भरतपुर: संभाग में इस साल रबी फसलों की बुवाई का क्षेत्रफल 12,46,851 हेक्टेयर तक पहुंच गया है. यहां प्रमुख फसलें गेहूं, सरसों, दलहन, तिलहन और आलू शामिल हैं. इस बीच, मौसम में बदलाव के कारण बीते दो दिनों में भरतपुर जिले का तापमान 5 से 6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जिससे कई जगह पाला पड़ने की सूचनाएं है. पाला पड़ने से आलू, सब्जी और दलहन फसलों पर नुकसान का खतरा है.
भरतपुर जिले में बीते दो दिनों के दौरान न्यूनतम तापमान 5 से 6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिससे ठंड ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. जिले के बयाना, कुम्हेर और आसपास के क्षेत्रों में हल्का पाला जमने की घटनाएं दर्ज की गई है. सुबह के समय घरों के बाहर खड़ी गाड़ियों की छतों और खेतों में बर्फ की हल्की परत देखी गई, जिससे ठंड की तीव्रता और बढ़ गई. मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में भी तापमान में और गिरावट की संभावना है, जिससे किसानों और स्थानीय निवासियों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है.
पाले से फसलों का बचाव जरूरी: कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने बताया कि यदि समय पर बचाव नहीं किया जाए तो पाले से फसलों के लिए गंभीर खतरा रहता है. आलू, सब्जियों और चना, मसूर जैसी दलहन फसलों पर इसका खासा प्रभाव पड़ता है. पाले के कारण फसलों की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं, फूल मुरझा जाते हैं और पैदावार पर भी नकारात्मक असर पड़ता है.
पाले से बचाव के उपाय: संयुक्त निदेशक सिंह ने बताया कि पाले का फसलों पर असर केवल पैदावार तक सीमित नहीं रहता, बल्कि उनके विकास और गुणवत्ता पर भी पड़ता है. किसानों को सलाह दी गई है कि वे मौसम विभाग की भविष्यवाणियों को ध्यान में रखते हुए अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए त्वरित कदम उठाएं. उन्होंने पाले से फसलों को बचाने के लिए किसानों को कई उपाय बताए और कहा कि इन उपायों को खेत में करने से पाले के दुष्प्रभाव से काफी हद तक बचा जा सकता है.
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हल्की सिंचाई करें: मौसम को ध्यान में रखते हुए फसलों में हल्की सिंचाई करें. यह फसलों को ठंड और पाले से बचाने में मदद करती है.
धुआं करें: मध्यरात्रि के समय खेत की उत्तर-पश्चिम दिशा में धुआं करें. यह पाले को जमने से रोकने में सहायक होता है.
रसायनों का छिड़काव करें: गंधक अम्ल या थायो यूरिया का 1% घोल बनाकर आलू और अन्य फसलों पर छिड़काव करें. यह छिड़काव फसलों को पाले से 15 दिनों तक सुरक्षित रखता है.
खराब पत्तियों को हटाएं: संयुक्त निदेशक देशराज सिंह का कहना है कि पाले से प्रभावित फसलों की पत्तियों और टहनियों को जल्द काटकर हटा देना चाहिए. इससे पौधे की बची हुई ऊर्जा नई शाखाओं के विकास में लगती है. इसके अलावा, किसान जैविक खादों का उपयोग कर सकते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता और पौधों की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार हो.
भरतपुर संभाग में रबी फसल बुवाई
फसल | रकबा हेक्टेयर में |
गेहूं | 3,93,334 |
सरसों | 7,67,730 |
दलहन | 55,072 |
तिलहन | 7,69,674 |
भरतपुर जिले में रबी फसलों का रकबा
फसल | रकबा हेक्टेयर में |
गेहूं | 69,389 |
सरसों | 1,52,011 |
जौ | 2,660 |
आलू | 1,600 |