सक्ती : एक तरफ छत्तीसगढ़ में किसान अपना धान बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं.वहीं दूसरी तरफ सरकारी अफसरों की गलती का खामियाजा कुछ किसानों को भुगतना पड़ रहा है.उन्हीं में से एक किसान सक्ती जिले का है. क्योंकि किसान ने मंडी जाकर मेहनत से उगाई अपनी फसल बेचने में नाकाम रहा है. एक गलती के कारण किसान की फसल अब तक नहीं बिक सकी है.
क्या है मामला ? : ये पूरा मामला सक्ती जिले का है.जहां का किसान उमाशंकर अपना धान बेचने के लिए भटक रहा है. उमाशंकर के मुताबिक कम्प्यूटर ऑपरेटर की गलती के कारण वो अपना धान नहीं बेच पा रहा है.क्योंकि ऑपरेटर ने गलत अकाउंट नंबर का पंजीयन कर दिया है.जिसके कारण अब वो अपना धान नहीं बेच पा रहा.गलती को सुधारने के लिए किसान ने भ्रष्ट सिस्टम के कर्मचारियों को रिश्वत भी दी.लेकिन ना तो उसका पंजीयन सुधरा और ना ही कोई दूसरा रास्ता निकला.अब किसान को धान नहीं बिकने का डर सताने लगा है. लिहाजा किसान ने कलेक्टर के पास आकर मदद की गुहार लगाई है.
जीवन यापन करने की सता रही है चिंता : किसान उमाशंकर को अब जीवन यापन करने की चिंता सताने लगी है.क्योंकि यदि धान अंतिम समय में नहीं बिका तो उसे पैसे नहीं मिलेंगे.जिससे उसके सामने घर का खर्च चलाने और जीवन यापन की समस्या पैदा हो जाएगी.वहीं जो बाजार में उधारी है वो भी वो समय पर नहीं चुका पाएगा.
कलेक्टर से ऑपरेटर की शिकायत : किसान उमाशंकर पटेल ने कलेक्टर ग्राम सेवक और ऑपरेटर की लिखित में शिकायत भी की है .उमाशंकर ने अपने शिकायत में लिखा है कि उसका पंजीयन झालरौंदा आमापाली सोसायटी में किसान कोड TF6908102313978 से पंजीकृत है. जिसका किसान पंजीयन के आधार / बैंक विवरण संशोधन फार्म में धान खरीदी केन्द्र के कम्प्यूटर ऑपरेटर के लापरवाही के कारण कुछ त्रुटि हो गया है. जिसे सुधरवाने के लिए ग्राम सेवक के पास कई बार जा चुका है लेकिन पंजीयन नंबर में सुधार नहीं हुआ.यही नहीं उमाशंकर ने काम जल्दी होने के लिए रिश्वत भी दी है.लेकिन खाता नंबर नहीं सुधरा