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डायरिया से होने वाली मौतों के आंकड़ों को जान चौंक जाएंगे आप, रोकथाम के लिए शुरू हो रहा ये अभियान - Stop Diarrhea Campaign

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 27, 2024, 3:46 PM IST

Stop Diarrhea Campaign, राजस्थान में हर साल 3900 से अधिक बच्चों की मौत डायरिया से होती है. ऐसे में अब मौतों की रोकथाम के लिए चिकित्सा विभाग की ओर से स्टॉप डायरिया अभियान शुरू किया जा रहा है. इस अभियान का आगाज एक जुलाई से होगा.

Stop Diarrhea Campaign
रोकथाम के लिए शुरू हो रहा अभियान (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर. डायरिया यानी दस्त से होने वाली मौतों की रोकथाम के लिए चिकित्सा विभाग आगामी 1 जुलाई से स्टॉप डायरिया अभियान की शुरुआत करने जा रहा है. चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बताया कि देश में 5 साल तक के करीब 5.8 प्रतिशत बच्चों की मौत का कारण डायरिया है. हमारा लक्ष्य है कि डायरिया से होने वाली मौत आने वाले समय में शून्य हों. इस उद्देश्य से भारत सरकार के निर्देशानुसार प्रदेश में भी डायरिया पर प्रभावी रोकथाम के लिए 1 जुलाई से 31 अगस्त तक स्टॉप डायरिया अभियान चलाया जाएगा.

सभी संबंधित विभाग माइक्रो प्लानिंग और पूर्ण समन्वय के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन कर इस अभियान को सफल बनाएं. सिंह ने स्वास्थ्य भवन में स्टॉप डायरिया अभियान 2024 की पूर्व तैयारियों की समीक्षा भी की. उन्होंने कहा कि डायरिया नियंत्रण में राजस्थान की स्थिति राष्ट्रीय औसत व अन्य राज्यों से बेहतर है, लेकिन अभी भी प्रदेश में हर साल 3900 से अधिक बच्चों की मृत्यु डायरिया से होना चिंताजनक है. आगामी दो माह मौसमी और जलजनित बीमारियों की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण हैं. इसे देखते हुए संबंधित सभी विभाग समग्र व समन्वित रूप से तैयारियां सुनिश्चित करें. हमारा यही लक्ष्य हो कि प्रदेश में एक भी बच्चे की मौत डायरिया से नहीं हो.

इसे भी पढ़ें - राजस्थान के झालावाड़ में डायरिया का 'विस्फोट', 24 घंटे में करीब 35 बच्चे अस्पताल में भर्ती

संवेदनशील वर्गों व क्षेत्रों पर रहे विशेष फोकस : अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि डायरिया से अधिकांश मौतें आर्थिक व सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों, कच्ची बस्ती, पिछडे़ क्षेत्रों, बाढ़ या सूखाग्रस्त आदि इलाकों में सामने आती हैं. ऐसे संवेदनशील वर्गों एवं क्षेत्रों को चिन्हित कर वहां विशेष फोकस के साथ डायरिया रोकथाम गतिविधियों का संचालन किया जाए. श्रीमती सिंह ने कहा कि स्कूलों में शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ ही बच्चों को डायरिया से बचाव को लेकर जागरूक किया जाए. विद्यालयों में डायरिया के प्रति जागरूकता के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाए.

जनसहभागिता जरूरी : सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समितियों का भी स्टॉप डायरिया अभियान में सहयोग लिया जाए. साथ ही, एनजीओ, स्वयं सहायता समूहों, सोशल एक्टिविस्ट सहित अधिकाधिक जनसहभागिता बढ़ाते हुए इस अभियान को सफल बनाएं. उन्होंने कहा कि जलदाय विभाग मानसून के दौरान पाइपलाइनों में लीकेज के कारण दूषित जल की समस्या का यथासम्भव समाधान करें. ऐसे जल स्रोत जिनका पानी दूषित होने की आशंका रहती है, वहां से जल का उपयोग नहीं किए जाने के उपाय सुनिश्चित करें. साथ ही, पेयजल के नमूने लेकर नियमित रूप से जांच की जाए.

