लखनऊ: राजधानी के गजानन पांडेय ने फ्यूचर प्लानिंग के लिए एक बीमा पॉलिसी करवाई. पॉलिसी के कागज में कुछ गलतियां थी, जिसके लिए उन्होंने बीमा कंपनी में शिकायत की. इसके बाद उनके पास बीमा लोकपाल से कॉल आई और फिर गजानन पांडेय के साथ 34 लाख रुपए की ठगी हो गई. गजानन पांडेय की एक गलती ने उन्हें लाखों का नुकसान करवा दिया. ऐसे में आइए जानते हैं कि पीड़ित से क्या गलती हुई और कैसे ठगे गए?
3 साल की कराई थी पॉलिसीः एल्डिको उद्यान के रहने वाले गजानन पांडेय के मुताबिक, उन्होंने मार्च 2021 में एक कंपनी से 3 वर्ष के लिए बीमा पॉलिसी करवाई थी, जिसके लिए उन्होंने पहली 3,18,469 की किस्त जमा की थी. कुछ दिन बाद उनके पास पॉलिसी से संबंधित पेपर पहुंचा तो उसमें 3 की जगह 7 वर्ष के लिए पॉलिसी लिखा था. इसके बाद उन्होंने अगली किस्त जमा करने से मना करने के साथ ही इसकी शिकायत भी की.
NOC के नाम पर किया फोनः पीड़ित के मुताबिक, कुछ दिन पहले उनके पास जसवंत गिल नाम के व्यक्ति की कॉल आई, जिसने खुद को बीमा लोकपाल बताया. उसने उन्हें बताया कि बीमा कंपनी NOC मांग रही है. आपने यह कहकर कि आपने कोई लेटर दिया है, जिसमें आपने यह लिखा है कि आपकी पालिसी को डेड कर दिया जाये और कंपनी इस जमा किस्त की धनराशि हड़पना चाह रही है. पीड़ित ने बताया कि उन्होंने कॉलर से कहा कि मैंने इस तरह का कोई भी लेटर नही दिया है. तब उसने कहा कि मैं Noc जारी नहीं कर रहा हूं और मैं इस पर स्टे लगा रहा हूं. इसके बाद कई बार कॉल आई और उन्हें लाभ के साथ पैसे दिलाने का आश्वासन दिया.
कॉलर ने नहीं दी अपनी कोई भी जानकारीः पीड़ित ने बताया कि खुद को बीमा लोकपाल बताने वाले युवक से उसके आफिस का पता, पद का नाम, ईमेल की जानकारी मांगी, जो उसने नहीं दिया. मेरे व्हाट्सअप पर यही जानकारी मांगने पर भी नहीं दिया. इसके बाद उन्हें एक अन्य व्यक्ति की कॉल आई, जिसने खुद को बीमा कंपनी का अधिकारी बताया और उनसे बीमा लोक पाल में की गई, शिकायत के विषय में पूछा. कॉलर ने बताया कि बीमा लोकपाल से उन्हें पीड़ित की डिटेल मिली है, जिससे आपको आपके पैसे दिलवाने में मदद कर सकूं. इसके बाद कॉलर ने कुछ दस्तावेज भेजे और अलग-अलग अकाउंट में 34 लाख से अधिक की धनराशि जमा करवा ली. पीड़ित ने ठगी का एहसास होने पर साइबर क्राइम थाने मुकदमा दर्ज कराया है. डीसीपी ईस्ट शशांक सिंह ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. गिरोह का पता लगाया जा रहा है.
क्या हुआ गलती?
साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा ने बताया कि आमतौर पर जो पीड़ित परेशान होता है तो साइबर अपराधियों के लिए उन्हें ठगना काफी आसान हो जाता है. पीड़ित ने अपनी परेशानियों के बीच यदि थोड़ा समझदारी से काम लिया होगा तो उनके पैसे ठगे न जाती. राहुल मिश्रा के मुताबिक, पीड़ित को जब भी किसी अधिकारी या फिर बीमा लोक पाल जैसी सरकारी संस्थान से कॉल आए तो सबसे पहले आपको कॉल कट कर संबंधित विभाग की आधिकारिक वेबसाइट से उस अधिकारी के विषय में जानकारी कर लेनी चाहिए. इसके अलावा पैसे तो बिल्कुल किसी भी हाल में ट्रांसफर नहीं करना चाहिए, आप उसे अपने घर बुलाइए या फिर उसके कार्यालय चले जाएं.
इसे भी पढ़ें-प्रयागराज में साइबर ठगों का कारनामा; होटल की फर्जी वेबसाइट बनाकर की ठगी