गिरिडीहः चार माह पूर्व सड़क के अभाव में एक आदिवासी महिला की जान उस वक्त चली गई जब उसे प्रसव पीड़ा हुई और एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी. सड़क से गांव की दूरी अधिक थी एम्बुलेंस पहुंची नहीं. कंधे पर महिला सीतामुनि को लादकर घरवाले, गांव के लोग टेसाफूली पहुंचे फिर एम्बुलेंस आई और चेरीबेडा ( डुमरी प्रखंड के छछंदो पंचायत ) निवासी बबलू मुर्मू की पत्नी सीता को डुमरी रेफरल अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन सीतामुनि बची नहीं.
बता दें कि घटना के बाद पूरे मामले की जानकारी ईटीवी भारत के संवाददाता को लगी. प्रमुखता से यहां की पीड़ा और सीता की पीड़ादायक मौत की खबर को प्रकाशित किया गया. खबर प्रकाशित होने के बद जानकारी इस क्षेत्र की विधायक सह मंत्री बेबी देवी के साथ जिलाधिकारी नमन प्रियेश लकड़ा को भी लगी. बेबी देवी के पुत्र के अलावा भाजपा नेता भी यहां पहुंचे. मंत्री पुत्र राजू ने पूरी स्थिति से बेबी देवी को अवगत कराया तो मंत्री ने सड़क बनाने की अनुशंसा भी की. जिलाधिकारी के स्तर से योजना तैयार हुई और अंततः चार माह के अंदर यहां की सड़क स्वीकृत हो गई.
सड़क को स्वीकृति दिलवाने में यहां की विधायक सह मंत्री बेबी देवी के अलावा जिलाधिकारी नमन प्रियेश लकड़ा ने काफी प्रयास किया. गिरिडीह के डीसी ने बताया कि मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत यह सड़क बनेगी. टेसाफुल्ली से लेकर चोरीबेडा ( चेरीबेडा ) तक पथ का निर्माण कार्य होगा. जिसकी लागत 99.884 लाख ( लगभग एक करोड़ ) रहेगी. यह सड़क एक किमी तक बनेगी. डीसी ने ईटीवी भारत को भी धन्यवाद दिया. कहा कि जन समस्या को प्रशासन व सरकार के समक्ष लाना बेहतर कार्य है. इससे प्रशासन को लोगों की तकलीफ की जानकारी मिलती है और फिर समस्या को हल करने का प्रयास किया जाता है.
ये भी पढ़ेंः
सीतामुनि की मौत के बाद जागी सरकार, मंत्री ने की चारुबेडा गांव में सड़क बनाने की अनुशंसा
टूटी सड़क, फूटी किस्मत और दर्द से कराहते मौत! इस गांव की यही है कहानी