रांचीः मनरेगा मजदूरों के हक के लिए झारखंड नरेगा वॉच और मनरेगा संघर्ष मोर्चा ने रांची में राजभवन के समक्ष प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड के मनरेगा मजदूर शामिल हुए. मनरेगा मजदूरों के साथ-साथ अलग-अलग राज्यों में मजदूरों के अधिकार की लड़ाई लड़ने वाले संगठन भी शामिल हुए हैं.
बिहार के मुजफ्फरपुर जिला से आईं महिला मनरेगा मजदूर मंडेश्वरी देवी एक कठपुतली लेकर आयी थीं. उन्होंने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि बिहार में मनरेगा मजदूरों की सबसे बड़ी समस्या ऑनलाइन हाजिरी बनाने से है. काम करने के बावजूद कई बार उनकी हाजिरी काट दी जाती है. क्योंकि गांव में मोबाइल का नेटवर्क नहीं रहता है.
लातेहार जिला से रांची राजभवन पहुंचीं अफसाना कहती हैं कि एक तो मनरेगा कर्मियों की मजदूरी कम है, वहीं 15 दिन में मजदूरी भुगतान की अनिवार्यता की जगह 6 से 8 महीने लग जाते हैं. उनका परिवार बड़ा है और साल में 100 दिन की मजदूरी से घर भी नहीं चलता है. ऐसे में मनरेगा मजदूरी बढ़ाने की जरूरत है. राजभवन के समक्ष मनरेगा मजदूरों के धरना प्रदर्शन में शामिल मनरेगा मजदूरों ने कहा कि मनरेगा कानून के तहत जो अधिकार उन्हें मिला है उनकी हकमारी हो रही है.
छत्तीसगढ़ में मनरेगा मजदूरों की लड़ाई बुलंद करने वाली संस्था छत्तीसगढ़ किसान मजदूर संगठन के नरेंद्र ने कहा कि झारखंड की राजधानी रांची में पांच राज्यों के मनरेगा मजदूरों को इसलिए बुलाया गया है क्योंकि राज्य में जल्द विधानसभा चुनाव होने वाला है. जिससे झारखंड और इसके आसपास के राज्यों के मनरेगा मजदूरों की एक जैसी समस्या के खिलाफ रांची से आवाज बुलंद हो.
दिसम्बर 2021 से मोदी सरकार ने पश्चिम बंगाल में मनरेगा का फंड नहीं दिया- नरेगा वॉच
मनरेगा मजदूरों की मांग को प्रमुखता से उठाने वाली संगठन "नरेगा वॉच" के कॉर्डिनेटर जेम्स हेरेंज कहते हैं कि जिन पांच राज्यों के मनरेगा मजदूर रांची पहुंचे हैं. उन राज्यों में मनरेगा मजदूरों की समस्या एक जैसी है. झारखंड में दो महीने से मनरेगा कर्मियों की हड़ताल चल रही है. बंगाल में भ्रष्टाचार की बात कहकर केंद्र सरकार ने दिसंबर 2021 से बंगाल में मनरेगा का फंड नहीं दिया है. एक्ट की धारा 27 में इसका प्रावधान भी है. लेकिन सवाल यह है कि भ्रष्टाचार का खामियाजा मजदूर क्यों भुगते. छत्तीसगढ़, बिहार और ओडिशा में भी मनरेगा मजदूरी कम है और काम की मजदूरी 15 दिन में नहीं मिलता.
मनरेगा मजदूरों का हक है, इसे नहीं छोड़ेंगे- ज्या द्रेज
मनरेगा मजदूरों की लड़ाई में हमेशा लगे रहने वाले समाजसेवी ज्यां द्रेज भी राजभवन धरना में शामिल होकर उनकी मांगों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि मनरेगा मजदूरों का हक है और कोई इसे छीन नहीं सकता. ज्यां द्रेज ने कहा कि भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई सुनिश्चित होना चाहिए.
ये है मनरेगा मजदूरों की मुख्य मांगें
इस कार्यक्रम में मनरेगा मजदूरी बढ़ाकर 800 रुपए करने, ऑनलाइन हाजिरी की बाध्यता खत्म करने, मनरेगा का बजट बढ़ाने, पश्चिम बंगाल में रोके गए मनरेगा फंड को फिर शुरू करने और मजदूरी का हर 15 दिन में भुगतान के नियम को कठोरता से पालन कराने की मांग की गई. इस संदर्भ में राजभवन को एक ज्ञापन भी सौंपा गया है. रविवार को नामकुम में मनरेगा मजदूरों का क्षेत्रीय सम्मेलन भी आयोजित की जाएगी.