इसे भी पढ़ें - Udaipur Food Poisoning : फूड प्वाइजनिंग से कई छात्राएं बीमार, पालक की सब्जी में कीड़े का आरोप

ओआरएस व जिंक टेबलेट की रखें पर्याप्त उपलब्धता : अतिरिक्त मुख्य सचिव ने राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन को ओआरएस एवं जिंक टेबलेट की समुचित व्यवस्था रखे जाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि आशा एवं एनएनएम के माध्यम से घर-घर तक इनका वितरण करवाया जाए. चिकित्सा संस्थानों में डायरिया के उपचार के लिए माकूल प्रबंध हों. आमजन में डायरिया से बचाव को लेकर व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित किया जाए. साथ ही, सभी भागीदार विभागों एवं संस्थाओं को आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया जाए.

जयपुर. डायरिया यानी दस्त से होने वाली मौतों की रोकथाम के लिए चिकित्सा विभाग आगामी 1 जुलाई से स्टॉप डायरिया अभियान की शुरुआत करने जा रहा है. चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बताया कि देश में 5 साल तक के करीब 5.8 प्रतिशत बच्चों की मौत का कारण डायरिया है. हमारा लक्ष्य है कि डायरिया से होने वाली मौत आने वाले समय में शून्य हों. इस उद्देश्य से भारत सरकार के निर्देशानुसार प्रदेश में भी डायरिया पर प्रभावी रोकथाम के लिए 1 जुलाई से 31 अगस्त तक स्टॉप डायरिया अभियान चलाया जाएगा.

सभी संबंधित विभाग माइक्रो प्लानिंग और पूर्ण समन्वय के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन कर इस अभियान को सफल बनाएं. सिंह ने स्वास्थ्य भवन में स्टॉप डायरिया अभियान 2024 की पूर्व तैयारियों की समीक्षा भी की. उन्होंने कहा कि डायरिया नियंत्रण में राजस्थान की स्थिति राष्ट्रीय औसत व अन्य राज्यों से बेहतर है, लेकिन अभी भी प्रदेश में हर साल 3900 से अधिक बच्चों की मृत्यु डायरिया से होना चिंताजनक है. आगामी दो माह मौसमी और जलजनित बीमारियों की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण हैं. इसे देखते हुए संबंधित सभी विभाग समग्र व समन्वित रूप से तैयारियां सुनिश्चित करें. हमारा यही लक्ष्य हो कि प्रदेश में एक भी बच्चे की मौत डायरिया से नहीं हो.

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संवेदनशील वर्गों व क्षेत्रों पर रहे विशेष फोकस : अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि डायरिया से अधिकांश मौतें आर्थिक व सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों, कच्ची बस्ती, पिछडे़ क्षेत्रों, बाढ़ या सूखाग्रस्त आदि इलाकों में सामने आती हैं. ऐसे संवेदनशील वर्गों एवं क्षेत्रों को चिन्हित कर वहां विशेष फोकस के साथ डायरिया रोकथाम गतिविधियों का संचालन किया जाए. श्रीमती सिंह ने कहा कि स्कूलों में शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ ही बच्चों को डायरिया से बचाव को लेकर जागरूक किया जाए. विद्यालयों में डायरिया के प्रति जागरूकता के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाए.

जनसहभागिता जरूरी : सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समितियों का भी स्टॉप डायरिया अभियान में सहयोग लिया जाए. साथ ही, एनजीओ, स्वयं सहायता समूहों, सोशल एक्टिविस्ट सहित अधिकाधिक जनसहभागिता बढ़ाते हुए इस अभियान को सफल बनाएं. उन्होंने कहा कि जलदाय विभाग मानसून के दौरान पाइपलाइनों में लीकेज के कारण दूषित जल की समस्या का यथासम्भव समाधान करें. ऐसे जल स्रोत जिनका पानी दूषित होने की आशंका रहती है, वहां से जल का उपयोग नहीं किए जाने के उपाय सुनिश्चित करें. साथ ही, पेयजल के नमूने लेकर नियमित रूप से जांच की जाए.

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ओआरएस व जिंक टेबलेट की रखें पर्याप्त उपलब्धता : अतिरिक्त मुख्य सचिव ने राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन को ओआरएस एवं जिंक टेबलेट की समुचित व्यवस्था रखे जाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि आशा एवं एनएनएम के माध्यम से घर-घर तक इनका वितरण करवाया जाए. चिकित्सा संस्थानों में डायरिया के उपचार के लिए माकूल प्रबंध हों. आमजन में डायरिया से बचाव को लेकर व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित किया जाए. साथ ही, सभी भागीदार विभागों एवं संस्थाओं को आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया जाए.

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