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Rajasthan: दुनिया की बड़ी आबादी तक क्लीन एनर्जी पहुंचाने के लिए जयपुर में देश-विदेश के विशेषज्ञों ने किया मंथन

साउथ एशिया क्लीन एनर्जी फोरम का बुधवार को समापन हुआ. इसमें स्वच्छ ऊर्जा के प्रवाह को कायम रखने के लिए कदम बढ़ाने का आह्वान किया.

SOUTH ASIA CLEAN ENERGY FORUM 2024
साउथ एशिया क्लीन एनर्जी फोरम 2024 (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

जयपुर: दक्षिण एशियाई देशों में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए तीन दिन तक पांच देशों के विशेषज्ञों ने जयपुर में मंथन किया. दक्षिण एशिया के देशों में स्वच्छ ऊर्जा का प्रवाह कायम रखने के लिए नियमित रूप से कदम आगे बढ़ाने के संकल्प के साथ बुधवार को इस कार्यक्रम का समापन हुआ. दरअसल, यूएस एड की ओर से 'साउथ एशिया क्लीन एनर्जी फोरम-2024' का आयोजन जयपुर की एक होटल में किया गया. यह कार्यक्रम 21 अक्टूबर को शुरू हुआ. जबकि आज बुधवार को इस कार्यक्रम का औपचारिक रूप से समापन हुआ.

क्लीन एनर्जी को लेकर विशेषज्ञों ने किया मंथन (ETV Bharat Jaipur)

दरअसल, दक्षिण एशियाई देशों में दुनिया की एक तिहाई आबादी रहती है. यह दुनिया में तेजी से आगे बढ़ता हुआ क्षेत्र है. ऐसे में यहां ऊर्जा की मांग और खपत भी बाढ़ रही है. ऐसे में स्वच्छ ऊर्जा (क्लीन एनर्जी) के प्रवाह की इस क्षेत्र में पर्याप्त संभावनाएं हैं और इन्हीं संभावनाओं को तलाशने व उन्हें पूरा करने के लिए इस कार्यक्रम में कई देशों के विशेषज्ञों ने मंथन किया. अलग-अलग सत्रों में भारत के अलावा, भूटान, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका के साथ ही कई अन्य देशों के विशेषज्ञों ने भी अपने विचार रखे.

पढ़ें: विंड पावर प्रोड्यूसर एसोसिएशन ने चोरी की वारदातों पर जताई चिंता, कहा- मजबूत प्रयास करने की आवश्यकता

महिलाओं ने साझा किए अपनी यात्रा के अनुभव: इससे पहले बुधवार को एक सत्र 'एम्पावरिंग वुमन एंटरप्रेन्योर्स टू ड्राइव रूरल क्लीन एनर्जी सॉल्यूशंस' में जीवन कुमार, फातिमा फिजना यूसुफ, उमेशचंद जोशी, देचना पेमा यांगिक, अतुल मित्तल, समीर एम. पटेल, कल्पना सोनकावडे, जयश्री माली, तबस्सुम मोमिन और अविक रॉय ने अपने विचार साझा किए. इस मौके पर महिला इंटरप्रेन्योर ने अपनी यात्रा के अनुभव शेयर किए.

पढ़ें: सीएम भजनलाल ने दक्षिण कोरिया में दूसरे दिन टेक्निकल हाई स्कूल का किया दौरा, निवेशकों को किया आमंत्रित - CM BHAJAN LAL VISIT SOUTH KOREA

अंतिम छोर तक पहुंचे स्वच्छ ऊर्जा: DoIT के जॉइंट डायरेक्टर उमेशचंद जोशी ने बताया, अंतिम छोर के लोगों तक स्वच्छ ऊर्जा पहुंचे. इस बात पर खास तौर से जोर दिया गया है. इसमें भी महिला उद्यमियों पर खासतौर से फोकस किया गया है. जब तक ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा पर काम नहीं होगा. अंतिम छोर पर बैठी महिलाओं में इसे लेकर जागरूकता नहीं आएगी. तब तक लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है. इस पूरे ईको सिस्टम में सहयोग करने वाले सरकार के नवाचारों पर चर्चा की गई है.

पढ़ें: IIT जोधपुर ने शुरू किया फ्यूचर हाइड्रोजन एनर्जी पर काम, कलेक्टर बोले- संस्थान से है DNA कनेक्शन - IIT Jodhpur Foundation Day

ई-मित्र पर मिलेंगे EESL के ऊर्जा दक्ष उत्पाद: उन्होंने बताया कि प्रदेश में राजीविका के तहत करीब 35 लाख महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हुई हैं. इनके जरिए वे अलग-अलग क्षेत्रों में बिजनस गतिविधियों को अंजाम दे रही हैं. राजकॉम्प (ई-मित्र) ने हाल ही में एनर्जी एफिशिएंसी सर्विस लिमिटेड के साथ एक कोलेबोरेशन किया है. जिसके तहत महिला उद्यमियों के ऊर्जा दक्ष उत्पादों को ई-मित्र के जरिए ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाया जाएगा. ई-मित्र में भी महिला सशक्तिकरण पर फोकस किया गया है. प्रदेश में 80 हजार ई-मित्र कियोस्क हैं. इनमें आठ हजार महिलाएं ऑपरेटर के रूप में काम कर रही हैं.

