रतलाम। मध्यप्रदेश में सोयाबीन सहित अन्य खरीफ की फसलों की बुवाई का कार्य लगभग पूर्ण होने को है. खरीफ के सीजन में बुवाई के बाद कई बार महंगे दामों पर खरीदे गए बीज के नहीं उगने और खरपतवारनाशकों के प्रयोग से फसल में नुकसान जैसी घटनाएं सामने आती है. अधिकांश मामलों में किसान अपनी जरा सी लापरवाही और जानकारी के अभाव में नुकसान उठाने को मजबूर हो जाता है. नकली बीज व खाद से कैसे किसान बचें, यह जानना बहुत जरूरी है.
बीज- खाद लेने के दौरान पक्का बिल लें
महंगे दामों पर बीज, खाद, खरपतवारनाशकऔर दवाई खरीदते समय यदि किसान कुछ बातों का ख्याल रखें तो वह अपनी फसल में नुकसान होने से बच सकता है अथवा उसे फसल में हुए नुकसान का मुआवजा भी प्राप्त हो सकता है. किसान खरीदारी करते समय यदि पक्का बिल प्राप्त करें और कृषि विशेषज्ञों की सलाह अनुसार ही बीज, खाद और दवाइयों का इस्तेमाल करें तो वह ऐसी स्थिति से बच जाएंगे. दरअसल, खरीफ के सीजन में बोई जाने वाली सोयाबीन, मक्का और अरहर जैसी फसलों के बीज किस बड़े महंगे दामों पर खरीदते हैं. लेकिन बुवाई कर देने के बाद कई बार फसल उगती नहीं है. या फसल उग जाने के बाद खरपतवारनाशक दवाई और कीटनाशक के दुष्प्रभाव से फसल खराब हो जाती है.
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पक्का बिल लेने के बाद मुआवजा संभव
नकली बीजों के लेकर किसान कृषि विभाग में शिकायत भी दर्ज करवाते हैं. लेकिन उसका कोई समाधान किसानों को नहीं मिल पाता. पूरा नुकसान उन्हें ही उठाना पड़ता है. इस मामले में रतलाम कृषि विभाग की उपसंचालक नीलम सिंह चौहान ने एडवाइजरी जारी की है. इसके अनुसार कृषि विशेषज्ञ और विभाग के फील्ड ऑफिसर से सलाह लेकर ही किसी प्रमाणित कृषि उत्पाद विक्रेता से बीज खाद दवाई लेनी चाहिए. वहीं, किसानों को हर खरीददारी का पक्का बिल भी प्राप्त करना चाहिए. यदि किसान दुकानदार से पक्का बिल प्राप्त करता है तो नुकसान होने की स्थिति में वह अपने उपभोक्ता अधिकारों का उपयोग कर सकता है.