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यूपी में राज्यपाल आनंदी बेन को ही भेज दिया नोटिस; मलिहाबाद तहसील से आया स्पीड पोस्ट, राजभवन ने लगाई फटकार - NOTICE TO UP GOVERNOR

तहसील प्रशासन में हड़कंप, जांच के आदेश; बेदखली से जुड़ा मामला, नोटिस पर हैं पेशकार के साइन, सालभर में ऐसा दूसरा मामला

यूपी की राज्यपाल को मलिहाबाद तहसील से भेजा गया नोटिस.
यूपी की राज्यपाल को मलिहाबाद तहसील से भेजा गया नोटिस. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 13, 2024, 3:41 PM IST

Updated : Dec 14, 2024, 12:30 PM IST

लखनऊ: यूपी की राजधानी लखनऊ में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. लखनऊ की मलिहाबाद तहसील से प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को नोटिस भेजा गया है. स्पीड पोस्ट से दो दिन पहले राजभवन पहुंचे इस नोटिस को देख राज्यपाल के कार्यालय ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है. साथ ही जिला प्रशासन को नोटिस भेजने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं तकरीबन एक साल में गवर्नर को नोटिस भेजने का यह दूसरा मामला है. इससे पहले बदायूं की एसडीएम कोर्ट ने राज्यपाल को पेश होने का नोटिस जारी कर दिया था.

दो दिन पहले यानी 11 दिसंबर को मलिहाबाद तहसील से एक नोटिस स्पीड पोस्ट से राज भवन पहुंचा था. 12 दिसंबर को राजभवन ने इस नोटिस को खारिज करते हुए फटकार लगाई. तहसील प्रशासन को चेतावनी दी और कहा कि, यह शरारत दोबारा न हो. राजभवन कार्यालय की ओर से धारा 361 के तहत कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं. राजभवन से नोटिस खारिज होने के बाद तहसील भेजे गए पत्र को देख तहसील प्रशासन के होश उड़ गए.

मलिहाबाद के तहसीलदार विकास सिंह के मुताबिक, यह नोटिस हाथ से तैयार किया गया है. इतना ही नहीं नोटिस की भाषा शैली भी अलग है. माना जा रहा है कि इसे किसी ने जानबूझकर साजिश के तहत राजभवन भेजा है. इस पूरे मामले की जांच की जा रही है.

तहसीलदार के मुताबिक, राजभवन भेजी गई नोटिस में मीरा पाल बनाम उत्तर प्रदेश सरकार से जुड़े केस का उल्लेख है, जो बेदखली का मामला है. इतना ही नहीं इस नोटिस में तहसीलदार कोर्ट के पेशकार गंगाराम का साइन है. फिलहाल इस नोटिस को तहसीलदार प्रशासन ने फर्जी करार देते हुए जांच के आदेश किए हैं. नोटिस में लिखी गई हैंडराइटिंग का सभी पेशकार से मिलान कराया जाएगा. गौरतलब है कि भारतीय संविधान के मुताबिक देश के राष्ट्रपति, राज्यपाल को संरक्षण दिया गया है. संवैधानिक पदों पर बैठे राष्ट्रपति और राज्यपाल के विरुद्ध किसी भी न्यायालय में कोई भी कार्रवाई नहीं की जा सकती.

सालभर में दूसरा मामला: राज्यपाल को नोटिस भेजने का या दूसरा मामला है. इससे पहले 2023 में बदायूं के एसडीएम न्यायिक कोर्ट से महामहिम राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के नाम नोटिस जारी कर दिया था. साथ ही 18 अक्टूबर को एसडीएम कोर्ट में अपना पक्ष रखने को हाजिर होने का आदेश दिया था. तब भी विधि व्यवस्था के नजर अंदाज होने के बाद राजभवन की ओर से चेतावनी जारी की गई थी. (-बदायूं की यह खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें.)

ये भी पढ़ेंः यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती; फिजिकल टेस्ट-डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन की तारीख घोषित, इस दिन एडिमट कार्ड होंगे डाउनलोड

लखनऊ: यूपी की राजधानी लखनऊ में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. लखनऊ की मलिहाबाद तहसील से प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को नोटिस भेजा गया है. स्पीड पोस्ट से दो दिन पहले राजभवन पहुंचे इस नोटिस को देख राज्यपाल के कार्यालय ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है. साथ ही जिला प्रशासन को नोटिस भेजने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं तकरीबन एक साल में गवर्नर को नोटिस भेजने का यह दूसरा मामला है. इससे पहले बदायूं की एसडीएम कोर्ट ने राज्यपाल को पेश होने का नोटिस जारी कर दिया था.

दो दिन पहले यानी 11 दिसंबर को मलिहाबाद तहसील से एक नोटिस स्पीड पोस्ट से राज भवन पहुंचा था. 12 दिसंबर को राजभवन ने इस नोटिस को खारिज करते हुए फटकार लगाई. तहसील प्रशासन को चेतावनी दी और कहा कि, यह शरारत दोबारा न हो. राजभवन कार्यालय की ओर से धारा 361 के तहत कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं. राजभवन से नोटिस खारिज होने के बाद तहसील भेजे गए पत्र को देख तहसील प्रशासन के होश उड़ गए.

मलिहाबाद के तहसीलदार विकास सिंह के मुताबिक, यह नोटिस हाथ से तैयार किया गया है. इतना ही नहीं नोटिस की भाषा शैली भी अलग है. माना जा रहा है कि इसे किसी ने जानबूझकर साजिश के तहत राजभवन भेजा है. इस पूरे मामले की जांच की जा रही है.

तहसीलदार के मुताबिक, राजभवन भेजी गई नोटिस में मीरा पाल बनाम उत्तर प्रदेश सरकार से जुड़े केस का उल्लेख है, जो बेदखली का मामला है. इतना ही नहीं इस नोटिस में तहसीलदार कोर्ट के पेशकार गंगाराम का साइन है. फिलहाल इस नोटिस को तहसीलदार प्रशासन ने फर्जी करार देते हुए जांच के आदेश किए हैं. नोटिस में लिखी गई हैंडराइटिंग का सभी पेशकार से मिलान कराया जाएगा. गौरतलब है कि भारतीय संविधान के मुताबिक देश के राष्ट्रपति, राज्यपाल को संरक्षण दिया गया है. संवैधानिक पदों पर बैठे राष्ट्रपति और राज्यपाल के विरुद्ध किसी भी न्यायालय में कोई भी कार्रवाई नहीं की जा सकती.

सालभर में दूसरा मामला: राज्यपाल को नोटिस भेजने का या दूसरा मामला है. इससे पहले 2023 में बदायूं के एसडीएम न्यायिक कोर्ट से महामहिम राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के नाम नोटिस जारी कर दिया था. साथ ही 18 अक्टूबर को एसडीएम कोर्ट में अपना पक्ष रखने को हाजिर होने का आदेश दिया था. तब भी विधि व्यवस्था के नजर अंदाज होने के बाद राजभवन की ओर से चेतावनी जारी की गई थी. (-बदायूं की यह खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें.)

ये भी पढ़ेंः यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती; फिजिकल टेस्ट-डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन की तारीख घोषित, इस दिन एडिमट कार्ड होंगे डाउनलोड

Last Updated : Dec 14, 2024, 12:30 PM IST
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