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फाल्गुन पूर्णिमा 2024: परिवार में बनी रहेगी सुख और समृद्धि ऐसे करें व्रत और पूजा, जानिए विधि-विधान - Falgun Purnima 2024 - FALGUN PURNIMA 2024

Falgun Purnima 2024: हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है. आज होलिका दहन और फाल्गुन पूर्णिमा व्रत भी है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना के साथ-साथ सत्यनारायण भगवान की पूजा का विधि-विधान है.

Falgun Purnima 2024
फाल्गुन पूर्णिमा
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Mar 24, 2024, 9:57 AM IST

फाल्गुन पूर्णिमा 2024

कुरुक्षेत्र: हिंदू धर्म में पूर्णिमा को बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन पर विधिवत रूप से व्रत रखकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन घर में सत्यनारायण भगवान की कथा करने से बहुत ही ज्यादा फल प्राप्त होता है जो भी जातक पूर्णिमा का व्रत रखने के साथ-साथ भगवान सत्यनारायण की कथा अपने घर पर करते हैं उनके सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं और घर में सुख समृद्धि आती है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन स्नान दान और पूजा पाठ करना काफी शुभ माना जाता है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होली भी मनाई जाती है इसलिए इस दिन कुछ लोग होली के लिए व्रत भी रखते हैं तो यह जानते हैं कि फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व क्या है और इसकी पूजा का विधि विधान क्या है.

कब शुरू हो रही है फाल्गुन पूर्णिमा, किस तिथि को रखा जाएगा इसका व्रत: कुरुक्षेत्र तीर्थ पुरोहित पंडित पवन शर्मा ने बताया कि फाल्गुन महीना हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण महीना होता है इस महीने में फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के साथ-साथ होली का त्यौहार भी आता है. इस बार फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 9:55 बजे से शुरू हो रही है, जबकि इसका समापन 25 मार्च को दोपहर 12:29 बजे होगा. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही होली का त्योहार भी होता है. होलिका के लिए भी कुछ जातक व्रत रखते हैं, इसलिए हिंदू धर्म में फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत एक दिन बाद यानी 25 मार्च को रखा जाएगा.

फाल्गुन पूर्णिमा शुभ मुहूर्त: भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय 24 मार्च को सुबह 9:23 बजे से सुबह 10:55 बजे तक रहेगा. पूर्णिमा के दिन स्नान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा के दिन स्नान करने का ब्रह्म मुहूर्त 25 मार्च को सुबह 4:45 बजे से शुरू हो रहा है जो सुबह 5:32 बजे तक रहेगा, दान करने का शुभ अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:03 बजे से शुरू होकर 12:52 बजे तक रहेगा. जो भी जातक इस दिन दान करना चाहता है. इस समय के दौरान दान करें उसका ज्यादा फल प्राप्त होगा.

फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व: पंडित ने बताया कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है. शास्त्रों के अनुसार जो भी इंसान इस दिन पूजा पाठ और दान स्नान करता है उसको अक्षय पुण्य के बराबर की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि जो भी जातक फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत रखता है उसको भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है साथ ही उसके घर में सुख समृद्धि आती है और जीवन में उन्नति होती है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से सभी प्रकार के कष्ट और दोष दूर हो जाते हैं और दान करने से सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं. फाल्गुनी पूर्णिमा के दिन विशेष तौर पर भगवान सत्यनारायण की पूजा अर्चना के साथ सत्यनारायण भगवान की कथा करने का भी महत्व होता है जिस घर में खुशहाली आती है.

पूर्णिमा व्रत पूजा विधि-विधान: पूर्णिमा के दिन बहुत से जातक व्रत रखते हैं और विधिवत रूप से पूजा अर्चना करते हैं ताकि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा उन पर बनी रहे. पूर्णिमा के दिन सुबह सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी या फिर अपने घर में ही गंगाजल डाले हुए पानी में स्नान करें. उसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. फिर मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. उनके आगे पीले रंग के फल, फूल, मिठाई, वस्त्र अर्पित करें. इसके साथ ही उनको पीले चंदन, गुलाल आदि भी अर्पित करें.

सत्यनारायण भगवान की पूजा: पूजा के दौरान तुलसी पत्र भी पूजा की सामग्री में शामिल करें. उसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करने के बाद सत्यनारायण भगवान की पूजा अर्चना भी करें और उसकी कथा का पाठ करें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें और उनको प्रसाद का भोग लगाएं. पूर्णिमा के दिन रात के समय चंद्र देवता की भी पूजा करनी चाहिए. क्योंकि चंद्र देवता के दर्शन किए बिना पूर्णिमा का व्रत नहीं खोला जाता. जो जातक व्रत रखना चाहते हैं, वह 25 मार्च को व्रत रखें. सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और व्रत रखने का प्रण लें. शाम के समय चंद्रमा देवता के दर्शन करने बाद अपना व्रत खोलें. कुछ भी खाने से पहले गाय, ब्राह्मण और जरूरतमंदों को भोजन कराएं. फिर अन्न ग्रहण करें.

