प्रयागराज: यूपी के प्रयागराज में मस्जिद परिसर में चल रहे मदरसा की आड़ में नकली नोट छापने वाले गैंग का खुलासा पुलिस ने किया है. शहर की सिविल लाइंस पुलिस ने मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिद परिसर में छापेमारी करके वहां चल रहे फेक करेंसी के कारोबार का भांडाफोड़ किया है. पुलिस ने जाली करेंसी बनाने वाले मौलवी और गैंग के तीन अन्य सदस्यों को गिरफ्तार किया है. साथ ही उनके कब्जे से एक लाख 30 हजार के सौ सौ के नकली नोटों को बरामद किया है. इसके साथ ही 23 हजार से अधिक की प्रिंटेड करेंसी बरामद की है.
डीसीपी सिटी दीपक भूकर और एसीपी सुविल लाइंस श्वेताभ पांडेय ने घटना का खुलासा करते हुए बताया कि, इस गैंग से जुड़ी अन्य जानकारियां हासिल की जा रही हैं. वहीं मौके से नकली करेंसी स्कैन करने, छापने से लेकर उसे काटने और गड्डी बनाने में इस्तेमाल किये जाने वाले उपकरणों को भी बरामद किया है.
दीपक भूकर ने बताया कि, ओडिशा के रहने वाला जाहिर खान तीन साथियों के साथ मिलकर जाली करेंसी बनाने का काम कई महीनों से कर रहा था. जाहिर खान अतरसुइया इलाके में स्थित मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिद में रहता था. जहां पर इस मदरसे का मौलवी मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन उसका मदद करता था. मदरसे के अंदर अपने कमरे में ही हाई क्वालिटी स्कैनर और मंहगे प्रिंटर की मदद से स्कैन करके नकली करेंसी का प्रिंट पेपर पर निकालता था और उसे बारीकी से कट करके गड्डियां बनाकर बाजार में खपाने के लिए देता था. जाहिर खान के साथ जुड़े उसके गैंग मेम्बर मोहम्मद शाहिद और मोहम्मद अफजल नकली नोट बाजार में चलाने का काम करते थे.
पुलिस ने बताया की जाहिर खान 100 की नकली करेंसी का प्रिंट निकालकर उसे अपने दो साथियों को देता था. जिसे वो बाजार में चलाने का काम करते थे. जाहिर खान सौ की एक असली नोट के बदले तीन नकली नोट देता था. ये लोग कई महीनों से बाजार में नकली नोट को एक साथ चलाने नहीं जाते थे. बल्कि छोटे छोटे दुकानदारों के पास जाकर इन नकली नोटों को चलाते थे. जिस कारण इनको पकड़ने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी. पुलिस ने इस गैंग के सरगना जाहिर खान के साथ ही मोहम्मद अफजल,मोहम्मद शाहिद और मौलवी मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन को गिरफ्तार किया है.
प्रयागराज पुलिस पकड़े गए गिरोह के सदस्यों से पूछताछ कर रही है और यह पता लगाने में जुटी हुई है कि इस गैंग का कनेक्शन और किस किससे से जुड़ा हुआ है. पुलिस यह भी पता लगा रही है कि इस गैंग के लोगों ने करेंसी छापने की ट्रेंनिंग कहां से ली है और करेंसी छापने के बाद उसे चलाने के लिए किसकी किसकी मदद लेता था.