भीलवाड़ा : भाजपा के वरिष्ठ नेता और वर्ष 2004 से वर्ष 2008 तक वसुंधरा राजे की सरकार में पंचायत राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री रहे कालू लाल गुर्जर ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए पंचायत राज चुनाव को लेकर सलाह दी है. उन्होंने कहा कि सरकार पंचायत राज चुनाव एक साथ करवाना चाहती है तो जल्द इसमें फैसला लें. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों के कारण ही पंचायत राज चुनाव में दिक्कतें आ रही हैं.
कांग्रेस पर लगाए ये आरोप : कालू लाल गुर्जर ने कहा कि पंचायत राज चुनाव का मामला बहुत गंभीर हो गया है. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार की गलत नीतियों के कारण ही यह मामला आज गड़बड़ नजर आ रहा है. उस वक्त अगर तत्कालीन सरकार चाहती तो चुनाव एक साथ हो सकता था. आजादी के बाद पूर्ववर्ती सरकार के समय ही पंचायत राज चुनाव अलग-अलग चरणों में हुए हैं, जिससे आज दिक्कत पैदा हुई है. तत्कालीन सरकार ने पंचायत राज चुनाव समय पर नहीं करवाया, क्योंकि उनका उद्देश्य राजनीति करने का था. जब प्रदेश में हमारी सरकार थी तब पंचायत का पुनर्गठन हुआ था, लेकिन इन्होंने 5 साल बाद फिर पुनर्गठन किया है. कोरोना के कारण पंचायत राज चुनाव 2 से 3 चरणों में हुआ. पूर्ववर्ती सरकार को पहले चरण में ही पंचायत राज चुनाव को एक साथ करवाने चाहिए थे, जिससे आज यह दिक्कत नहीं होती. कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक रोटियां सेंकनी थी. अब इस कारण पंचायत राज के चुनाव करवाना बड़ा कठिन हो रहा है. अब प्रदेश में एक साथ ही पंचायत राज के चुनाव करवाने पड़ेंगे. इसके अलावा और कोई चारा भी नहीं है.
उन्होंने कहा कि पंचायत में सरपंच के कार्यकाल की समय अवधि तय है. 5 वर्ष के बाद वे पद पर नहीं रह सकते हैं. अब सरकार के पास दो ऑप्शन हैं. पहला नियमों में संशोधन करके जिन पंचायत राज के जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है उनका कार्यकाल बढ़ाया जाए. दूसरा सरकार जिन जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल पूरा हो गया उनको हटाकर प्रशासक लगाए. प्रशासक लगाना भी गलत नहीं है, क्योंकि अब चुनाव करवाना भी आवश्यक है. हालांकि, व्यक्तिगत राय यही है कि पंचायत में प्रशासक नहीं लगना चाहिए. पंचायत राज ग्रामीण संस्थाएं और गांवों की सरकार है. पंचायत क्षेत्र के वासियों की पंचायत के चुने गए जनप्रतिनिधियों से ही अपेक्षाएं होती हैं. चुने हुए जनप्रतिनिधि निष्पक्ष काम करते हैं. अगर सरकार प्रशासक लगाती है तो ये थोड़े समय के लिए ठीक है, लेकिन लंबे समय तक नहीं रहे. जल्द से जल्द पंचायत राज के चुनाव हो जाएं. इसके लिए तैयारी की जाए.
जल्द लें फैसला तभी हो पाएंगे चुनाव : गुर्जर ने कहा कि वर्तमान में सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय प्रदेश में 19 नए जिले बनाए गए, वह जिले भाजपा सरकार रखेगी या नहीं रखेगी या इसमें संशोधन करेगी. इनका डिसीजन पहले होना अनिवार्य है. अगर भाजपा सरकार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय बनाए गए 19 जिले रखती है तो 19 जिला मुख्यालय पर ही नई जिला परिषद बनेगी. इनके वार्ड, पंचायत समिति और पंचायत का सीमांकन होगा. इस सीमांकन, परिसीमन में लगभग एक वर्ष का समय लगेगा, फिर पंचायत राज चुनाव करवाने में समय लगेगा. ऐसे में पंचायत में प्रशासक लम्बे समय तक लगा रहेगा जो जन भावना के विपरीत रहेगा. जनप्रतिनिधि गांव में अच्छा काम कर सकते हैं. गांवों की सरकार चुनी हुई नहीं हो तो जनता की अपेक्षाएं क्या पूरी होंगी? प्रशासक लगने से ब्यूरोक्रेसी हावी हो जाती है. सरकार एक साथ चुनाव करवाने के लिए नियमों में संशोधन करवाना चाहती है या चुने हुए जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाना चाहती है तो इसके लिए केंद्र सरकार का पंचायत राज अधिनियम है. केंद्र के एक्ट में 5 साल कार्यकाल का ही प्रावधान है. इसमें संशोधन करने के लिए राज्य सरकार को कैबिनेट में प्रस्ताव पास करना पड़ेगा.