लखनऊ : अमेरिका के शिकागो में पले-बढ़े और वहां के इलिनोइस विश्वविद्यालय से न्यूरो सर्जरी में डिग्री हासिल करने के बाद एक मेधावी युवा को धर्म और अध्यात्म का मार्ग आकर्षित करने लगता है. जिसके बाद वह युवा स्वामीनाथ संप्रदाय से जुड़ता है और मानव कल्याण के लिए वैराग्य के मार्ग पर चल पड़ता है. इस युवा का नाम है 'अखंड स्वामी'. अखंड स्वामी ने सत्य के सार की तलाश में खुद को विभिन्न संस्कृतियों के साथ जोड़ने का प्रयास किया. हालांकि उन्हें भारत आने पर ही वह उत्तर मिले, जिनकी वह लंबे समय से तलाश कर रहे थे. उन्होंने प्राचीन भारत के भक्ति रहस्यवाद को सीखा. मानवता के लिए उनका संदेश सीधा और गहरा है, जो उनके ज्ञान की गहराई को दर्शाता है.
अखंड स्वामी लोगों को आध्यात्मिकता और हिंदू दर्शन के बारे में सिखाने और प्रेरित करने के लिए एशिया, यूरोप और अमेरिका के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करते हैं. वह विगत लगभग 13 वर्ष से भारत में समातन के प्रचार-प्रसार और मानवता के लिए काम कर रहे हैं. अखंड स्वामी तनाव से मुक्त दुनिया की कल्पना करते हैं, जहां मानवता आध्यात्मिकता और पारस्परिक सम्मान के धागों से बंधी हुई शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में पनपती है. शनिवार को अखंड स्वामी भारत भ्रमण की अपनी यात्रा के दौरान लखनऊ में थे. इस दौरान हमने उनसे तमाम विषयों पर बात की. अखंड स्वामी कहते हैं कि हम जो भी करते हैं, वह भगवान की इच्छा से ही होता है. हमें शिकागो से भारत आए 13 वर्ष हो चुके हैं. वह सनातन की रक्षा और संवर्धन के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देना चाहते हैं. हमने अखंड स्वामी से पूछा कि ऐसा माना जा रहा है कि पिछले कुछ वर्षों में देश और दुनिया में हिंदुत्व की छवि बदली है, इसे आप कैसे देखते हैं? इस पर वह कहते हैं 'हमारा सनातन धर्म हमें यही सिखाता है कि सबके अंदर भगवान को देखना चाहिए. हिंदू वसुधैव कुटुंबकम की धारणा पर चलता है. यह एक ऐसा दर्शन है, जो सबको अपने धर्म में समाहित कर लेता है.'
पिछले 10 वर्ष में भारत की राजनीति में बहुत बदलाव हुए हैं. लोग आरोप लगाते हैं कि देश में धर्म की राजनीति भी होने लगी है. आप इसे कैसे देखते हैं? इस सवाल पर अखंड स्वामी कहते हैं 'यह सही बात है कि आज सनातनी जाग्रत हुए हैं. यह जागरूकता बहुत जरूरी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सनातन के लिए जो भी कर रहे हैं, वह बहुत ही सराहनीय है.' हिंदुओं में तमाम संप्रदाय और पंथ होते हैं. क्या हिंदू इसी के कारण कभी एका नहीं हो पाता? इस पर वह करते हैं 'जिस प्रकार भगवान शिव और नारायण एक हैं. ठीक उसी प्रकार हिंदू भी अलग-अलग पंथ और संप्रदाय होने के बावजूद भी एक ही हैं.' देखिए पूरी बातचीत.