बाड़मेर : जिला कलेक्टर टीना डाबी की ओर से नवो बाड़मेर अभियान की ओर से दिव्यांगजनों के लिए भी अनुकरणीय पहल की गई है. दिव्यांगजनों के लिए अक्टूबर में 'नवो बाड़मेर' समविन्त प्रयास, सशक्त समाज' अभियान चलाया गया. इस अभियान के पहले चरण का समापन सोमवार को बाड़मेर जिला मुख्यालय पर राज्य मंत्री केके बिश्नोई, शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी सहित कई जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में किया गया. इस दौरान दिव्यांग जनों में ट्राई साइकिल आदि का वितरण किया गया. इस विशेष अभियान के तहत बनाए गए दिव्यांगजनों के पोर्टल का भी राज्य मंत्री ने लोकार्पण किया.
राज्यमंत्री केके विश्नोई ने बताया कि बाड़मेर की धरती पर नवाचार देखने को मिल रहा है. ये दूरगामी सोच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की है. इसके तहत बजट में विशेष प्रावधान रखा गया है. उन्होंने बताया कि प्रदेश में भाजपा की संवेदनशील सरकार है, जो अपना काम कर रही है.
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जिला स्तर के अधिकारियों को शिविरों में भेजा: जिला कलेक्टर टीना डाबी ने बताया कि नवो बाड़मेर के तहत 'समन्वित प्रयास सशक्त समाज' अभियान पूरे अक्टूबर में चलाया गया. हर उपखंड पर दिव्यांगजनों के लिए शिविर आयोजित किए गए. इसके पीछे मुख्य उद्देश्य दिव्यांगजनों को सर्टिफिकेट बनाने में होने वाली कठिनाइयों को दूर करना था, इसलिए जिला स्तर के अधिकारियों को शिविरों में भेजा गया, ताकि वे सीधे दिव्यांगजनों से मिलकर उन्हें प्रमाण पत्र प्रदान कर सकें. उन्होंने बताया कि एक माह में सात हजार दिव्यांगजनों का रजिस्ट्रेशन किया गया, जबकि दो हजार लोगों को प्रमाण पत्र दिए गए. उन्होंने बताया कि इस अभियान के दौरान राज्य सरकार ने बाड़मेर के लिए विशेष बजट स्वीकृत किया था.आदर्श स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान 112 ट्राई साइकिल, 47 व्हीलचेयर, 34 श्रवण यंत्र, 138 वैशाखी एवं 27 ब्लाइंड स्टिक वितरित की गई.
दिव्यांगों के लिए विशेष पोर्टल लॉन्चः कार्यक्रम में बाड़मेर जिला प्रशासन की ओर से दिव्यांगजनों को समुचित जानकारी उपलब्ध कराने के लिए बनाए गए वेब पोर्टल लॉन्च किया गया. जिला कलक्टर टीना डाबी ने बताया कि इस वेब पोर्टल से दिव्यांगजनों को एक ही स्थान पर सुगम और सुलभ जानकारी उपलब्ध मिल सकेगी.
बाड़मेर मॉडल होगा प्रदेश हर जिले में लागू: जिला कलेक्टर ने बताया कि राज्य सरकार से हमें बहुत बड़ा मोटिवेशन मिला है. राजस्थान के सामाजिक न्याय अधिकारिता के निदेशक से बातचीत में यह भी पता चला है कि वे बाड़मेर मॉडल को हर जिले में लागू करने की दिशा में सोच रहे हैं.