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बूढ़ा पहाड़ में विस्फोटक! सर्च ऑपरेशन में मिले हैंड ग्रेनेड - Explosives in Budha Pahad

झारखंड के बूढ़ा पहाड़ इलाके से विस्फोटक बरामद हुआ है. काफी लंबे समय बाद ऐसा होने पर पुलिस काफी सतर्कता बरत रही है.

Explosives recovered from Budha Pahad area of Jharkhand
बूढ़ा पहाड़ इलाके से बरामद सामग्री (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 6, 2024, 6:12 PM IST

गढ़वाः कभी माओवादियों का ट्रेनिंग सेंटर रहा बूढ़ा पहाड़ अब नक्सलियों के चंगुल से आजाद हो चुका है. लेकिन एक बार फिर से बूढ़ा पहाड़ सुर्खियों में आ गया है. क्योंकि एक असरे के बाद इस इलाके से विस्फोटक बरामद हुआ है.

इस विस्फोटक को बूढ़ा पहाड़ में तराई में मौजूद थलिया इलाके से बरामद किया गया है. विस्फोटक बरामद होने के बाद सीआरपीएफ की टीम इलाके में सर्च अभियान चला रही है. सीआरपीएफ 172 बटालियन की टीम बूढ़ा पहाड़ के थालिया के इलाके में एंटी नक्सल सर्च अभियान चला रही थी. इसी सर्च अभियान में थलिया गांव में एक पेड़ के पास सीआरपीएफ के जवानों ने संदिग्ध सामग्री को देखा था.

Explosives recovered from Budha Pahad area of Jharkhand
पेड़ में छुपाकर रखा गया हैंड ग्रेनेड (ETV Bharat)

इसके बाद में जब मौके पर सर्च अभियान चलाया गया तो वहां से विस्फोटक बरामद हुआ है. इसमें दो ग्रेनेड को दो पेड़ों के बीच लगाया गया था, जिसे आपस में जोड़ा गया था जबकि छह डेटोनेटर भी मौजूद थे. सीआरपीएफ के जवानों ने ग्रेनेड और डेटोनेटर को जब्त कर लिया है. इस संबंध में गढ़वा एसपी दीपक कुमार पांडेय ने बताया सीआरपीएफ के जवान सर्च अभियान पर निकले थे. इसी क्रम में रविवार को उन्हें थलिया गांव में विस्फोटक बरामद हुआ है. इसमें हैंड ग्रेनेड और डेटोनेटर शामिल है. विस्फोटक मिलने के बाद इलाके में सर्च अभियान जारी है और निगरानी रखी जा रही है.

बूढ़ा पहाड़ का थालिया इलाके में माओवादी रखते थे हथियार

तीन दशक तक बूढ़ा पहाड़ माओवादीयों का ट्रेनिंग सेंटर रहा. बूढ़ा पहाड़ के तराई में मौजूद थालिया के इलाके में माओवादी अपने हथियार को डंप करके रखते थे. बूढ़ा पहाड़ झारखंड और छत्तीसगढ़ सीमा पर मौजूद है. 2022 में महावादियों के खिलाफ अभियान ऑक्टोपस शुरू किया गया था. जिसके बाद बूढ़ा पहाड़ पर फतह पाया गया. बूढ़ा पहाड़ के इलाके में सीआरपीएफ की छह से अधिक कंपनी मौजूद हैं.

इसे भी पढ़ें- कहां हैं माओवादियों के एम-16, एक्स-95 जैसे आधुनिक हथियार, बूढ़ापहाड़ और बिहार सीमा से बरामद करना सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती - Modern weapons of Maoists

इसे भी पढ़ें- पलामू-गढ़वा से CRPF होगा क्लोज! बूढ़ा पहाड़ में एक बटालियन मणिपुर भेजने की तैयारी, सांसद लिखेंगे पत्र - CRPF removal in Palamu

इसे भी पढ़ें- माओवादियों के ट्रेनिंग सेंटर में शान से लहराया गया तिरंगा, कभी खौफ के कारण लोग नहीं मनाते थे स्वतंत्रता दिवस - Flag hoisting in Budha Pahad

गढ़वाः कभी माओवादियों का ट्रेनिंग सेंटर रहा बूढ़ा पहाड़ अब नक्सलियों के चंगुल से आजाद हो चुका है. लेकिन एक बार फिर से बूढ़ा पहाड़ सुर्खियों में आ गया है. क्योंकि एक असरे के बाद इस इलाके से विस्फोटक बरामद हुआ है.

इस विस्फोटक को बूढ़ा पहाड़ में तराई में मौजूद थलिया इलाके से बरामद किया गया है. विस्फोटक बरामद होने के बाद सीआरपीएफ की टीम इलाके में सर्च अभियान चला रही है. सीआरपीएफ 172 बटालियन की टीम बूढ़ा पहाड़ के थालिया के इलाके में एंटी नक्सल सर्च अभियान चला रही थी. इसी सर्च अभियान में थलिया गांव में एक पेड़ के पास सीआरपीएफ के जवानों ने संदिग्ध सामग्री को देखा था.

Explosives recovered from Budha Pahad area of Jharkhand
पेड़ में छुपाकर रखा गया हैंड ग्रेनेड (ETV Bharat)

इसके बाद में जब मौके पर सर्च अभियान चलाया गया तो वहां से विस्फोटक बरामद हुआ है. इसमें दो ग्रेनेड को दो पेड़ों के बीच लगाया गया था, जिसे आपस में जोड़ा गया था जबकि छह डेटोनेटर भी मौजूद थे. सीआरपीएफ के जवानों ने ग्रेनेड और डेटोनेटर को जब्त कर लिया है. इस संबंध में गढ़वा एसपी दीपक कुमार पांडेय ने बताया सीआरपीएफ के जवान सर्च अभियान पर निकले थे. इसी क्रम में रविवार को उन्हें थलिया गांव में विस्फोटक बरामद हुआ है. इसमें हैंड ग्रेनेड और डेटोनेटर शामिल है. विस्फोटक मिलने के बाद इलाके में सर्च अभियान जारी है और निगरानी रखी जा रही है.

बूढ़ा पहाड़ का थालिया इलाके में माओवादी रखते थे हथियार

तीन दशक तक बूढ़ा पहाड़ माओवादीयों का ट्रेनिंग सेंटर रहा. बूढ़ा पहाड़ के तराई में मौजूद थालिया के इलाके में माओवादी अपने हथियार को डंप करके रखते थे. बूढ़ा पहाड़ झारखंड और छत्तीसगढ़ सीमा पर मौजूद है. 2022 में महावादियों के खिलाफ अभियान ऑक्टोपस शुरू किया गया था. जिसके बाद बूढ़ा पहाड़ पर फतह पाया गया. बूढ़ा पहाड़ के इलाके में सीआरपीएफ की छह से अधिक कंपनी मौजूद हैं.

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