रांची: किसानों की उपज को बाजार और कीमत नहीं मिलने को ही अन्नदाताओं की बदहाली का मुख्य वजह माना जाता रहा है. ऐसे में अगर अन्नदाता किसान ही खुद कंपनी बनाकर अपने खेतों में उगाए फसल में वैल्यू एडिशन कर दें तो खेती भी फायदेमंद हो सकता है.
केंद्र सरकार की इस सोच को झारखंड में भी FPO के माध्यम से धरातल पर उतारा जा रहा है. पिछले दिनों रांची के मारवाड़ी भवन में लगे FPO मेले में झारखंड के साथ साथ बिहार और उत्तर प्रदेश के वैसे किसान पहुंचे थे. जिन्होंने FPO बनाकर अपने अपने गांव और कस्बों के किसानों को स्वाबलम्बी बनाने में बेहतरीन काम किया है.
फसल की अच्छी कीमत, कंपनी बनाकर स्वाबलंबी होते किसान
खूंटी के मुरहू गांव ग्रामीण महिला रानी मुंडू हो या फिर सिसीलिया तीरू हो, सिमडेगा के केरसई गांव की चिंतामणि हो या फिर रांची के खेलाड़ी गांव के राजकुमार महतो. इन सभी का आज से चार वर्ष पहले तक का जीवन आर्थिक तंगहाली से होने वाली परेशानियों से भरा था. खेतों में हाड़तोड़ मेहनत के बावजूद उनके उत्पाद का सही दाम नहीं मिलता था लेकिन आज इनका समय बिल्कुल बदल चुका है. केंद्र सरकार की FPO बनाने की योजना से जुड़कर राज्य के रानी, सिसिलिया और राजकुमार महतो जैसे सैकड़ों महिला-पुरुष अपनी अपनी कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के मेंबर हैं बल्कि बीएससी एग्रीकल्चर पास युवाओ को अपनी कंपनी में 25-30 हजार रुपये मासिक की CEO की नौकरी भी दे रही हैं.
क्वालिटी मेंटेन कर बड़ी बड़ी कंपनियों को परास्त करने का हौसला
राज्य में करीब 137 FPO का रजिस्ट्रेशन कंपनी एक्ट के तहत हो चुकी हैं. इसके माध्यम से हजारों की संख्या में अन्नदाता आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं. आज उनके उत्पाद को उचित कीमत के साथ साथ बाजार भी मिल रहा है. देसी कटहल से चिप्स और अन्य उत्पाद बनाने वाली खूंटी के मुरहू की रानी कहती हैं कि आज उनके कंपनी का टर्न ओवर 50 लाख तक पहुंचा है, अगले वर्ष तक इसे 01 करोड़ तक पहुंचाना है. 300 किसानों को अपनी कंपनी चिंगारा फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड से जोड़ने वाले खलारी के राजकुमार महतो कहते हैं कि FPO ने उनकी जिंदगी बदल दी है. आज वे अपने इलाके में उपजने वाले अरहर, मसूर, सरसों, फुटकल से पैक्ड अन पॉलिश्ड दाल, अचार, शुद्ध सरसों तेल बनाकर उसे बाजार में बेचते हैं. राजू कहते हैं कि तीन साल पहले 10 हजार से शुरू हुई उनकी कंपनी का आज के दिन में टर्न ओवर 08 लाख हो गया है और इसे और आगे लेकर जाना है.
