शहडोल। बदलते वक्त के साथ खेती किसानी में भी काफी बदलाव देखने को मिल रहा है. जहां इस वैज्ञानिक युग में किसान भी अब काफी स्मार्ट किसान बनता जा रहा है. ऐसे में जरूरी है की बंपर उत्पादन के लिए किसानों को मिलने वाली सुविधाओं का भी लाभ उठाना चाहिए. उनमें से एक है समय-समय पर खेतों का सॉइल टेस्ट कराना मृदा परीक्षण करना. जिससे किसान के खेतों में किन पोषक तत्वों की कमी है. इसका पता समय से चल सके. जिससे सही समय पर उन पोषक तत्वों की अपने खेतों में किसान पूर्ति करके बंपर उत्पादन ले सकता है.
मृदा परीक्षण क्यों जरूरी
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं की मिट्टी की जांच कराना हमारे किसानों के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि हमारे क्षेत्र में अभी ज्यादातर किसान को खेती के समय ये जानकारी ही नहीं होती है, कि हमारे भूमि में किन पोषक तत्वों की कमी है. इसका असर ये होता है की जाने अनजाने में किसान हर बार की तरह यूरिया, डीएपी, पोटाश जैसे उर्वरकों का प्रयोग करता है. जहां पर जिन पोषक तत्व के खेत में जरूरत नहीं होती, जाने-अनजाने में उस पोषक तत्व को किसान खेत में देते रहते हैं. ऐसे में किसानों की लागत भी बढ़ती है और ज्यादा मात्रा में एक ही पोषक तत्व मिल जाने से बीमारी, कीट व्याधि भी लगती है. जिससे किसानों को कीटनाशक और फैंगिसाइड का भी इस्तेमाल करना पड़ता है. इससे लागत में वृद्धि तो होती ही है. साथ में उत्पादन में भी असर होता है.
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सॉइल टेस्ट के फायदे
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति कहते हैं, की नियमित तौर पर सॉइल टेस्ट कराने का फायदा ये होता है कि किसान को ये पता होता है कि उसके खेत में किस पोषक तत्व की कमी है, क्योंकि सॉइल टेस्ट कराने के बाद आपका सॉइल कार्ड बनता है. उसमें पूरी मात्रा लिखी होती है कि किस पोषक तत्व की कमी कितनी मात्रा में आपके खेतों में है. कितनी मात्रा में कौन सा पोषक तत्व डालना है और वही पोषक तत्व जब आप अपने खेतों पर डाल देते हैं, तो उसका असर आपके उत्पादन पर देखने को मिलता है. फसल का उत्पादन अपने आप बढ़ जाता है. अगर हर पोषक तत्व की पूर्ति मिट्टी में रहेगी तो उत्पादन बंपर होगा.
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कोई भी चीज ज्यादा मात्रा में नहीं पड़ती है. जिससे फसल उत्पादन ज्यादा होता है. यही सॉइल टेस्ट के फायदे भी होते हैं और इसीलिए सॉइल टेस्ट करना जरूरी भी होता है. इसके अलावा जब आपको अपने खेतों की मिट्टी पर यह पता होगा कि कौन सा पोषक तत्व उसमें है, तो उर्वरक भी आपको कम डालना पड़ेगा. अनावश्यक उर्वरक नहीं डालना पड़ेगा. जिससे फसल में आपकी लागत बचेगी. किसी भी तरह की कीट बीमारियां भी आपकी फसलों को नहीं लगेगी. जिससे आपकी लागत में बचाव होगा.
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कब और कहां कराएं सॉइल टेस्ट?
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं की मिट्टी की जांच मुख्य रूप से ग्रीष्मकालीन समय में करना चाहिए. जब हमारे खेत में किसी प्रकार की कोई फसल नहीं होती है. यह बोल सकते हैं कि रवि की फसल की कटाई के उपरांत, जब खेत खाली हो जाए तो मिट्टी के नमूने को इकट्ठा करने का जो तरीका होता है. उस तरीके से मिट्टी के नमूने इकट्ठे करके, मृदा परीक्षण केंद्र में उसकी जांच करवाएं.
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सॉइल टेस्ट के दौरान मिट्टी के विभिन्न पोषक तत्व जैसे उसमें जीवाश्म, कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, अम्लीयता, क्षारीयता, सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम है, कई तरह के सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक, कोबाल्ट, कॉपर, मैंगनीज, जिंक, आयरन इन सभी पोषक तत्वों की जब जांच की जाती है, तो हमें यह पता चलता है कि हमारे खेत में किन पोषक तत्वों की कमी है. हमें किन फसलों में कितनी मात्रा में पोषक तत्व देनी होती है अगर हम मृदा परीक्षण कार्ड के आधार पर अपने खेतों में पोषक तत्व डालते हैं तो इससे खेती में लागत भी कम लगती है.