सीकर: प्रदेश में किसानों को खेत पर आवास बनवाने के लिए शुरू सहकार ग्राम आवास योजना का फायदा नहीं मिल रहा है. वजह योजना में पात्रता के लिए बगैर जमीनी हकीकत के शर्तों की अनिवार्यता लागू करना. जिसका नतीजा है कि योजना के शुरू होने के बाद भी अब तक नाममात्र के किसानों को ही योजना का लाभ मिल सका है.
योजना के तहत पात्र किसान को 50 लाख रुपए का ऋण मिलना था. साथ ही आवेदक किसान की भूमि का किसी बैंक या संस्था के पास गिरवी नहीं होने की अनिवार्यता रखी गई है. जबकि हकीकत यह है कि अधिकांश किसानों की भूमि किसी न किसी संस्था या बैंक के पास गिरवी है और कई किसान आयकर रिटर्न ही नहीं भरते हैं. सीकर जिले में इस योजना के तहत करीब 39 किसानों को 3.84 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं जबकि प्रदेश में करीब 150 किसानों को योजना का लाभ मिल पाया है. जबकि सीकर जिले में करीब सवा लाख और प्रदेश में 28 लाख से ज्यादा किसान हैं.
तीन किस्तों में मिलना था लोन: योजना के तहत 50 लाख रुपए तक का लोन तीन किश्तों में दिया जाना था. लोन को चुकाने की अवधि 15 साल तय की गई है. समय पर लोन चुकाने वाले किसानों को ब्याज पर पांच प्रतिशत की छूट देने का प्रावधान रखा गया था. जिसके तहत पात्र किसानों को महज 6 प्रतिशत पर मकान लोन की राशि दी जानी थी.
ये किसान ही पात्र: सहकार ग्राम आवास योजना में आवेदन करने के लिए केवल भूमि धारक किसान ही पात्र होंगे. किसान के पास खेती योग्य खुद की भूमि होनी चाहिए. उसका बैंक अकाउंट आधार कार्ड से लिंक होना चाहिए. इस योजना में आवेदन करने के लिए अपने नजदीकी बैंक में जाना होगा. किसानों को इस लोन को चुकाने के लिए भी 15 साल का लंबा समय दिया जा रहा है. इसके लिए केंद्रीय सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशकों को 73 करोड़ रुपए से ज्यादा का लक्ष्य दिया गया है.
इनका कहना है: सीकर केन्द्रीय सहकारी बैंक महाबंधक योगेश शर्मा का कहना है कि सहकार ग्राम आवास योजना का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. जिले में 39 किसानों को आवास योजना से लाभान्वित किया जा चुका है. योजना की शर्त और गाइडलाइन मुख्यालय स्तर पर तय की जाती है.