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माफिया अनुपम दुबे के फरार भाई के खिलाफ दर्ज केस की फाइल पुलिस चौकी से ही गायब, थानेदार और दरोगा सस्पेंड - FARRUKHABAD SHO INSPECTOR SUSPENDED

अनुराग दुबे और उसके साथियों के खिलाफ दर्ज कराई गई थी धोखाधड़ी की रिपोर्ट, अब जांच शुरू

फर्रुखाबाद में थानाध्यक्ष और दरोगा को लापरवाही में सस्पेंड किया गया.
फर्रुखाबाद में थानाध्यक्ष और दरोगा को लापरवाही में सस्पेंड किया गया. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 17, 2024, 12:55 PM IST

Updated : Oct 17, 2024, 3:39 PM IST

फर्रुखाबाद : जेल में बंद माफिया अनुपम दूबे के फरार भाई अनुराग दूबे व उसके साथियों के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के मुकदमे की पत्रावली पुलिस चौकी से ही गायब हो गई. मामला संज्ञान में आने के बाद अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ चोरी का मुकदमा दर्ज कर लापरवाही बरतने वाले चौकी प्रभारी बीबीगंड व मऊदरवाजा थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया है. साथ ही इस प्रकरण की जांच शुरू करा दी गई है.

गायब हो गई धोखाधड़ी की फाइल: रिपोर्ट के मुताबिक मऊदरवाजा थाने में तैनात दरोगा बलवीर सिंह ने 2 अक्टूबर को गैंगस्टर के मुकदमे में फरार 25 हजार के इनामी अनुराग दुबे उर्फ डब्बन, ब्रजेन्द्र मोहन अग्निहोत्री, नोटरी कर्ता राजीव कुमार (निवासी गोला कोहना, फतेहगढ़), स्टाम्प पेपर विक्रेता ज्ञान प्रकाश गुप्ता निवासी याकूतगंज के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था. जिसकी फाइल गायब हो गई.

माफिया अनुपम दुबे और उसका भाई डब्बन.
माफिया अनुपम दुबे और उसका भाई डब्बन. (Photo Credit; ETV Bharat)

अज्ञात के खिलाफ मुकदमा: दरोगा बलवीर के मुताबिक जिसके सभी दस्तावेज विवेचक उपनिरीक्षक स्वदेश कुमार को दे दिए गए थे. 11 अक्टूबर को जब डब्बन के मुकदमे की फाइल फोटो कॉपी के लिए मांगी तो स्वदेश कुमार ने बताया कि फाइल बीबीगंज पुलिस चौकी से किसी अज्ञात ने चोरी कर ली. इसके बाद 14 अक्टूबर को मऊदरवाजा थाने में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया.

दरोगा और थानेदार सस्पेंड: इस मामले में दरोगा स्वदेश कुमार भोलेंद्र चतुर्वेदी की लापरवाही सामने आई है, जिसके बाद एसपी आलोक प्रियदशी के आदेश पर दोनों को सस्पेंड कर दिया गया है. इसके साथ ही मामले की विभागीय जांच के आदेश दिए हैं. पत्रावली गायब होने के मुकदमे की जांच कादरी गेट थाना प्रभारी अमोद सिंह को सौंपी गई है. अमोद कुमार सिंह ने बताया कि निलंबन की कार्रवाई उच्च अधिकारियों ने की है. उन्होंने जांच शुरू कर दी है. कई बिंदुओं पर जांच चल रही है. जल्द ही घटना का अनावरण किया जाएगा.

अनुपम दुबे को इंस्पेक्टर की हत्या में मिला है आजीवन कारावास

उत्तर प्रदेश पुलिस के निरीक्षक रामनिवास यादव की हत्या को अंजाम देने के मामले में माफिया अनुपम दुबे को पिछले साल दिसंबर 27 साल बाद आजीवन कारावास की सजा मिली थी. मोहम्मदाबाद ब्लॉक के ग्राम सहसापुर का रहने वाला माफिया अनुपम दुबे 36 साल से आपराधिक दुनिया में है. अनुपम दुबे पर अलग-अलग थानों में करीब 63 मुकदमे दर्ज हैं. इनमें हत्या, जमीन पर कब्जा और फिरौती मुख्य है. अनुपम दुबे के खिलाफ पुलिस अब तक 113 करोड़ से अधिक रुपये की प्रॉपर्टी कुर्क कर चुकी है.

