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पराली जलाने वाले किसानों पर FIR, सरकार की ओर से मिलने वाले लाभ पर DM ने लगायी रोक - NALANDA STUBBLE BURNING

नालंदा में पराली जलाना किसान को महंगा पड़ गया. उसके खिलाफ FIR दर्ज करने के साथ साथ सरकारी योजना पर भी रोक लगायी गयी है.

Stubble Burning  in Nalanda
खेतों में जलते पराली (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 30, 2024, 2:30 PM IST

Updated : Nov 30, 2024, 3:18 PM IST

पटनाः पराली जलाना प्रदूषण का कारण है. इसके बावजूद किसानों ने गलती कर दी. इस गलती के कारण 10 किसानों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है. नालंदा जिला प्रशासन ने ऐसे 10 किसानों को मिलने वाली सरकारी योजना के लाभ से वंचित कर दिया गया है. एक किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है.

एक बीघे की पराली जलायाः मामला हरनौत प्रखंड के चखमिंद गांव का है. खेत में धान की कटाई के बाद एक बिगहा की पराली जला दिया गया. बिहारशरीफ अनुमंडल कृषि पदाधिकारी ने किसान रामजी सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. यह कार्रवाई पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को रोकने और किसानों को जागरूक करने के लिए की गई है. मामले को लेकर चेरो ओपी थाना प्रभारी विकेश कुमार ने पुष्टि की है.

नालंदा डीएम शशांक शुभंकर (ETV Bharat)

"जिले जिले के चखाविंद गांव के एक किसान द्वारा पराली जलाने का मामला सामने आया है. जिलाधिकारी के निर्देश के बाद सैटेलाइट इमेज के आधार पर पुष्टि हुई. मामला दर्ज किया गया है.'' -विकेश कुमार, थाना प्रभारी, चेरो ओपी

10 किसानों का डीबीटी बाधित: इस मामले में नालंदा डीएम शशांक शुभंकर ने बताया कि जिले में जहां भी पराली जलाने की घटनाएं हो रही हैं, वहां किसानों को नोटिस जारी किया जाता है. सबसे पहले पराली जलाने वाले किसानों का डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) बाधित किया जाता है. यह सरकार की योजनाओं के तहत दिया जाता है. इस वर्ष अब तक 10 किसानों का डीबीटी बाधित किया गया है.

"जो किसान बड़े पैमाने पर पराली जला रहे हैं और निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा रही है. पराली जलाने के मामलों में लापरवाही बरतने वाले किसान सलाहकारों और कृषि समन्वयकों पर भी कार्रवाई की जा रही है." -शशांक शुभंकर, नालंदा डीएम

क्या कहता है जिला प्रशासन? जिला प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि पराली जलाने से बचें. इसके प्रबंधन के लिए वैकल्पिक उपाय अपनाएं. इससे न केवल पर्यावरण सुरक्षित रहेगा बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेगी. लोगों में जागरूकता बढ़ाने और पराली जलाने से रोकथाम के लिए पोस्टर, बैनर, और पैम्फलेट्स के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. किसान गोष्ठियों का आयोजन कर वैकल्पिक उपायों के बारे में बताया जा रहा है.

Stubble Burning  in Nalanda
पराली जलाते किसान (ETV Bharat)

पराली का इस्तेमाल: पराली में आग लगाने से बेहतर से उसे खेतों में ही जोतकर मिला दिया जाए. बारिश के बाद पराली गल जाएगा, जिससे खेतों में खाद बनेगा. इससे प्रदूषण भी कम होगा. इसके अलावे इसका इस्तेमाल मवेशी के चारा के रूप में कर सकते हैं.

यह भी पढ़ेंः मसौढ़ी में अगलगी से अंजान किसान खेतों मे जला रहे हैं पराली, मिट्टी और पर्यावरण को भी नुकसान

पटनाः पराली जलाना प्रदूषण का कारण है. इसके बावजूद किसानों ने गलती कर दी. इस गलती के कारण 10 किसानों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है. नालंदा जिला प्रशासन ने ऐसे 10 किसानों को मिलने वाली सरकारी योजना के लाभ से वंचित कर दिया गया है. एक किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है.

एक बीघे की पराली जलायाः मामला हरनौत प्रखंड के चखमिंद गांव का है. खेत में धान की कटाई के बाद एक बिगहा की पराली जला दिया गया. बिहारशरीफ अनुमंडल कृषि पदाधिकारी ने किसान रामजी सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. यह कार्रवाई पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को रोकने और किसानों को जागरूक करने के लिए की गई है. मामले को लेकर चेरो ओपी थाना प्रभारी विकेश कुमार ने पुष्टि की है.

नालंदा डीएम शशांक शुभंकर (ETV Bharat)

"जिले जिले के चखाविंद गांव के एक किसान द्वारा पराली जलाने का मामला सामने आया है. जिलाधिकारी के निर्देश के बाद सैटेलाइट इमेज के आधार पर पुष्टि हुई. मामला दर्ज किया गया है.'' -विकेश कुमार, थाना प्रभारी, चेरो ओपी

10 किसानों का डीबीटी बाधित: इस मामले में नालंदा डीएम शशांक शुभंकर ने बताया कि जिले में जहां भी पराली जलाने की घटनाएं हो रही हैं, वहां किसानों को नोटिस जारी किया जाता है. सबसे पहले पराली जलाने वाले किसानों का डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) बाधित किया जाता है. यह सरकार की योजनाओं के तहत दिया जाता है. इस वर्ष अब तक 10 किसानों का डीबीटी बाधित किया गया है.

"जो किसान बड़े पैमाने पर पराली जला रहे हैं और निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा रही है. पराली जलाने के मामलों में लापरवाही बरतने वाले किसान सलाहकारों और कृषि समन्वयकों पर भी कार्रवाई की जा रही है." -शशांक शुभंकर, नालंदा डीएम

क्या कहता है जिला प्रशासन? जिला प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि पराली जलाने से बचें. इसके प्रबंधन के लिए वैकल्पिक उपाय अपनाएं. इससे न केवल पर्यावरण सुरक्षित रहेगा बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेगी. लोगों में जागरूकता बढ़ाने और पराली जलाने से रोकथाम के लिए पोस्टर, बैनर, और पैम्फलेट्स के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. किसान गोष्ठियों का आयोजन कर वैकल्पिक उपायों के बारे में बताया जा रहा है.

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पराली जलाते किसान (ETV Bharat)

पराली का इस्तेमाल: पराली में आग लगाने से बेहतर से उसे खेतों में ही जोतकर मिला दिया जाए. बारिश के बाद पराली गल जाएगा, जिससे खेतों में खाद बनेगा. इससे प्रदूषण भी कम होगा. इसके अलावे इसका इस्तेमाल मवेशी के चारा के रूप में कर सकते हैं.

यह भी पढ़ेंः मसौढ़ी में अगलगी से अंजान किसान खेतों मे जला रहे हैं पराली, मिट्टी और पर्यावरण को भी नुकसान

Last Updated : Nov 30, 2024, 3:18 PM IST
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