कानपुर: आप सभी ने बचपन मे पतंग तो खूब उड़ाई होगी. लेकिन, अब पतंगबाजी का क्रेज, धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है. ऐसे में बच्चे और युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए पतंगबाजी पर आधारित एक फिल्म बनाई गई है. इस फिल्म का नाम 'गबरू गैंग' है. शनिवार को कानपुर पहुंचे फिल्म के डायरेक्टर समीर खान ने बताया कि, 'गबरू गैंग' एक स्पोर्ट्स फिल्म है. इस फिल्म के जरिए पतंगबाजी के खेल को प्रोत्साहित किया गया है. अभी तक इस फिल्म को काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला है. बच्चे हों या फिर युवा इस फिल्म को काफी पसंद किया जा रहा है.
ईटीवी भारत संवाददाता से विशेष बातचीत के दौरान फिल्म के डायरेक्टर समीर खान ने बताया कि, गबरू गैंग ऐसी फिल्म है. जो पतंगबाजी पर आधारित है. कई बार फिल्मों में पतंग के छोटे-शॉट का उपयोग किया गया है. लेकिन, पतंगबाजी पर पूरी फिल्म पहली बार बनी है. इस फिल्म को बनाने में उन्हें काफी समय भी लग गया. इस फिल्म की कहानी करीब 6 महीने में तैयार हुई और यह फिल्म अब सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. जिसे दर्शकों के द्वारा काफी ज्यादा पसंद किया जा रहा है.
4 देशों में रिलीज हुई फिल्म गबरू गैंग: फिल्म के डायरेक्टर समीर खान ने बताया कि, इस फिल्म को बीती 26 अप्रैल को भारत के साथ-साथ यूएई, अमेरिका और कनाडा के बड़े पर्दे पर रिलीज किया गया है. फिल्म रिलीज होने के बाद पूरे देश में काफी जमकर धूम मचा रही है. इस फिल्म को कानपुर के रहने वाले और दुबई में इंटरग्लोब के प्रबंध निदेशक विवेक सिन्हा के साथ मिलकर इस फिल्म को तैयार किया गया है. इस फिल्म के माध्यम से लोगों को एक बड़ा सन्देश देना का काम किया गया है. आज कल के इस डिजिटल युग मे बच्चे हों या बड़े हर कोई सोशल मीडिया या फिर मोबाइल गेमिंग व्यस्त है. हम सभी बचपन ने खूब पतंग उड़ाई है और लूटी भी. लेकिन, अब यह पतंगबाजी का क्रेज धीरे-धीरे गायब होता नजर आ रहा है. ऐसे में जब बच्चे हो या फिर युवा सभी इस फिल्म को देखेंगे तो उनमें एक बार फिर से रूचि बढ़ेगी.
अमृतसर और मुंबई में हुई फिल्म की शूटिंग : ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान फिल्म के डायरेक्टर समीर खान ने बताया कि, इस फिल्म को तैयार करने में 50 दिन का समय लगा है. इसमें 45 दिन फिल्म की शूटिंग अमृतसर के अलग-अलग स्थानों पर की गई है. जबकि, 5 दिन की शूटिंग मुंबई के अलग-अलग स्थानों पर की गई है. इस फिल्म को जल्द ही कई अन्य देशों में भी लॉन्च करने का प्रोग्राम किया जा रहा है, जिसकी तैयारियां भी शुरू कर दी गई है. एक दिन जब मैं अमृतसर में था, तो मैं आसमान में कुछ पतंग को उड़ते हुए देखा.
इसके बाद मेरे मन में ख्याल आया क्यों ना पतंगबाजी पर आधारित एक फिल्म बनाई जाए और बस इसके बाद में इस फिल्म को तैयार करने में लग गया था. उनका कहना है, कि अगर पतंगबाजी के खेल को आगे लाया जाए और इसे ओलंपिक में शामिल कर दिया जाए तो जाहिर सी बात है जो इस खेल के प्रति लोगों की जागरूकता और रुचि दोनों ही बढ़ेगी. इस फिल्म में अभिषेक दुहान ने एक खिलाड़ी के भावना को बखूबी दर्शाया है. इस फिल्म के माध्यम से खेल और उसकी भावनाओं के बारे में बताना का प्रयास किया गया है.
आइए जानते हैं क्या है फिल्म की कहानी? : डायरेक्टर समीर खान ने बताया कि, इस फिल्म में तीन दोस्त हैं. खास बात है, ये तीनों दोस्त अलग-अलग मजहब के हैं. इनके नाम अरशद, उदय और राजवीर हैं. पहले की जो फिल्में बनती थीं उसमें हिन्दू-मुस्लिम की एक भाई की तरह दर्शाए जाते थे. हालांकि की अब कुछ फिल्मों में इसका विपरीत दिखाया जाता है. मुझे इस फिल्म के माध्यम से यह संदेश देना था, कि आप हिंदुस्तान के किसी भी कोने में चले जाएं वह हिन्दू हों या मुस्लिम दोनों की बीच कोई समस्या नहीं है. दोनों ही साथ में खाना खा रहे हैं. एक दूसरे के साथ हंसी मजाक भी कर रहे हैं.
इस फिल्म के जरिए हमने दिखाया कि दोनों की बीच कितनी प्यार और एकता है. इस फिल्म को तैयार करने में काफी ज्यादा खर्च आया है. उन्होंने बताया कि, यह फिल्म बिल्कुल नई है और इसका कॉन्सपेट भी नया है. दुबई में मेरी मुलाकात जब विवेक सिन्हा से हुई तो मैंने इस स्टोरी के बारे में उनको बताया तो उन्हें फिल्म की स्टोरी काफी ज्यादा पसंद आई, जिसके बाद उन्होंने फिल्म को रिलीज करने के लिए कहा और उन्हीं की वजह से यह फिल्म सिनेमाघरों तक पहुंच सकी है.
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