अनुपम दुबे का अपराधिक इतिहास: पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार अनुपम दुबे ने साल 1987 में अपराध जगत में अपना कदम रखा. 20 जून 1991 में मैनपुरी के थाना बेबर में ओमप्रकाश सिंह यादव की हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था. उसमें अनुपम दुबे और उसका साथी नेम कुमार उर्फ बिलैया भी आरोपी था. उसके बाद 12 जून 1992 को फतेहगढ़ के करन सिंह कटियार पर जानलेवा हमला किया गया. इसमें अनुपम दुबे और उसके साथी बिलैया का नाम आया. 4 अगस्त 1994 में करन सिंह कटियार की कानपुर स्वरूप नगर थाना क्षेत्र में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.उसके बाद अनुपम दुबे ने 14 में 1996 इंस्पेक्टर हत्याकांड को अंजाम दिया. उसके बाद से अनुपम दुबे रौब बढ़ता गया. अनुपम दुबे पर अब तक कुल 63 अपराधिक मुकदमें अलग अलग जनपदों में विभिन्न धाराओं में दर्ज हुये है. जिनमें मुख्य रूप से हत्या, डकैती, जमीन पर कब्जा धोखाधड़ी, रंगदारी वसूली, फिरौती आदि के अपराध हैं.

25 हजार का इनामी है डब्बन: अनुराग दुबे उर्फ डब्बन पर पुलिस ने 25 हजार का इनाम घोषित किया है. माफिया का भाई काफी समय से फरार चल रहा है.उसे पर गैंगस्टर और रंगदारी मांगने का मामला दर्ज है. यह मामला फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र में दर्ज हुआ था. कासगंज जेल से जमानत पर छूटने के बाद से अनुराग दुब उर्फ डब्बन फरार चल रहा है.

यह भी पढ़ें : ऐप से करता था ठगी, फर्रुखाबाद पुलिस ने साइबर क्रिमिनल को किया अरेस्ट

फर्रुखाबाद : जेल में बंद माफिया अनुपम दूबे के फरार भाई अनुराग दूबे व उसके साथियों के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के मुकदमे की पत्रावली पुलिस चौकी से ही गायब हो गई. मामला संज्ञान में आने के बाद अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ चोरी का मुकदमा दर्ज कर लापरवाही बरतने वाले चौकी प्रभारी बीबीगंड व मऊदरवाजा थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया है. साथ ही इस प्रकरण की जांच शुरू करा दी गई है.

गायब हो गई धोखाधड़ी की फाइल: रिपोर्ट के मुताबिक मऊदरवाजा थाने में तैनात दरोगा बलवीर सिंह ने 2 अक्टूबर को गैंगस्टर के मुकदमे में फरार 25 हजार के इनामी अनुराग दुबे उर्फ डब्बन, ब्रजेन्द्र मोहन अग्निहोत्री, नोटरी कर्ता राजीव कुमार (निवासी गोला कोहना, फतेहगढ़), स्टाम्प पेपर विक्रेता ज्ञान प्रकाश गुप्ता निवासी याकूतगंज के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था. जिसकी फाइल गायब हो गई.

माफिया अनुपम दुबे और उसका भाई डब्बन.
माफिया अनुपम दुबे और उसका भाई डब्बन. (Photo Credit; ETV Bharat)

अज्ञात के खिलाफ मुकदमा: दरोगा बलवीर के मुताबिक जिसके सभी दस्तावेज विवेचक उपनिरीक्षक स्वदेश कुमार को दे दिए गए थे. 11 अक्टूबर को जब डब्बन के मुकदमे की फाइल फोटो कॉपी के लिए मांगी तो स्वदेश कुमार ने बताया कि फाइल बीबीगंज पुलिस चौकी से किसी अज्ञात ने चोरी कर ली. इसके बाद 14 अक्टूबर को मऊदरवाजा थाने में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया.