नक्सल प्रभावित खूंटी जिला के मुरहू गांव में झरिया महिला बागवानी सहकारी समिति नाम से यहां की रानी मुंडू, सिसिलिया तीरू जैसी 10 महिलाओं ने 600 किसानों को जोड़ कर FPO बनाया. आज उनकी FPO कंपनी की CEO भी एक युवती ही है. कृषि विज्ञान से स्नातक एकता टेटे का विजन बहुत साफ है. सरकार थोड़ा और मदद करें, उनके उत्पाद का स्टैंडर्ड हाई हो तो कोई वजह नहीं की हमारा उत्पाद प्रतिस्पर्धा में आगे नहीं रहेगा. एकता कहती हैं कि अभी तो सरकार की ओर से FPO मेला लगा है, हम ऑर्डर मिलने पर होम डिलीवरी भी करते हैं लेकिन उसका एरिया सीमित है. अगर सरकार राज्य के बड़े बड़े शहरों में स्थायी FPO मार्केट बना दे तो हमें अपने उत्पाद के लिए बाजार ढूढने की चिंता नहीं होगी.
राज्य में लगभग 137 FPO हो चुके हैं रजिस्टर्ड
भारत सरकार ने किसानों को उनके उत्पाद का सही दाम और बाजार दिलाने के लिए देश भर में 10 हजार से ज्यादा FPO बनाने की स्कीम शुरू की थी. केंद्र की इस योजना का असर झारखंड में यह हुआ है कि आज की तारीख में 137 के करीब FPO यानि फार्मर्स प्रोड्यूसर आर्गेनाईजेशन बन चुके हैं. नाबार्ड और कृषि विभाग के सहयोग से प्रगतिशील किसान, अन्य किसानों को जोड़ कर FPO बना रहे हैं जो कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होता है. अलग अलग नाम से कंपनी एक्ट के माध्यम से बने FPO में 10 बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर मेम्बर होते हैं जबकि 100 से अधिक सदस्य. इस व्यवस्था में FPO कंपनी के कुशल प्रबंधन के लिए एक सीईओ जा पद भी रखा गया है.
केंद्र और झारखंड सरकार का लक्ष्य है कि किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization) के माध्यम से किसानों की आर्थिक तरक्की हो. FPO दरअसल किसानों के समूह होते हैं जो अपने उत्पादों को बेचने और अपनी आय बढ़ाने के लिए एक साथ आते हैं और इसका कंपनी एक्ट के तहत निबंधन होता है.
FPO के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- FPO किसानों को अपने उत्पादों को सीधे बाजार में बेचने की अनुमति देता है, जिससे उन्हें बिचौलियों की आवश्यकता नहीं होती है.
- FPO किसानों को अपने उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करने और उन्हें पैकेजिंग और ब्रांडिंग करने में मदद करता है.
- FPO किसानों को अपनी आय बढ़ाने में मदद करता है और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है.
- FPO किसानों को सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ उठाने में मदद करता है.
- FPO किसानों को अपने उत्पादों को निर्यात करने में मदद करता है और उन्हें वैश्विक बाजार तक पहुंच प्रदान करता है.
FPO के गठन के लिए कुछ आवश्यक शर्तें
- कम से कम 100 किसान सदस्य के रूप में जरूरी.
- किसान सदस्यों के बीच एक समझौता.
- एक कंपनी एक्ट के तहत पंजीकृत कार्यालय.
- एक बैंक खाता.
- एक निर्वाचित बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स.
कृषि निदेशालय और नाबार्ड झारखंड से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में 137 फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाईजेशन यानि एफपीओ है, जिसमें से करीब 15 एफपीओ रांची जिला में हैं. नाबार्ड झारखंड ने भी करीब 09 एफपीओ को प्रोड्यूस फंड के तहत बढ़ावा दिया है. झारखंड में सरकार FPO बनाने में किसानों को कई तरह से मदद करती है. किसानों को FPO बनाने के लिए आर्थिक सहायता जैसे शुरुआती निवेश और कार्यशील पूंजी के लिए अनुदान और ऋण शामिल है. सरकार FPO को तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण भी प्रदान करती है. जैसे कि कृषि विपणन, उत्पाद प्रसंस्करण और गुणवत्ता नियंत्रण में प्रशिक्षण के साथ साथ सरकार FPO को मोरल सपोर्ट भी देती है.
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