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महिला आरएएस को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, रेट में अपील दायर करने की छूट - हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत

राजस्थान हाईकोर्ट ने महिला आरएएस अधिकारी को राहत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने महिला अधिकारी को एक माह में राजस्थान अपीलीय अधिकरण में अपील पेश करने की छूट दी है.

Female RAS officer,  Rajasthan High Court
महिला आरएएस को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 5, 2024, 9:12 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने महिला आरएएस अधिकारी का तबादला करने और नई जगह कार्यग्रहण नहीं करने पर उसे निलंबित करने के मामले में राहत देने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा की महिला अधिकारी एक माह में राजस्थान अपीलीय अधिकरण में अपील पेश करे और अधिकरण उसे प्राथमिकता देते हुए तीन माह में तय करे. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश निधि सिंह की याचिका को निस्तारित करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास प्रभावी व वैकल्पिक उपचार उपलब्ध है तो यह अदालत अपने असाधारण न्यायिक क्षेत्राधिकार के आधार पर इसमें दखल नहीं दे सकती. याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में 26 अक्टूबर 2023 का निलंबन आदेश व 13 सितंबर 2023 का जयपुर से बूंदी किए तबादला आदेश को रद्द करने का आग्रह किया गया था. इसके जवाब में राज्य के एएजी सत्येन्द्र सिंह राघव ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान याचिकाकर्ता का तबादला किया गया था, लेकिन उसने नई जगह कार्य ग्रहण नहीं किया. ऐसे में कार्मिक विभाग ने इसे अवहेलना मानते हुए उसका निलंबन किया है.

पढ़ेंः केन्द्र व राज्य सरकार बताए कि तकनीकी आधार पर आदेश जारी क्यों किया- हाईकोर्ट

इसके अलावा याचिका हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए योग्य नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ता सरकारी कर्मचारी है. इसलिए वह सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण के समक्ष अपील दायर कर सकती है. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने भी जहांगीर अली खान बनाम राजस्थान सरकार के मामले में कहा है कि जहां राहत के लिए दूसरे वैकल्पिक उपचार मौजूद है तो राहत के लिए सीधे हाईकोर्ट नहीं आया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को अधिकरण में अपील दायर करने की छूट देते हुए उसकी याचिका का निस्तारण कर दिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने महिला आरएएस अधिकारी का तबादला करने और नई जगह कार्यग्रहण नहीं करने पर उसे निलंबित करने के मामले में राहत देने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा की महिला अधिकारी एक माह में राजस्थान अपीलीय अधिकरण में अपील पेश करे और अधिकरण उसे प्राथमिकता देते हुए तीन माह में तय करे. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश निधि सिंह की याचिका को निस्तारित करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास प्रभावी व वैकल्पिक उपचार उपलब्ध है तो यह अदालत अपने असाधारण न्यायिक क्षेत्राधिकार के आधार पर इसमें दखल नहीं दे सकती. याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में 26 अक्टूबर 2023 का निलंबन आदेश व 13 सितंबर 2023 का जयपुर से बूंदी किए तबादला आदेश को रद्द करने का आग्रह किया गया था. इसके जवाब में राज्य के एएजी सत्येन्द्र सिंह राघव ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान याचिकाकर्ता का तबादला किया गया था, लेकिन उसने नई जगह कार्य ग्रहण नहीं किया. ऐसे में कार्मिक विभाग ने इसे अवहेलना मानते हुए उसका निलंबन किया है.

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इसके अलावा याचिका हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए योग्य नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ता सरकारी कर्मचारी है. इसलिए वह सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण के समक्ष अपील दायर कर सकती है. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने भी जहांगीर अली खान बनाम राजस्थान सरकार के मामले में कहा है कि जहां राहत के लिए दूसरे वैकल्पिक उपचार मौजूद है तो राहत के लिए सीधे हाईकोर्ट नहीं आया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को अधिकरण में अपील दायर करने की छूट देते हुए उसकी याचिका का निस्तारण कर दिया है.

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