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हाईकोर्ट ने कहा- फादर हो या मौलाना, जबरन धर्मांतरण कराने का अधिकार किसी को नहीं - Allahabad High Court Order

बुधवार को अपने एक अहम आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि फादर हो या मौलाना जबरन धर्मांतरण कराने का अधिकार किसी को नहीं है. अदालत ने धर्मांतरण कराने के आरोपी मौलाना की जमानत खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि जबरदस्ती या प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने वाला  कानून के तहत उत्तरदायी होगा.

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जबरन धर्मांतरण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (Photo Credit- ETV Bharat UP)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 21, 2024, 7:25 PM IST

प्रयागराज: फादर, मौलवी या मौलाना किसी को भी जबरन धर्मांतरण कराने का अधिकार नहीं है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा अपने आदेश में कहा कि बलपूर्वक, झूठ बोल कर, धोखाधड़ी, जबरदस्ती या प्रलोभन देकर किसी को धर्मांतरित करने पर यूपी धर्मांतरण विरोधी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह कोई भी हो. न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने यह टिप्पणी गाजियाबाद के मौलाना मोहम्मद शाने आलम की जमानत अर्जी खारिज करते हुए की.

मौलाना मोहम्मद शाने आलम पर पीड़िता को जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने और मुस्लिम व्यक्ति के साथ उसका निकाह कराने का आरोप है. पीड़िता की शिकायत पर शाने आलम के खिलाफ गाजियाबाद के अंकुर विहार थाने में धर्मान्तरण विरोधी कानून के तहत मुकदमा दर्ज है. पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि उसे इस्लाम स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया और निकाह कराया गया.

आरोपी के वकील ने कहा कि आरोपी ने मार्च 2024 में केवल पीड़िता का निकाह कराया था. उसका जबरन धर्म परिवर्तित नहीं किया. अपर शासकीय अधिवक्ता ने जमानत अर्जी का विरोध किया. कहा कि पीड़िता ने अपने बयान में कहा है कि उसे इस्लाम स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया. इसके बाद धर्म परिवर्तन आरोपी मौलाना ने करवाया.

कोर्ट ने दलीलों व तथ्यों को सुनने के बाद कहा कि भारत का संविधान प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म को मानने और प्रचार करने का मौलिक अधिकार देता है. संविधान सभी व्यक्तियों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जो भारत के सामाजिक सद्भाव और भावना को दर्शाता है. संविधान के अनुसार राज्य का कोई धर्म नहीं है. राज्य के समक्ष सभी धर्म समान हैं. हालांकि, हाल के दिनों में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जहां भोले-भाले लोगों को गुमराह कर, बल या अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या धोखाधड़ी के माध्यम से एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित किया गया.

अदालत ने कहा कि आरोपी यूपी गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम 2021 के तहत धर्म परिवर्तन कराने के लिए उत्तरदायी है. उसने आरोपी अमन के साथ पीड़िता का निकाह समारोह करवाया था. धर्मांतरण कराने में अधिनियम 2021 की अवहेलना की गई है, जो दंडनीय है. कोर्ट ने पीड़ित के बयान पर विचार करते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी.

ये भी पढ़ें- गोरखपुर में बनेगा वंदे भारत कोचिंग कॉम्पलेक्स; 149 करोड़ की लागत से होगा तैयार, 3200 कोच तैयार करने का लक्ष्य - Vande Bharat Coaching Complex

प्रयागराज: फादर, मौलवी या मौलाना किसी को भी जबरन धर्मांतरण कराने का अधिकार नहीं है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा अपने आदेश में कहा कि बलपूर्वक, झूठ बोल कर, धोखाधड़ी, जबरदस्ती या प्रलोभन देकर किसी को धर्मांतरित करने पर यूपी धर्मांतरण विरोधी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह कोई भी हो. न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने यह टिप्पणी गाजियाबाद के मौलाना मोहम्मद शाने आलम की जमानत अर्जी खारिज करते हुए की.

मौलाना मोहम्मद शाने आलम पर पीड़िता को जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने और मुस्लिम व्यक्ति के साथ उसका निकाह कराने का आरोप है. पीड़िता की शिकायत पर शाने आलम के खिलाफ गाजियाबाद के अंकुर विहार थाने में धर्मान्तरण विरोधी कानून के तहत मुकदमा दर्ज है. पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि उसे इस्लाम स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया और निकाह कराया गया.

आरोपी के वकील ने कहा कि आरोपी ने मार्च 2024 में केवल पीड़िता का निकाह कराया था. उसका जबरन धर्म परिवर्तित नहीं किया. अपर शासकीय अधिवक्ता ने जमानत अर्जी का विरोध किया. कहा कि पीड़िता ने अपने बयान में कहा है कि उसे इस्लाम स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया. इसके बाद धर्म परिवर्तन आरोपी मौलाना ने करवाया.

कोर्ट ने दलीलों व तथ्यों को सुनने के बाद कहा कि भारत का संविधान प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म को मानने और प्रचार करने का मौलिक अधिकार देता है. संविधान सभी व्यक्तियों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जो भारत के सामाजिक सद्भाव और भावना को दर्शाता है. संविधान के अनुसार राज्य का कोई धर्म नहीं है. राज्य के समक्ष सभी धर्म समान हैं. हालांकि, हाल के दिनों में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जहां भोले-भाले लोगों को गुमराह कर, बल या अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या धोखाधड़ी के माध्यम से एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित किया गया.

अदालत ने कहा कि आरोपी यूपी गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम 2021 के तहत धर्म परिवर्तन कराने के लिए उत्तरदायी है. उसने आरोपी अमन के साथ पीड़िता का निकाह समारोह करवाया था. धर्मांतरण कराने में अधिनियम 2021 की अवहेलना की गई है, जो दंडनीय है. कोर्ट ने पीड़ित के बयान पर विचार करते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी.

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