दरोगा और थानेदार सस्पेंड: इस मामले में दरोगा स्वदेश कुमार भोलेंद्र चतुर्वेदी की लापरवाही सामने आई है, जिसके बाद एसपी आलोक प्रियदशी के आदेश पर दोनों को सस्पेंड कर दिया गया है. इसके साथ ही मामले की विभागीय जांच के आदेश दिए हैं. पत्रावली गायब होने के मुकदमे की जांच कादरी गेट थाना प्रभारी अमोद सिंह को सौंपी गई है. अमोद कुमार सिंह ने बताया कि निलंबन की कार्रवाई उच्च अधिकारियों ने की है. उन्होंने जांच शुरू कर दी है. कई बिंदुओं पर जांच चल रही है. जल्द ही घटना का अनावरण किया जाएगा.

अनुपम दुबे को इंस्पेक्टर की हत्या में मिला है आजीवन कारावास

उत्तर प्रदेश पुलिस के निरीक्षक रामनिवास यादव की हत्या को अंजाम देने के मामले में माफिया अनुपम दुबे को पिछले साल दिसंबर 27 साल बाद आजीवन कारावास की सजा मिली थी. मोहम्मदाबाद ब्लॉक के ग्राम सहसापुर का रहने वाला माफिया अनुपम दुबे 36 साल से आपराधिक दुनिया में है. अनुपम दुबे पर अलग-अलग थानों में करीब 63 मुकदमे दर्ज हैं. इनमें हत्या, जमीन पर कब्जा और फिरौती मुख्य है. अनुपम दुबे के खिलाफ पुलिस अब तक 113 करोड़ से अधिक रुपये की प्रॉपर्टी कुर्क कर चुकी है.

अनुपम दुबे का अपराधिक इतिहास: पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार अनुपम दुबे ने साल 1987 में अपराध जगत में अपना कदम रखा. 20 जून 1991 में मैनपुरी के थाना बेबर में ओमप्रकाश सिंह यादव की हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था. उसमें अनुपम दुबे और उसका साथी नेम कुमार उर्फ बिलैया भी आरोपी था. उसके बाद 12 जून 1992 को फतेहगढ़ के करन सिंह कटियार पर जानलेवा हमला किया गया. इसमें अनुपम दुबे और उसके साथी बिलैया का नाम आया. 4 अगस्त 1994 में करन सिंह कटियार की कानपुर स्वरूप नगर थाना क्षेत्र में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.उसके बाद अनुपम दुबे ने 14 में 1996 इंस्पेक्टर हत्याकांड को अंजाम दिया. उसके बाद से अनुपम दुबे रौब बढ़ता गया. अनुपम दुबे पर अब तक कुल 63 अपराधिक मुकदमें अलग अलग जनपदों में विभिन्न धाराओं में दर्ज हुये है. जिनमें मुख्य रूप से हत्या, डकैती, जमीन पर कब्जा धोखाधड़ी, रंगदारी वसूली, फिरौती आदि के अपराध हैं.

25 हजार का इनामी है डब्बन: अनुराग दुबे उर्फ डब्बन पर पुलिस ने 25 हजार का इनाम घोषित किया है. माफिया का भाई काफी समय से फरार चल रहा है.उसे पर गैंगस्टर और रंगदारी मांगने का मामला दर्ज है. यह मामला फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र में दर्ज हुआ था. कासगंज जेल से जमानत पर छूटने के बाद से अनुराग दुब उर्फ डब्बन फरार चल रहा है.

यह भी पढ़ें : ऐप से करता था ठगी, फर्रुखाबाद पुलिस ने साइबर क्रिमिनल को किया अरेस्ट

Last Updated : Oct 17, 2024, 3:39 PM IST
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