रुद्रप्रयाग: पहाड़ों में खेती-बाड़ी का काम करना कोई आसान काम नहीं है. यहां की भौगोलिक परिस्थितियों में ढलकर फसलों का उत्पादन करने के लिए कठिन परिश्रम की जरूरत होती है और जंगली जानवरों के आतंक से फसलों को बचाना भी एक कठिन कार्य हो जाता है. इन सभी परेशानियों के बीच पहाड़ में ऐसे कई किसान हैं, जो पारंपरिक खेती कर रहे हैं और सालभर में विभिन्न प्रकार की सब्जियां, औषधियां और मधुमक्खी पालन कर लाखों रुपए कमा रहे हैं. उन्हीं किसानों में से एक हरियाली वैली घोड़साल गांव निवासी गंभीर सिंह चौधरी हैं, जो पिछले 40 सालों से बागवानी का कार्य कर रहे हैं, उन्हें प्रगतिशील किसान के रूप में पहचान मिली है. आर्गेनिक खेती से किसान गंभीर कम लागत में लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं.
किसान गंभीर सिंह चौधरी ने बताया कि वह साल भर सब्जी, बड़ी इलायची और मधुमक्खी पालन से दो से तीन लाख तक कमाई कर लेते हैं. बड़ी इलायची को जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, जिससे यह खेती करना लाभदायक होता है. बड़ी इलायची का बाजार मूल्य काफी ज्यादा है और उनकी यह पैदावार होने के बाद घर से ही बिक जाती है, जिससे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है. उन्होंने का कि वह मधुमक्खी पालन और उनकी उगाई गई सब्जियों, शहद और बड़ी इलायची को लेने के लिए उनके फार्म में लोगों की भीड़ लगी रहती है.
गंभीर सिंह चौधरी ने बताया कि वो अपने फार्म में जैविक विधि से आलू, टमाटर, गोभी, मटर और सीजनल सब्जियां उगाते हैं. इस बार उनकी फार्म में 15 से 20 क्विंटल आलू का उत्पादन हुआ है. उन्होंने कहा कि कृषि और उद्यान विभाग से हरसंभव मदद की जाती है. सब्सिडी पर पाॅली हाउस लगाकर भी फसलों का बचाव किया जा रहा है. समय पर बीज उपलब्ध होने से खेती का कार्य करने में भी आसानी होती है.
जिला उद्यान अधिकारी योगेन्द्र चौधरी ने कहा कि किसान गंभीर चौधरी मेहनती इंसान हैं. सब्जी उत्पादन में काफी मेहनत लगती है और वे लगातार चालीस सालों से अपनी 50 नाली जमीन पर सब्जी उत्पादन के साथ ही बड़ी इलायची और मधुमक्खी पालन का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिले के युवाओं के लिए गंभीर चौधरी प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं.
डीएम सौरभ गहरवार ने कहा कि किसानों की आय डबल करने के लिए सरकार प्रयासरत है और किसानों की हर संभव मदद की जा रही है. सरकार किसानों के लिए नई-नई स्कीम लेकर आ रही है. नई स्कीमों के माध्यम से किसानों को अनुदान दिया जा रहा है, ताकि किसान समर्थ बन सकें. उन्होंने कहा कि जिले के प्रगतिशील किसानों से अन्य लोगों को भी प्रेरणा लेने की जरूरत है.
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