करनाल: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज यानी 23 जुलाई को मोदी सरकार 3.0 का पहला बजट पेश किया गया है. इस बजट में किसानों से लेकर कृषि क्षेत्र तक 1.52 लाख करोड़ रुपए का बजट रखा गया है. ताकि वह कृषि क्षेत्र को बढ़ावा दे सके. वित्त मंत्री ने बजट में नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने की बात कही है. तो वही दालों व तिलहन की फसलों को बढ़ावा देने के लिए भी जोर दिया जाएगा.
बजट में क्या-क्या: केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट में किसान क्रेडिट कार्ड पर भी जोर देने की बात कही है. पांच और राज्यों में किसान क्रेडिट कार्ड लागू किए जाएंगे. जिसमें डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ेगा और यह 400 जिलों के दायरे में लाया जाएगा. किसानों को लेकर वित्त मंत्री ने फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में निजी और सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने का भी ऐलान किया है. इसके साथ-साथ कृषि जलवायु क्षेत्र में नैनो डीएपी इस्तेमाल का भी विस्तार किया जाएगा. डेयरी विकास के लिए भी कुछ व्यापक कार्यक्रम बनाने की बात उन्होंने कही है. लेकिन अभी तक इसकी यह पुष्टि नहीं हुई है कि किस आधार पर बनाए जाएंगे और किसानों को इस पर कितना फायदा होगा.
किसानों के लिए करोडो़ं का बजट: वहीं, मछली पालन के क्षेत्र में भी पांच एकीकृत एक्वा पार्क स्थापित करने का ऐलान वित्त मंत्री ने किया है. 1.52 लाख करोड़ के बजट में कृषि के क्षेत्र में तकनीक को बढ़ावा देने, प्राकृतिक खेती और किसानों का रुझान बढ़ाने पर काम किया जाएगा. इसके अलावा भी कई चीजें किसानों के लिए लागू करने की बात कही गई है. तो इसी के ऊपर हम किसानों से जानते हैं कि यह बजट उनके लिए कितना अच्छा है.
MSP का नहीं किया जिक्र: ईटीवी भारत की टीम से बातचीत में किसानों ने बताया कि किसानों की सबसे बड़ी और लंबे समय से मांग है कि किसानों के लिए फसलों पर एमएसपी लागू किया जाए. लेकिन इस बजट में किसानों के लिए एमएसपी का कोई जिक्र नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि उनकी पिछले काफी समय से यह मांग रही है. लेकिन बजट में कोई प्रावधान नहीं रखा गया. जिससे किसान मायूस है.
फसल पर खर्च का नहीं किया जिक्र: किसानों ने कहा कि काफी कुछ ऐलान किया गया है, लेकिन किसानों के सामने एक बड़ी समस्या यह होती है कि जो किसान फसल पर खर्च करते हैं और ये खर्च बढ़ता जा रहा है. चाहे उस पर पेस्टिसाइड, बीज या कृषि यंत्रों का इस्तेमाल हो, लेकिन इसके बारे में बजट में कोई बातचीत नहीं की गई है. किसानों को नहीं पता कि सरकार किस आधार पर बजट लेकर आई है. किसानों की मूलभूत समस्या थी की उनका हल इस बजट में होना चाहिए था.
'डेयरी फार्मिंग के लिए भी खास नहीं बजट': किसानों का कहना है कि हरियाणा समेत पूरे देश में डेरी फार्मिंग बड़े स्तर पर है. वहीं, किसानों को अब इसमें नुकसान होने लगा है. क्योंकि दूध उत्पादन करने में उनको कहीं समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसलिए सरकार को चाहिए था कि दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दूध उत्पादक और डेयरी फार्मिंग के लिए कुछ खास योजनाएं लेकर आनी चाहिए थी. जिससे किसानों को फायदा हो सके.
'योजनाओं का नहीं मिला लाभ': किसानों ने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड की योजनाओं को शुरू किया हुआ है. वहीं, इसका विस्तार करने की बात कही गई है. लेकिन इस बारे में भी कुछ जानकारी नहीं मिली कि वह हरियाणा के किसानों के लिए होगा या अन्य राज्यों के लिए लागू किया जाएगा. किसानों का कहना है कि ऐसी बहुत सी योजनाएं है जो सरकार ने चलाई हुई है. लेकिन कर्मचारी और अधिकारियों के चलते उनका उन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता, जो सब्सिडी आती है वह अधिकारी व कर्मचारी बीच में ही खा जाते हैं. जिसके चलते वह उससे वंचित रह जाते हैं. सरकार को इस पर भी ध्यान देना चाहिए.
प्राकृतिक खेती का विस्तार अच्छी बात: किसानों ने बताया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए बजट में बात की गई है. यह एक अच्छी बात है. क्योंकि किसानों के सामने पेस्टिसाइड वाली खेती का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है. जिसमे बीमारी अभी बढ़ती जा रही है. अगर सरकार इस पर जोर देती है तो यह किसानों के लिए ही नहीं आम जनता के लिए भी काफी अच्छी बात है. प्राकृतिक खेती से जहां बीमारियां कम होगी वहीं किसानों का फसल पर होने वाला खर्च भी कम होगा.
वहीं, कुछ किसानों का कहना है कि दो-तीन मुख्य चीजों को बजट में शामिल नहीं किया गया है. लेकिन कुल मिलाकर सरकार द्वारा जारी बजट में आने वाले समय पर सरकार सही तरीके से काम कर सकती है. निश्चित तौर पर किसानों को इसका लाभ मिलेगा.
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