नई दिल्ली: पंजाब सहित कई राज्यों के किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का मानना है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) नहीं चाहता है कि भारत मे फसलों पर एमएसपी दी जाए. इसको लेकर उनमें आक्रोश है. किसानों का कहना है कि डब्ल्यूटीओ एमएसपी की राह में बाधा है. ऐसे में भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर निकल जाना चाहिए.
164 देशों का वैश्विक संगठन डब्ल्यूटीओ विभिन्न देशों के बीच व्यापार के नियमों की निगरानी करता है. जिससे व्यापार सुचारू रूप से चलता रहे. किसान सरकार से फसलों पर एमएसपी की गारंटी चाहते हैं. लेकिन डब्ल्यूटीओ नीति के तहत एमएसपी को खत्म करने की दिशा में काम कर रहा है. यदि एमएसपी खत्म हो जाती है तो ये किसानों के लिए हानिकारक है. ऐसे में एमएसपी की मांग कर रहे किसान सरकार को डब्ल्यूटीओ के समझौते से एग्रीकल्चरल सेक्टर को बाहर निकालने की मांग कर रहे हैं.
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भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता शमशेर राणा का कहना है कि हम डब्ल्यूटीओ के खिलाफ हैं. यह भारत की कृषि के लिए हानिकारक है. वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के तहत भारत के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की शर्तों से वंचित होना पड़ेगा तथा आयात निर्यात के तहत भारत का छोटा किसान विश्व के बड़े किसानों के उत्पादन के सामने दब कर रह जाएगा.
भारत के छोटे किसानों के पास इतना उत्पादन नहीं होगा कि विदेशी बाजार में अपना माल बेच सकें. जबकि विदेशी बड़े किसान और कंपनियां अपना उत्पादन बेचने के लिए भारत को अपना बाजार बनाएंगी. इससे भारत का छोटा किसान बेहद सस्ते में अपनी फसल बेचने पर मजबूर होगा. डब्ल्यूटीओ भारत के किसान को निगल जाएगा. किसान रामपाल के कहना है कि डब्ल्यूटीओ से भारत को निकल जाना चाहिए.
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