जयपुर: बारिश के बीच प्रदेश में आई फ्लू यानी कंजेक्टिवाइटिस वायरल तेजी से फैल रहा है. शहर के सवाई मानसिंह अस्पताल में इसके तकरीबन 30-40 मरीज हर दिन सामने आ रहे हैं. एसएमएस अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ पंकज शर्मा ने बताया कि वायरल कंजेक्टिवाइटिस तेजी से फैलने वाला संक्रमण है. पिछले साल भी इस बीमारी के मामले बारिश के बाद तेजी से बढ़ने लगे थे.
डॉक्टर शर्मा का कहना है कि वर्तमान में इसके फैलने का मुख्य कारण मौसम में नमी-गर्मी, जगह-जगह जलभराव और गंदगी की समस्या है. एसएमएस अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में हर दिन तकरीबन 400 से 500 मरीजों की ओपीडी रहती है, जिनमें से हर चौथा मरीज कंजेक्टिवाइटिस संक्रमण से पीड़ित सामने आ रहा है.
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बीमारी के ये लक्षण: डॉक्टर पंकज शर्मा का कहना है कि आई फ्लू यानी कंजेक्टिवाइटिस को बोलचाल की भाषा में आंख आना, पिंक आई या रेड आई कहते हैं. इस दौरान आंखें लाल होना, खुजली चलना, आंख से पानी गिरना, चिपचिपाहट और आंखों का नहीं खुलना जैसे लक्षण सामने आते हैं. कभी-कभी पलकों पर सूजन और छोटे-छोटे दाने भी बन जाते हैं. छोटे बच्चों को हल्का बुखार भी आ सकता है.
इस कारण फैलता है: डॉक्टर पंकज शर्मा का कहना है कि आमतौर पर माना जाता है कि कंजेक्टिवाइटिस यानी आई फ्लू से संक्रमित मरीज को देखने से भी संक्रमण हो सकता है, लेकिन इस तरह से संक्रमण नहीं फैलता. अगर ऐसा होता तो सबसे पहले डॉक्टर इसकी चपेट में आते. इस बीमारी का फैलने का सबसे बड़ा कारण संक्रमित व्यक्ति के हाथ मिलाने, उसका मोबाइल लेने, उसके इस्तेमाल किए गए कपड़ों, टॉवल आदि का इस्तेमाल करने से फैलता है. इसके अलावा बच्चों में ये संक्रमण ज्यादा तेजी से फैलता है.
स्टेरॉयड का उपयोग नहीं करें: डॉ शर्मा का कहना है कि यदि आई फ्लू से सम्बंधित लक्षण किसी मरीज में दिखाई दें, तो तुरंत चिकित्सक के परामर्श की जरूरत होती है. आम तौर पर कई बार लोग बिना चिकित्सकीय सलाह के सीधे मेडिकल स्टोर से दवा खरीद लेते हैं. कई बार मेडिकल स्टोर वाले मरीज को स्टेरॉयड दे देते हैं, जो काफी खतरनाक है. स्टेरॉयड के इस्तेमाल से एक बार राहत मिल सकती है, लेकिन इसके उपयोग से आंखों की रोशनी भी जा सकती है. इससे आंखों में फंगस और कॉर्निया सफेद होने का खतरा बढ़ जाता है. आमतौर पर मरीज 5 से 7 दिन में सामान्य उपचार से ठीक हो जाता है.