सीतामढ़ी: बिहार में अवैध शिक्षक बहाली का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा. एक बार फिर सीतामढ़ी जिले में एक बार फिर दो अवैध शिक्षकों का पता चला है. दोनों करीब 16 वर्षों से फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षक की नौकरी कर रहे थे. जांच रिपोर्ट के आधार पर निगरानी विभाग के वरीय डीएसपी सह जांच पदाधिकारी कन्हैया लाल ने बथनाहा और बेलसंड थाना को उक्त दोनों अवैध बहाल शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी के लिए आवेदन दिया है.
जांच में प्रशिक्षण प्रमाण पत्र फर्जी: दोनों शिक्षकों के शिक्षक प्रशिक्षण के प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गए हैं। खास बात यह कि इन दोनों ने एक ही संस्थान (गुवाहाटी) के फर्जी प्रमाण-पत्र प्रस्तुत कर नौकरी हासिल कर ली थी. संस्थान ने निगरानी डीएसपी को रिपोर्ट किया है कि इन दोनों के प्रमाण-पत्र उनके अधीन किसी भी संस्थान से निर्गत नहीं है.
16 वर्ष के बाद अवैध बहाली का चला पता: बताया जाता है कि जो प्रमाण पत्र नियोजन के दौरान दिए गए थे, वो फर्जी हैं. इन शिक्षकों में मध्य विद्यालय हरनहिया, जलसी के शिक्षक सुशील कुमार और प्राथमिक विद्यालय, भडवारी डोम टोला, चंदौली के सुबोध कुमार हैं. दोनों का नियोजन वर्ष 2008 में हुआ था. यानी 16 वर्षों बाद अवैध बहाली का पता चला है.
"निगरानी की जांच के बाद निगरानी के द्वारा बथनाहा थाने में मामला दर्ज कराया गया है. पुलिस आगे मामले की जांच कर रही है."- प्रमोद कुमार साहू, जिला शिक्षा पदाधिकारी, सीतामढ़ी
क्षमादान के तहत त्याग पत्र नहीं: निगरानी डीएसपी कन्हैया लाल के आवेदन के अनुसार, शिक्षक सुशील कुमार द्वारा छह मार्च 24 को त्याग पत्र दिया गया. हालांकि डीएसपी ने पुलिस को बताया कि हाईकोर्ट के स्तर पारित आदेश के आलोक में क्षमादान के तहत त्याग-पत्र नहीं दिया गया है. पूर्व शिक्षक सुशील कुमार रीगा प्रखंड के रेवासी गांव के स्व. चंदेश्वर ठाकुर का पुत्र हैं. वहीं सुबोध कुमार ने भी क्षमादान के अंतर्गत पद से त्याग पत्र नहीं दिया गया है. वह महिंदवारा थाना क्षेत्र के नेउरी गांव के राधेश्याम ठाकुर का पुत्र हैं.
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