जयपुर. सियासत के जादूगर कहे जाने वाले राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी उनके बेटे के काम नहीं आ पाई. वैभव गहलोत लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सिरोही-जालोर सीट से चुनाव हार गए. उनका यह लगातार दूसरे चुनाव था. इससे पहले वे साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जोधपुर से मैदान में उतरे और भाजपा के गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था. इस बार सिरोही सीट पर भाजपा के लुंबाराम चौधरी ने वैभव गहलोत को दो लाख से ज्यादा वोट से हराया है. लुंबाराम चौधरी को 7.96 लाख वोट मिले. जबकि वैभव गहलोत 5.95 लाख वोट ही ले पाए. इससे पहले 2019 में जोधपुर से भी वैभव गहलोत को 2.74 लाख वोट से हार का सामना करना पड़ा था.
अमेठी में कांग्रेस की वापसी में गहलोत की भूमिका : उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट कांग्रेस और गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराकर यह सीट छीन ली थी. इस बार कांग्रेस ने गांधी परिवार के करीबी किशोरीलाल शर्मा को मैदान में उतारा. अशोक गहलोत को सीनियर ऑब्जर्वर बनाकर इस सीट की जिम्मेदारी दी. उनका चुनावी प्रबंधन कांग्रेस के काम आया और अमेठी सीट वापस कांग्रेस के खाते में आई. वहां कांग्रेस के किशोरीलाल शर्मा ने भाजपा की स्मृति ईरानी को 1.67 लाख वोट से हराया है. जबकि पिछली बार स्मृति 55 हजार वोट से जीती थी.
इसे भी पढ़ें - जूली का पीएम पर बड़ा प्रहार, कहा- टूट गया तानाशाह का सपना, लोकतंत्र की हुई बड़ी जीत - Julie Attack On PM Modi
दक्षिण भारत के शहरों में प्रवासियों को साधा : लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही अशोक गहलोत ने बेटे वैभव गहलोत के लिए कैंपेन शुरू कर दिया. सिरोही-जालोर सीट पर प्रवासियों का दबदबा माना जाता है. ऐसे में प्रवासियों को साधने के लिए अशोक गहलोत ने मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरू से लेकर चेन्नई तक दौरे किए. माना जाता है कि सिरोही-जालोर सीट पर इस इलाके के उन प्रवासियों का बड़ा दबदबा है. जो अन्य राज्यों में रहते हैं. ऐसे में गहलोत ने प्रवासियों के जरिए समीकरण साधने का भी प्रयास किया.
पहली बार प्रत्याशी ने जारी किया अलग वचन पत्र : सिरोही, जालोर और सांचोर के लिए कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत ने अपना अलग वचन पत्र भी जारी किया था. इसके अलावा जालोर और सिरोही का कोई भी बड़ा शहर या कस्बा ऐसा नहीं रहा. जहां खुद अशोक गहलोत ने सभा या रोड शो नहीं किया. उन्होंने सांचौर, भीनमाल, आहोर, जालोर, सियाणा, भाद्राजून, आबूरोड, पिंडवाड़ा, जावाल, चितलवाना में सभाएं की. सरनऊ, शिवगंज, बाली, आबूरोड में भी प्रचार किया. जितनी चुनावी सभाएं अशोक गहलोत ने इस लोकसभा चुनाव में प्रदेशभर में की. कामोबेश उतनी ही सिरोही-जालोर सीट पर भी उनकी सभाएं या रोड शो हुए.
नतीजों के बाद बोले- शुरू से ही चुनौतीपूर्ण सीट : लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सिरोही-जालोर सीट को लेकर अशोक गहलोत ने कहा, यह सीट शुरू से ही कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण रही है. गुजरात से बॉर्डर लगा है भाषा भी गुजराती है. हम 20 साल से उस सीट पर जीत नहीं रहे हैं. अभी जो देश के हालात हैं. हमारे सामने चुनौतियां हैं. तानाशाही और घमंड चल रहा था. संविधान और लोकतंत्र पर खतरा है. आगे चुनाव होंगे या नहीं? यह भी नहीं पता था. ऐसे माहौल में चुनाव हुए हैं. हमें पार्टी ने सबकुछ दिया है. हमारी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे वक्त में हम मजबूती से खड़े रहें. चाहे चुनाव जीतें या हारें. इसलिए सोच समझकर वैभव को वहां से चुनाव लड़वाया था.
इसे भी पढ़ें - बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट का ये क्या ट्रेंड ? बायतु से चुनाव हारो और लोकसभा का चुनाव जीतो - Loksabha Election Result 2024
हमारी बात जनता तक पहुंची है : अशोक गहलोत ने बयान जारी कर कहा कि, वैभव एक चुनाव पहले भी जोधपुर से हार चुके थे. उसकी एक लंबी कहानी है. इस बार जोधपुर में करणसिंह उचियारड़ा चुनाव हार गए लेकिन उन्होंने भी कड़ी टक्कर दी. हमें सिरोही-जालोर के नेताओं ने कहा कि वो टफ सीट हैं. ऐसे हालात में वैभव गहलोत ने आगे आकर कहा कि वो सिरोही-जालोर से चुनाव लड़ेंगे. हमने अच्छा चुनावी अभियान किया. जनता तक हमारी बात पहुंची है. पहली बार किसी लोकसभा क्षेत्र में अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया गया. यह सब बातें अच्छी थी. उसके बावजूद पहले से जो माहौल था. इस कारण से हम वो सीट जीत नहीं पाए. चुनाव में जीत-हार होती रहती है. हौसला कभी भी पस्त नहीं होना चाहिए. दिल में सेवाभाव है तो क्या हार और क्या जीत. लोकतंत्र में भूमिका तय है. सत्ता में हो तो अलग भूमिका होती है. विपक्ष में हो तो भूमिका अलग होती है. विपक्ष की भूमिका भी होती है. आज हम राजस्थान में विपक्ष में हैं तो उसमें भी काम करेंगे.