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राकेश टिकैत की किसानों को नसीहत, बोले- 'बंटोगे तो लुटोगे', सरकार को भी जमकर घेरा - RAKESH TIKAIT ON FARMERS MOVEMENT

आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की तबीयत बिगड़ती जा रही है. उनसे मिलने राकेश टिकैत पहुंचे हैं.

Rakesh Tikait On Farmers movement
Rakesh Tikait On Farmers movement (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 17 hours ago

Updated : 15 hours ago

करनाल: किसान आंदोलन को लेकर मामला गंभीर होता नजर आ रहा है. दरअसल, किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की तबीयत बिगड़ने लगी है. जिस पर करनाल पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि उनके स्वास्थ्य की हमें काफी चिंता है. उन्होंने कहा कि सरकार को जल्द ही बात करनी चाहिए. किसान संगठन जो भी एक फैसला करना चाहता है, सरकार को करना चाहिए. नफा नुकसान सरकार को देखना है.

टिकैत ने कहा कि दिल्ली की तैयारी करनी है, तो सभी लोगों को इकट्ठा होना होगा. स्विफ्ट मोर्चा को इकट्ठा होकर बातचीत करनी चाहिए. धरने पर बैठे लोगों ने SKM को चिट्ठी भी लिखी हुई है. टिकैत ने कहा अभी भारत सरकार को आंदोलन से फायदा हो रहा है. क्योंकि किसान पंजाब की जमीन पर है. पंजाब में सरकार आम आदमी पार्टी की है. इससे पंजाब की जनता परेशान हो रही है. उन्होंने कहा यह आंदोलन अभी चार-पांच महीने और चलेगा.

चढ़ूनी को टिकैत की दो टूक: वहीं, किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी पर चुटकी लेते हुए राकेश टिकैत ने कहा अभी वह पहले चुनाव लड़ले इलेक्शन से अगर फ्री हो गए हों तो किसानों के साथ आ जाएं. इलेक्शन छोड़ना पड़ेगा. जब इलेक्शन का भूत छोड़ देगा, तो फिर कोई दिक्कत नहीं होगी. इलेक्शन भी एक बहुत बड़ी बीमारी है. हमने पहले ही इलेक्शन लड़ना छोड़ दिया. ज्ञान प्राप्ति उन्हें भी बता देंगे.

Rakesh Tikait On Farmers movement (Etv Bharat)

हरियाणा में नहीं किसान आंदोलन का असर: आपको बता दे कि किसान आंदोलन इस बार पंजाब में ज्यादा सक्रिय है. लेकिन हरियाणा में इसका इतना प्रभाव नहीं है. जब किसान पहला आंदोलन शुरू हुआ था, तब पंजाब के किसान हरियाणा के किसानों की वजह से ही दिल्ली में जा पाए थे. लेकिन इस बार हरियाणा में इस घटना प्रभाव नहीं दिख रहा. लेकिन अब किसान नेताओं के साथ राजनीतिक लोग भी पंजाब के किसान नेताओं से मिलने के लिए पहुंच रहे हैं. पंजाब के किसान संगठनों के द्वारा आज हरियाणा में ट्रैक्टर मार्च निकालने की बात कही गई थी. लेकिन उसका इतना प्रभाव हरियाणा में नहीं दिखाई दिया है.

कुरुक्षेत्र से हुई थी किसान आंदोलन की शुरुआत: करनाल और कुरुक्षेत्र में ट्रैक्टर मार्च नहीं निकाला गया. जबकि पहले किसान आंदोलन की शुरुआत कुरुक्षेत्र से हुई थी. कुरुक्षेत्र के किसानों का किसान आंदोलन में अहम योगदान होता है. इस ट्रैक्टर मार्च से अनुमान लगाया जाता है कि अभी हरियाणा में किसान आंदोलन ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है. लेकिन कहीं ना कहीं अब आंदोलन तेज करने की किसान नेता सोच रहे हैं.