ये भी पढ़ें: होलिका दहन करने वाले हैं, ना करें ये गलतियां, वर्ना पड़ सकता है पछताना !

ये भी पढ़ें: कहीं होली के रंग में ना पड़ जाए भंग, जानें कैसे करें असली और नकली रंग की पहचान, क्या बरतें सावधानी

फाल्गुन पूर्णिमा 2024

कुरुक्षेत्र: हिंदू धर्म में पूर्णिमा को बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन पर विधिवत रूप से व्रत रखकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन घर में सत्यनारायण भगवान की कथा करने से बहुत ही ज्यादा फल प्राप्त होता है जो भी जातक पूर्णिमा का व्रत रखने के साथ-साथ भगवान सत्यनारायण की कथा अपने घर पर करते हैं उनके सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं और घर में सुख समृद्धि आती है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन स्नान दान और पूजा पाठ करना काफी शुभ माना जाता है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होली भी मनाई जाती है इसलिए इस दिन कुछ लोग होली के लिए व्रत भी रखते हैं तो यह जानते हैं कि फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व क्या है और इसकी पूजा का विधि विधान क्या है.

कब शुरू हो रही है फाल्गुन पूर्णिमा, किस तिथि को रखा जाएगा इसका व्रत: कुरुक्षेत्र तीर्थ पुरोहित पंडित पवन शर्मा ने बताया कि फाल्गुन महीना हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण महीना होता है इस महीने में फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के साथ-साथ होली का त्यौहार भी आता है. इस बार फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 9:55 बजे से शुरू हो रही है, जबकि इसका समापन 25 मार्च को दोपहर 12:29 बजे होगा. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही होली का त्योहार भी होता है. होलिका के लिए भी कुछ जातक व्रत रखते हैं, इसलिए हिंदू धर्म में फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत एक दिन बाद यानी 25 मार्च को रखा जाएगा.

फाल्गुन पूर्णिमा शुभ मुहूर्त: भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय 24 मार्च को सुबह 9:23 बजे से सुबह 10:55 बजे तक रहेगा. पूर्णिमा के दिन स्नान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा के दिन स्नान करने का ब्रह्म मुहूर्त 25 मार्च को सुबह 4:45 बजे से शुरू हो रहा है जो सुबह 5:32 बजे तक रहेगा, दान करने का शुभ अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:03 बजे से शुरू होकर 12:52 बजे तक रहेगा. जो भी जातक इस दिन दान करना चाहता है. इस समय के दौरान दान करें उसका ज्यादा फल प्राप्त होगा.

फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व: पंडित ने बताया कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है. शास्त्रों के अनुसार जो भी इंसान इस दिन पूजा पाठ और दान स्नान करता है उसको अक्षय पुण्य के बराबर की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि जो भी जातक फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत रखता है उसको भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है साथ ही उसके घर में सुख समृद्धि आती है और जीवन में उन्नति होती है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से सभी प्रकार के कष्ट और दोष दूर हो जाते हैं और दान करने से सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं. फाल्गुनी पूर्णिमा के दिन विशेष तौर पर भगवान सत्यनारायण की पूजा अर्चना के साथ सत्यनारायण भगवान की कथा करने का भी महत्व होता है जिस घर में खुशहाली आती है.

पूर्णिमा व्रत पूजा विधि-विधान: पूर्णिमा के दिन बहुत से जातक व्रत रखते हैं और विधिवत रूप से पूजा अर्चना करते हैं ताकि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा उन पर बनी रहे. पूर्णिमा के दिन सुबह सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी या फिर अपने घर में ही गंगाजल डाले हुए पानी में स्नान करें. उसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. फिर मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. उनके आगे पीले रंग के फल, फूल, मिठाई, वस्त्र अर्पित करें. इसके साथ ही उनको पीले चंदन, गुलाल आदि भी अर्पित करें.

सत्यनारायण भगवान की पूजा: पूजा के दौरान तुलसी पत्र भी पूजा की सामग्री में शामिल करें. उसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करने के बाद सत्यनारायण भगवान की पूजा अर्चना भी करें और उसकी कथा का पाठ करें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें और उनको प्रसाद का भोग लगाएं. पूर्णिमा के दिन रात के समय चंद्र देवता की भी पूजा करनी चाहिए. क्योंकि चंद्र देवता के दर्शन किए बिना पूर्णिमा का व्रत नहीं खोला जाता. जो जातक व्रत रखना चाहते हैं, वह 25 मार्च को व्रत रखें. सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और व्रत रखने का प्रण लें. शाम के समय चंद्रमा देवता के दर्शन करने बाद अपना व्रत खोलें. कुछ भी खाने से पहले गाय, ब्राह्मण और जरूरतमंदों को भोजन कराएं. फिर अन्न ग्रहण करें.

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