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'बबुआ हो बबुआ कइसे रहब हो बबुआ', उत्पाद सिपाही बहाली में गए अरुण की मौत के साथ टूट गए परिवार के सारे सपने - Excise constable recruitment

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 1, 2024, 5:11 PM IST

Updated : Sep 1, 2024, 5:45 PM IST

Excise constable recruitment death. उत्पाद सिपाही बहाली के दौरान मृत अरुण कुमार के घर में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. उनके परिजनों ने बताया कि अरुण ने दौड़ से पहले किसी प्रकार का कोई नशा नहीं किया था. उन्होंने मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.

Excise constable recruitment death
अरुण की मौत के बाद दुख में परिवार (ईटीवी भारत)

पलामू: उत्पाद सिपाही बहाली के दौरान बेहोश होकर मौत का शिकार हुए अरुण कुमार के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. परिवार ने अरुण को लेकर कई सपने संजोए थे जो एक ही झटके में खत्म हो गए. मां लगातार यही कह रही है, बबुआ हो बबुआ कैसे रहब हो बबुआ! 31 वर्षीय अरुण कुमार पलामू के छतरपुर के कउअल के रहने वाले थे.

अरुण की मौत के साथ टूट गए परिवार के सारे सपने (ईटीवी भारत)

28 अगस्त को उत्पाद सिपाही बहाली के दौरान अरुण कुमार पलामू के चियांकी हवाई अड्डा पर दौड़ लगा रहे थे. इसी क्रम में अरुण कुमार बेहोश होकर गिर पड़े. उन्हें इलाज के लिए मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. जहां से उन्हें रिम्स रेफर कर दिया गया. जिसके बाद परिजनों ने अरुण को इलाज के लिए मेदिनीनगर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. जहां 30 अगस्त को इलाज के दौरान अरुण कुमार की मौत हो गई.

'अरुण ने नहीं किया था कोई नशा'

मृतक अरुण कुमार के बड़े भाई द्रोण कुमार ने बताया कि उनके भाई ने किसी तरह का नशा नहीं किया था. होश में आने के बाद उन्होंने अपने भाई से पूछा था कि क्या उसने कोई दवा ली है? अरुण ने उन्हें बताया था कि उसने कोई दवा नहीं खाई है. अरुण इससे पहले रेलवे ग्रुप डी भर्ती 2 में भी भाग ले चुका था और दौड़ पूरी कर चुका था. उन्होंने बताया कि अरुण रांची में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था. दौड़ के लिए वह रांची के एक स्कूल ग्राउंड में 25 राउंड दौड़ता था. उन्होंने बताया कि दौड़ के बारे में घरवालों को नहीं पता था, सिर्फ उन्हें ही पता था.

पूरे इलाके के लिए आदर्श थे अरुण कुमार

अरुण कुमार ने रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से इंग्लिश ऑनर्स से ग्रेजुएशन किया था. उसके पास इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा था. पिता गिरजा राम ने बताया कि गांव के लोगों को उनके बेटे पर गर्व है. घरवालों और गांव के लोगों ने उसके सपने को संजोया था, उनका बेटा होनहार था. इलाज के दौरान बेटे को प्लाज्मा चढ़ाया गया, प्लाज्मा ही मौत का कारण बन गया.

'मौत के लिए सरकार जिम्मेदार'

चचेरी बहन मांशु कुमारी भी अरुण के साथ दौड़ी थी. मांशु कुमारी ने कहा कि उसके भाई की मौत के लिए सरकार जिम्मेदार है. इस मौसम में बहाली नहीं होनी चाहिए थी. मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ. आर रंजन ने बताया कि रिकॉर्ड में दो मौतें दर्ज हैं, अरुण कुमार की मौत निजी अस्पताल में हुई जबकि एक की मौत रिम्स में हुई. दोनों का पोस्टमार्टम हो चुका है.

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अरुण की मौत के साथ टूट गए परिवार के सारे सपने (ईटीवी भारत)

28 अगस्त को उत्पाद सिपाही बहाली के दौरान अरुण कुमार पलामू के चियांकी हवाई अड्डा पर दौड़ लगा रहे थे. इसी क्रम में अरुण कुमार बेहोश होकर गिर पड़े. उन्हें इलाज के लिए मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. जहां से उन्हें रिम्स रेफर कर दिया गया. जिसके बाद परिजनों ने अरुण को इलाज के लिए मेदिनीनगर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. जहां 30 अगस्त को इलाज के दौरान अरुण कुमार की मौत हो गई.

'अरुण ने नहीं किया था कोई नशा'

मृतक अरुण कुमार के बड़े भाई द्रोण कुमार ने बताया कि उनके भाई ने किसी तरह का नशा नहीं किया था. होश में आने के बाद उन्होंने अपने भाई से पूछा था कि क्या उसने कोई दवा ली है? अरुण ने उन्हें बताया था कि उसने कोई दवा नहीं खाई है. अरुण इससे पहले रेलवे ग्रुप डी भर्ती 2 में भी भाग ले चुका था और दौड़ पूरी कर चुका था. उन्होंने बताया कि अरुण रांची में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था. दौड़ के लिए वह रांची के एक स्कूल ग्राउंड में 25 राउंड दौड़ता था. उन्होंने बताया कि दौड़ के बारे में घरवालों को नहीं पता था, सिर्फ उन्हें ही पता था.

पूरे इलाके के लिए आदर्श थे अरुण कुमार

अरुण कुमार ने रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से इंग्लिश ऑनर्स से ग्रेजुएशन किया था. उसके पास इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा था. पिता गिरजा राम ने बताया कि गांव के लोगों को उनके बेटे पर गर्व है. घरवालों और गांव के लोगों ने उसके सपने को संजोया था, उनका बेटा होनहार था. इलाज के दौरान बेटे को प्लाज्मा चढ़ाया गया, प्लाज्मा ही मौत का कारण बन गया.

'मौत के लिए सरकार जिम्मेदार'

चचेरी बहन मांशु कुमारी भी अरुण के साथ दौड़ी थी. मांशु कुमारी ने कहा कि उसके भाई की मौत के लिए सरकार जिम्मेदार है. इस मौसम में बहाली नहीं होनी चाहिए थी. मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ. आर रंजन ने बताया कि रिकॉर्ड में दो मौतें दर्ज हैं, अरुण कुमार की मौत निजी अस्पताल में हुई जबकि एक की मौत रिम्स में हुई. दोनों का पोस्टमार्टम हो चुका है.

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Last Updated : Sep 1, 2024, 5:45 PM IST
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