ये भी पढ़ें: किसानों के पक्ष में दिल्ली कूच करने को तैयार फोगाट खाप, सरकार को दी चेतावनी

ये भी पढ़ें: किसान नेता डल्लेवाल से मिलने सोमवार को खनौरी बॉर्डर जाएंगे अभय चौटाला, ले सकते हैं बड़ा फैसला

करनाल: किसान आंदोलन को लेकर मामला गंभीर होता नजर आ रहा है. दरअसल, किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की तबीयत बिगड़ने लगी है. जिस पर करनाल पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि उनके स्वास्थ्य की हमें काफी चिंता है. उन्होंने कहा कि सरकार को जल्द ही बात करनी चाहिए. किसान संगठन जो भी एक फैसला करना चाहता है, सरकार को करना चाहिए. नफा नुकसान सरकार को देखना है.

टिकैत ने कहा कि दिल्ली की तैयारी करनी है, तो सभी लोगों को इकट्ठा होना होगा. स्विफ्ट मोर्चा को इकट्ठा होकर बातचीत करनी चाहिए. धरने पर बैठे लोगों ने SKM को चिट्ठी भी लिखी हुई है. टिकैत ने कहा अभी भारत सरकार को आंदोलन से फायदा हो रहा है. क्योंकि किसान पंजाब की जमीन पर है. पंजाब में सरकार आम आदमी पार्टी की है. इससे पंजाब की जनता परेशान हो रही है. उन्होंने कहा यह आंदोलन अभी चार-पांच महीने और चलेगा.

चढ़ूनी को टिकैत की दो टूक: वहीं, किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी पर चुटकी लेते हुए राकेश टिकैत ने कहा अभी वह पहले चुनाव लड़ले इलेक्शन से अगर फ्री हो गए हों तो किसानों के साथ आ जाएं. इलेक्शन छोड़ना पड़ेगा. जब इलेक्शन का भूत छोड़ देगा, तो फिर कोई दिक्कत नहीं होगी. इलेक्शन भी एक बहुत बड़ी बीमारी है. हमने पहले ही इलेक्शन लड़ना छोड़ दिया. ज्ञान प्राप्ति उन्हें भी बता देंगे.

Rakesh Tikait On Farmers movement (Etv Bharat)

हरियाणा में नहीं किसान आंदोलन का असर: आपको बता दे कि किसान आंदोलन इस बार पंजाब में ज्यादा सक्रिय है. लेकिन हरियाणा में इसका इतना प्रभाव नहीं है. जब किसान पहला आंदोलन शुरू हुआ था, तब पंजाब के किसान हरियाणा के किसानों की वजह से ही दिल्ली में जा पाए थे. लेकिन इस बार हरियाणा में इस घटना प्रभाव नहीं दिख रहा. लेकिन अब किसान नेताओं के साथ राजनीतिक लोग भी पंजाब के किसान नेताओं से मिलने के लिए पहुंच रहे हैं. पंजाब के किसान संगठनों के द्वारा आज हरियाणा में ट्रैक्टर मार्च निकालने की बात कही गई थी. लेकिन उसका इतना प्रभाव हरियाणा में नहीं दिखाई दिया है.

कुरुक्षेत्र से हुई थी किसान आंदोलन की शुरुआत: करनाल और कुरुक्षेत्र में ट्रैक्टर मार्च नहीं निकाला गया. जबकि पहले किसान आंदोलन की शुरुआत कुरुक्षेत्र से हुई थी. कुरुक्षेत्र के किसानों का किसान आंदोलन में अहम योगदान होता है. इस ट्रैक्टर मार्च से अनुमान लगाया जाता है कि अभी हरियाणा में किसान आंदोलन ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है. लेकिन कहीं ना कहीं अब आंदोलन तेज करने की किसान नेता सोच रहे हैं.

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Last Updated : 15 hours ago
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