वैकल्पिक उपायों पर ध्यान देने की जरूरत: स्वयं शिक्षण प्रयोग संस्था की प्रोजेक्ट मैनेजर तबस्सुम मोमिन का कहना है कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य यही है कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने में कैसे अपनी भागीदारी सुनिश्चित की जाए. अभी जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती है. जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए कुछ वैकल्पिक उपायों पर ध्यान देने की जरूरत है. कुछ ऊर्जा उत्पाद हैं जिनको गांवों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. हालांकि, इसके साथ ही कई आमूलचूल बदलाव की भी दरकार है. खेती में रायासनिक उर्वरक के प्रयोग से भी कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है. ग्रामीण इलाकों में महिलाएं आज भी चूल्हे का उपयोग कर रही हैं. जो पर्यावरण के साथ ही महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर डालता है.

जयपुर: दक्षिण एशियाई देशों में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए तीन दिन तक पांच देशों के विशेषज्ञों ने जयपुर में मंथन किया. दक्षिण एशिया के देशों में स्वच्छ ऊर्जा का प्रवाह कायम रखने के लिए नियमित रूप से कदम आगे बढ़ाने के संकल्प के साथ बुधवार को इस कार्यक्रम का समापन हुआ. दरअसल, यूएस एड की ओर से 'साउथ एशिया क्लीन एनर्जी फोरम-2024' का आयोजन जयपुर की एक होटल में किया गया. यह कार्यक्रम 21 अक्टूबर को शुरू हुआ. जबकि आज बुधवार को इस कार्यक्रम का औपचारिक रूप से समापन हुआ.

क्लीन एनर्जी को लेकर विशेषज्ञों ने किया मंथन (ETV Bharat Jaipur)

दरअसल, दक्षिण एशियाई देशों में दुनिया की एक तिहाई आबादी रहती है. यह दुनिया में तेजी से आगे बढ़ता हुआ क्षेत्र है. ऐसे में यहां ऊर्जा की मांग और खपत भी बाढ़ रही है. ऐसे में स्वच्छ ऊर्जा (क्लीन एनर्जी) के प्रवाह की इस क्षेत्र में पर्याप्त संभावनाएं हैं और इन्हीं संभावनाओं को तलाशने व उन्हें पूरा करने के लिए इस कार्यक्रम में कई देशों के विशेषज्ञों ने मंथन किया. अलग-अलग सत्रों में भारत के अलावा, भूटान, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका के साथ ही कई अन्य देशों के विशेषज्ञों ने भी अपने विचार रखे.

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महिलाओं ने साझा किए अपनी यात्रा के अनुभव: इससे पहले बुधवार को एक सत्र 'एम्पावरिंग वुमन एंटरप्रेन्योर्स टू ड्राइव रूरल क्लीन एनर्जी सॉल्यूशंस' में जीवन कुमार, फातिमा फिजना यूसुफ, उमेशचंद जोशी, देचना पेमा यांगिक, अतुल मित्तल, समीर एम. पटेल, कल्पना सोनकावडे, जयश्री माली, तबस्सुम मोमिन और अविक रॉय ने अपने विचार साझा किए. इस मौके पर महिला इंटरप्रेन्योर ने अपनी यात्रा के अनुभव शेयर किए.

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अंतिम छोर तक पहुंचे स्वच्छ ऊर्जा: DoIT के जॉइंट डायरेक्टर उमेशचंद जोशी ने बताया, अंतिम छोर के लोगों तक स्वच्छ ऊर्जा पहुंचे. इस बात पर खास तौर से जोर दिया गया है. इसमें भी महिला उद्यमियों पर खासतौर से फोकस किया गया है. जब तक ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा पर काम नहीं होगा. अंतिम छोर पर बैठी महिलाओं में इसे लेकर जागरूकता नहीं आएगी. तब तक लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है. इस पूरे ईको सिस्टम में सहयोग करने वाले सरकार के नवाचारों पर चर्चा की गई है.

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ई-मित्र पर मिलेंगे EESL के ऊर्जा दक्ष उत्पाद: उन्होंने बताया कि प्रदेश में राजीविका के तहत करीब 35 लाख महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हुई हैं. इनके जरिए वे अलग-अलग क्षेत्रों में बिजनस गतिविधियों को अंजाम दे रही हैं. राजकॉम्प (ई-मित्र) ने हाल ही में एनर्जी एफिशिएंसी सर्विस लिमिटेड के साथ एक कोलेबोरेशन किया है. जिसके तहत महिला उद्यमियों के ऊर्जा दक्ष उत्पादों को ई-मित्र के जरिए ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाया जाएगा. ई-मित्र में भी महिला सशक्तिकरण पर फोकस किया गया है. प्रदेश में 80 हजार ई-मित्र कियोस्क हैं. इनमें आठ हजार महिलाएं ऑपरेटर के रूप में काम कर रही हैं.

वैकल्पिक उपायों पर ध्यान देने की जरूरत: स्वयं शिक्षण प्रयोग संस्था की प्रोजेक्ट मैनेजर तबस्सुम मोमिन का कहना है कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य यही है कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने में कैसे अपनी भागीदारी सुनिश्चित की जाए. अभी जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती है. जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए कुछ वैकल्पिक उपायों पर ध्यान देने की जरूरत है. कुछ ऊर्जा उत्पाद हैं जिनको गांवों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. हालांकि, इसके साथ ही कई आमूलचूल बदलाव की भी दरकार है. खेती में रायासनिक उर्वरक के प्रयोग से भी कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है. ग्रामीण इलाकों में महिलाएं आज भी चूल्हे का उपयोग कर रही हैं. जो पर्यावरण के साथ ही महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर डालता है.

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