हरिद्वार: उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए वोटिंग को लेकर उल्टी गिनती शुरू हो गई है. महज चार दिन बाद वोट डाले जाएंगे. ऐसे में पूरे प्रदेश का माहौल चुनावी हो रखा है. जहां प्रत्याशी अंतिम चरण के प्रचार में पूरे दमखम दिखा रहे हैं तो वहीं जनता भी 19 अप्रैल का इंतजार कर रही है. इनमें एक समाज ऐसा भी है, जो भले ही उपेक्षित हो, लेकिन उनकी भी लोकतंत्र में खास भागीदारी है. यह समाज किन्नर समाज है. खास बात ये है कि वाराणसी संसदीय सीट पर किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी भी चुनाव में ताल ठोक रही है. ऐसे में ईटीवी भारत ने किन्नर समाज के लोगों से खास बातचीत की.
कुछ सालों से किन्नर समाज को मिलने लगी इज्जत: ईटीवी भारत की टीम ने हरिद्वार की रहने वाली किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर मोनिका और अन्य किन्नरों से खास बातचीत में उनकी राय जानी. मोनिका देश में जाना माना नाम है. किन्नर अखाड़े की वो महामंडलेश्वर भी हैं. मोनिका के कई शिष्य हैं और वो न केवल देश में बल्कि, विदेशों में भी बतौर मोटिवेशनल स्पीच के लिए जाती हैं. सैकड़ों रैंप शो और किन्नर समाज के लिए हमेशा से काम करने वाली मोनिका कहती हैं कि बीते कुछ सालों से किन्नर को समाज में इज्जत मिलनी शुरू हुई है. जो उनके जैसे लोगों के लिए एक सुखद है.
नरेंद्र मोदी ने किए काम, दोबारा बनें प्रधानमंत्री: किन्नर अखाड़ा महामंडलेश्वर मोनिका का कहना है कि मोदी सरकार के आने से उनके समाज को कई सुविधाएं मिली है. उन्हें सनातन से जोड़ा गया. आज किन्नर समाज के लोग भगवा को प्रतिनिधि कर रहे हैं. उनका साफ कहना है कि एक बार फिर से नरेंद्र मोदी की सरकार बननी चाहिए है. क्योंकि, उन्होंने आयुष्मान योजना से लेकर तमाम योजनाएं शुरू की है. जिसका फायदा सीधे जनता को मिल रहा है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि उनके पास चाहे कांग्रेसी आए या केजरीवाल या फिर अन्य पार्टी के नेता वो उन्हें आशीर्वाद देंगी.
किन्नरों ने बताई अपनी पीड़ा: वहीं, मोनिका के शिष्याओं का कहना है कि आज भी समाज स्वीकार नहीं करता है. अमूमन किन्नर समाज का एक ही मुद्दा है कि समाज उन्हें स्वीकार और उन्हें हीन भावना से न देखा जाएं. आज भी वो कई जगहों पर पूजी जाती हैं तो कई जगहों पर किन्नर समाज के लोगों को घृणा से देखा जाता है. नौकरी, राजनीति और धार्मिक मान्यता में बराबरी का हिस्सा मिले. लिहाजा, सरकार को कुछ ऐसे कदम उठाने चाहिए. जिससे समाज में किन्नर समाज के लोगों को भी जगह मिले.
किन्न समाज से जुड़ी अहम बातें: भारत में साल 2011 की जनगणना के अनुसार किन्नरों की आबादी 4,87,803 है. जो पिछले 12 सालों के दौरान और काफी बढ़ी है. सबसे ज्यादा किन्नर यूपी में बढ़ रहे हैं. औसतन 3 हजार किन्नर सालाना बढ़ रहे हैं. किन्नर समाज को चार वर्गों में विभाजित किया गया है. जिसमें बुचुरा, नीलिमा, मनसा, हंसा वर्ग शामिल हैं. साल 2019 में सरकार ने किन्नरों के अधिकारों को संरक्षण देने वाला कानून बनाया. इससे समाज में किन्नरों को सम्मानजनक स्थान मिला. उनके साथ होने वाले भेदभाव को खत्म करने में मदद मिली.
ट्रांसजेंडर पहचान प्रमाण पत्र से मिली पहचान, देहरादून बना पहला जिला: सरकार ने हजारों लोगों को ट्रांसजेंडर पहचान प्रमाण पत्र जारी किए. उत्तराखंड में देहरादून किन्नर को पहचान पत्र देने वाला पहला जिला है. किन्नरों को प्रमाण पत्र समाज कल्याण जारी करता है. उत्तराखंड में किन्नर समाज की सबसे बड़ी नेता रजनी रावत हैं. अभी उत्तराखंड में 297 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं. उत्तराखंड के किन्नर देश में मोटिवेशनल का काम करते हैं. धार्मिक समाज में किन्नर अखाड़ा भी है.
किन्नर अखाड़ा का शाही स्नान और पेशवाई को दुनिया ने देखा: किन्नर अखाड़ा की प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी है. मोनिका देश ही नहीं, विदेशो में मोटिवेशनल स्पीच के लिए जाती हैं. हरिद्वार कुंभ मेला 2021 में किन्नर अखाड़ा का शाही स्नान और पेशवाई हुई. देश और दुनिया के लोगों ने किन्नरों को करीब से देखा. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता दी है.
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