा बाढ़ आपदा प्रबंधन के तरह से कंट्रोल रूम भी तैयार किया गया है. ताकि बाढ़ संबंधी, पानी संबंधी और जान माल के खतरा संबंधी कोई समस्याएं आती है. तो उसे पहुंचाने के लिए नम्बर जारी किया गया है. इसके अलावा बस्तरवासी से अपील करते हुए कहा कि बाढ़ व पानी से बचें. यदि ऐसी स्थित निर्मित होने पर कंट्रोल रूम को सूचित करें.'' विजय दयाराम, कलेक्टर बस्तर

बस्तर में हर साल बारिश के मौसम में गांव टापू बन जाते हैं.लेकिन इस बार बाढ़ से पहले ही एसडीआरएफ की टीमें डूबान क्षेत्रों को चिन्हित करके तैनात कर दी गई है.ताकि जब जलभराव हो तो जल्द से जल्द लोगों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया जा सके.

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