ETV Bharat / state

फाइनेंस कमीशन के ध्यान में है मुफ्त की रेवड़ियां व OPS, पिछले वित्त आयोग ने आपदा पर नहीं समझी हिमाचल की जरूरतें - Finance Commission meeting - FINANCE COMMISSION MEETING

Finance Commission meeting: शिमला में सोमवार को सरकार के साथ बैठक के बाद वित्त आयोग के चेयरमैन डॉ. अरविंद पनगढ़िया व उनकी टीम ने मीडिया के साथ बातचीत की. उन्होंने कहा पहाड़ी राज्य की अपनी दिक्कतें होती हैं. मैदानी राज्यों के मुकाबले यहां निर्माण की लागत अधिक है.

डॉ. पनगढ़िया, वित्तायोग के चेयरमैन
डॉ. पनगढ़िया, वित्तायोग के चेयरमैन (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 24, 2024, 7:38 PM IST

Updated : Jun 25, 2024, 6:42 AM IST

शिमला: राजनीतिक दलों में मुफ्त की रेवड़ियां बांटने की प्रवृति से खजाने पर पड़ने वाले बोझ को लेकर 16वां वित्त आयोग गंभीर है. इसके साथ ही कई राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने से सरकारी कोष पर पड़ रहा विपरीत प्रभाव भी वित्त आयोग के ध्यान में है. सोलहवें वित्त आयोग ने अपने गठन के बाद सबसे पहले हिमाचल का दौरा किया है. शिमला में सोमवार को सरकार के साथ बैठक के बाद वित्त आयोग के चेयरमैन डॉ. अरविंद पनगढ़िया व उनकी टीम ने मीडिया के साथ बातचीत की.

डॉ. पनगढ़िया, वित्तायोग के चेयरमैन (ETV Bharat)

इस दौरान हिमाचल की जरूरतों और आने वाले समय में वित्त आयोग की संभावित सिफारिशों से जुड़े सवालों पर डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि पहाड़ी राज्य की अपनी दिक्कतें होती हैं. मैदानी राज्यों के मुकाबले यहां निर्माण की लागत अधिक है. डॉ. पनगढ़िया ने एक सवाल के जवाब में कहा कि फ्री बीज और ओपीएस का असर किसी न किसी रूप में वित्तीय हालात पर पड़ता है. हिमाचल प्रदेश में आपदा के दौरान पिछले फाइनेंस कमीशन ने डिजास्टर रिलीफ इंडेक्स (डीआरआई) को प्रयोग किया था, वो पहाड़ी राज्य के अनुकूल नहीं था.

पहाड़ी राज्य में आपदा का प्रभाव अलग होता है. ऐसे में हिमाचल के कुछ इश्यूज डिजास्टर रिलीफ इंडेक्स में उचित रूप से समाहित नहीं हुए थे. डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि सोलहवें वित्त आयोग के पास अभी अक्टूबर 2025 तक का समय है. सभी राज्यों का दौरा करने के बाद वित्त आयोग अपनी सिफारिशें देगा. ये सिफारिशें वित्तीय वर्ष 2026-27 से लेकर 2030-31 तक प्रभावी होंगी.

डॉ. पनगढ़िया ने कहा वित्त आयोग की टीम की राज्य सरकार के साथ मैराथन मीटिंग हुई है. इस दौरान हिमाचल सरकार ने 90 स्लाइड्स पर आधारित लंबी प्रेजेंटेशन दी है. वित्त आयोग ने सरकार का पक्ष व हिमाचल की जरूरतों को अच्छी तरह से समझा है. वित्त आयोग ने स्वीकार किया कि मैदानी इलाकों के मुकाबले यहां कंस्ट्रक्शन कठिन है. इस दौरान एक सवाल के जवाब में राज्य के वित्त सचिव अभिषेक जैन ने बताया कि चूंकि बरसात का सीजन सिर पर है और हिमाचल में बारिश के कारण आवागमन बाधित होता है. लिहाजा वित्त आयोग ने राज्य के आग्रह पर सबसे पहले यहां का दौरा किया है.

डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि वित्त आयोग एक न्यूट्रल बॉडी है और हर कमीशन के मापंदड अलग होते हैं. मौजूदा वित्त आयोग का पिछले वित्त आयोग से कोई लिंक नहीं है और अगले वित्त आयोग से इस कमीशन का कोई लेना-देना नहीं है. हर बार राज्यों की परिस्थितियों के हिसाब से सिफारिशें होती हैं. सभी राज्यों का दौरा करना और वहां की वित्तीय जरूरतों को समझना एक बड़ा और जिम्मेदारी से पूर्ण काम है साथ ही ये भी कहा कि राजस्व घाटा अनुदान को लेकर हर वित्त आयोग की अलग-अलग एप्रोच होती है. हिमाचल सरकार का कंसर्न यही था कि राज्य को रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में अच्छी-खासी बढ़ोतरी होनी चाहिए.

पंद्रहवें वित्त आयोग ने हिमाचल को पहले के मुकाबले 45 फीसदी अधिक रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट की सिफारिश की थी फिर ये हर साल घटती रही. अब हिमाचल को केवल 300 करोड़ रुपये से कुछ अधिक ही आरडीजी मिल रही है. मौजूदा सरकार का कहना है कि राज्य की जरूरतों को देखते हुए उदार आर्थिक सहायता का आग्रह किया गया है.

वहीं, वित्त आयोग के मुखिया ने कहा कि उनकी टीम का काम राज्य की जरूरतों को सुनना और समझना है. उसी के अनुसार आगे की दिशा तय की जाती है. वित्त आयोग की टीम ने पहले राज्य सरकार के साथ बैठक की और फिर स्थानीय निकायों, उद्योग जगत व राजनीतिक दलों को सुना. वित्त आयोग की टीम राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर है.

ये भी पढ़ें: जयराम की कुंडली में ग्रहों की तरह बैठे हैं बागी, बीजेपी के लिए साबित होंगे भस्मासुर: प्रेम कौशल

शिमला: राजनीतिक दलों में मुफ्त की रेवड़ियां बांटने की प्रवृति से खजाने पर पड़ने वाले बोझ को लेकर 16वां वित्त आयोग गंभीर है. इसके साथ ही कई राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने से सरकारी कोष पर पड़ रहा विपरीत प्रभाव भी वित्त आयोग के ध्यान में है. सोलहवें वित्त आयोग ने अपने गठन के बाद सबसे पहले हिमाचल का दौरा किया है. शिमला में सोमवार को सरकार के साथ बैठक के बाद वित्त आयोग के चेयरमैन डॉ. अरविंद पनगढ़िया व उनकी टीम ने मीडिया के साथ बातचीत की.

डॉ. पनगढ़िया, वित्तायोग के चेयरमैन (ETV Bharat)

इस दौरान हिमाचल की जरूरतों और आने वाले समय में वित्त आयोग की संभावित सिफारिशों से जुड़े सवालों पर डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि पहाड़ी राज्य की अपनी दिक्कतें होती हैं. मैदानी राज्यों के मुकाबले यहां निर्माण की लागत अधिक है. डॉ. पनगढ़िया ने एक सवाल के जवाब में कहा कि फ्री बीज और ओपीएस का असर किसी न किसी रूप में वित्तीय हालात पर पड़ता है. हिमाचल प्रदेश में आपदा के दौरान पिछले फाइनेंस कमीशन ने डिजास्टर रिलीफ इंडेक्स (डीआरआई) को प्रयोग किया था, वो पहाड़ी राज्य के अनुकूल नहीं था.

पहाड़ी राज्य में आपदा का प्रभाव अलग होता है. ऐसे में हिमाचल के कुछ इश्यूज डिजास्टर रिलीफ इंडेक्स में उचित रूप से समाहित नहीं हुए थे. डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि सोलहवें वित्त आयोग के पास अभी अक्टूबर 2025 तक का समय है. सभी राज्यों का दौरा करने के बाद वित्त आयोग अपनी सिफारिशें देगा. ये सिफारिशें वित्तीय वर्ष 2026-27 से लेकर 2030-31 तक प्रभावी होंगी.

डॉ. पनगढ़िया ने कहा वित्त आयोग की टीम की राज्य सरकार के साथ मैराथन मीटिंग हुई है. इस दौरान हिमाचल सरकार ने 90 स्लाइड्स पर आधारित लंबी प्रेजेंटेशन दी है. वित्त आयोग ने सरकार का पक्ष व हिमाचल की जरूरतों को अच्छी तरह से समझा है. वित्त आयोग ने स्वीकार किया कि मैदानी इलाकों के मुकाबले यहां कंस्ट्रक्शन कठिन है. इस दौरान एक सवाल के जवाब में राज्य के वित्त सचिव अभिषेक जैन ने बताया कि चूंकि बरसात का सीजन सिर पर है और हिमाचल में बारिश के कारण आवागमन बाधित होता है. लिहाजा वित्त आयोग ने राज्य के आग्रह पर सबसे पहले यहां का दौरा किया है.

डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि वित्त आयोग एक न्यूट्रल बॉडी है और हर कमीशन के मापंदड अलग होते हैं. मौजूदा वित्त आयोग का पिछले वित्त आयोग से कोई लिंक नहीं है और अगले वित्त आयोग से इस कमीशन का कोई लेना-देना नहीं है. हर बार राज्यों की परिस्थितियों के हिसाब से सिफारिशें होती हैं. सभी राज्यों का दौरा करना और वहां की वित्तीय जरूरतों को समझना एक बड़ा और जिम्मेदारी से पूर्ण काम है साथ ही ये भी कहा कि राजस्व घाटा अनुदान को लेकर हर वित्त आयोग की अलग-अलग एप्रोच होती है. हिमाचल सरकार का कंसर्न यही था कि राज्य को रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में अच्छी-खासी बढ़ोतरी होनी चाहिए.

पंद्रहवें वित्त आयोग ने हिमाचल को पहले के मुकाबले 45 फीसदी अधिक रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट की सिफारिश की थी फिर ये हर साल घटती रही. अब हिमाचल को केवल 300 करोड़ रुपये से कुछ अधिक ही आरडीजी मिल रही है. मौजूदा सरकार का कहना है कि राज्य की जरूरतों को देखते हुए उदार आर्थिक सहायता का आग्रह किया गया है.

वहीं, वित्त आयोग के मुखिया ने कहा कि उनकी टीम का काम राज्य की जरूरतों को सुनना और समझना है. उसी के अनुसार आगे की दिशा तय की जाती है. वित्त आयोग की टीम ने पहले राज्य सरकार के साथ बैठक की और फिर स्थानीय निकायों, उद्योग जगत व राजनीतिक दलों को सुना. वित्त आयोग की टीम राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर है.

ये भी पढ़ें: जयराम की कुंडली में ग्रहों की तरह बैठे हैं बागी, बीजेपी के लिए साबित होंगे भस्मासुर: प्रेम कौशल

Last Updated : Jun 25, 2024, 6:42 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.