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ETV BHARAT AMRIT : कई सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी सिद्धिदात्री की नवमी को होती है पूजा - Chaitra Navratri 2024

Chaitra Navratri 2024, नवरात्र के नौवें दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है. एकाग्र मन से मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से विवेक की प्रप्ति होती है और परिवार में खुशहाली आती है. छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानते हुए कन्या पूजन का विशेष विधान है.

Worship of Maa Siddhidatri
Worship of Maa Siddhidatri
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 17, 2024, 8:25 AM IST

बीकानेर. नवरात्र की नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है. मां सिद्धिदात्री की एकाग्रचित्त होकर पूजा आराधना करने से मां प्रसन्न होकर सिद्धियां प्रदान करती हैं. मां सिद्धिदात्री को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है. देवी सिद्धिदात्री की नवमी तिथि को पूजा से सभी कष्ट स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं.

सफेद और लाल कमल के फूल प्रिय : पंचागकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि देवी सिद्धिदात्री को सफेद कमल के पुष्प और लाल कमल के पुष्प अति प्रिय है. मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना में इनका प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा नैवेद्य में खीर मालपुआ हलवे का भोग लगाने से परिवार में खुशहाली रहती है.

चार भुजाओं वाली देवी कमल आसन पर विराजित : किराडू ने बताया कि मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं के साथ कमल पर विराजमान हैं, जिसमें वो गदा, कमल, शंक और सुदर्शन चक्र के साथ विराजित हैं. उन्होंने बताया कि पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करने पर अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है. गंधर्व किन्नर, नाग, यक्ष और मनुष्य सभी को मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त है. मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना में कमल के फूल का प्रयोग अत्यंत ही उत्तम माना जाता है.

इसे भी पढ़ें- ETV BHARAT AMRIT : आज है दुर्गाष्टमी, नवरात्र के आठवें दिन देवी महागौरी की होती पूजा - Chaitra Navratri 2024

कन्या भोज का विशेष विधान : किराडू ने बताया कि शास्त्रों में इसका उल्लेख है कि देवी सिद्धिदात्री की आराधना और तपस्या स्वयं भगवान भोलेनाथ ने भी की थी. भगवान शिव की तपस्या से देवी सिद्धिदात्री बहुत ही प्रसन्न हुई थी. इसी के बाद भगवान शिव और देवी पार्वती का अर्द्धनारीश्वर का रूप प्रचलन में आया. उन्होंने बताया कि 9 दिनों तक भगवती देवी के नौ स्वरूपों की पूजा आराधना व अनुष्ठान के बाद नौवें दिन 10 वर्ष से कम आयु की 9 कन्या को भोजन कराएं. इनके साथ में एक नन्हें बालक को बटुक भैरव का स्वरूप मानते हुए भोजन अवश्य कराए.

दांपत्य जीवन से तनाव दूर : नवरात्र की नवमी के दिन स्नान के बाद गणपति की पूजा करें और मां दुर्गा की तस्वीर के समक्ष दो मुखी घी दीपक लगाकर मां सिद्धिदात्री का स्मरण करें. इसके साथ ही उन्हें कुमकुम, सिंदूर और लाल फूल आदि चढ़ाएं. उसके बाद 108 बार ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: मंत्र का जाप करें. ऐसी मान्यता है कि इससे वैवाहिक जीवन में सुख का आगमन होता है. पति-पत्नी के बीच चल रहा तनाव भी दूर होता है.

बीकानेर. नवरात्र की नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है. मां सिद्धिदात्री की एकाग्रचित्त होकर पूजा आराधना करने से मां प्रसन्न होकर सिद्धियां प्रदान करती हैं. मां सिद्धिदात्री को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है. देवी सिद्धिदात्री की नवमी तिथि को पूजा से सभी कष्ट स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं.

सफेद और लाल कमल के फूल प्रिय : पंचागकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि देवी सिद्धिदात्री को सफेद कमल के पुष्प और लाल कमल के पुष्प अति प्रिय है. मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना में इनका प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा नैवेद्य में खीर मालपुआ हलवे का भोग लगाने से परिवार में खुशहाली रहती है.

चार भुजाओं वाली देवी कमल आसन पर विराजित : किराडू ने बताया कि मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं के साथ कमल पर विराजमान हैं, जिसमें वो गदा, कमल, शंक और सुदर्शन चक्र के साथ विराजित हैं. उन्होंने बताया कि पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करने पर अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है. गंधर्व किन्नर, नाग, यक्ष और मनुष्य सभी को मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त है. मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना में कमल के फूल का प्रयोग अत्यंत ही उत्तम माना जाता है.

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कन्या भोज का विशेष विधान : किराडू ने बताया कि शास्त्रों में इसका उल्लेख है कि देवी सिद्धिदात्री की आराधना और तपस्या स्वयं भगवान भोलेनाथ ने भी की थी. भगवान शिव की तपस्या से देवी सिद्धिदात्री बहुत ही प्रसन्न हुई थी. इसी के बाद भगवान शिव और देवी पार्वती का अर्द्धनारीश्वर का रूप प्रचलन में आया. उन्होंने बताया कि 9 दिनों तक भगवती देवी के नौ स्वरूपों की पूजा आराधना व अनुष्ठान के बाद नौवें दिन 10 वर्ष से कम आयु की 9 कन्या को भोजन कराएं. इनके साथ में एक नन्हें बालक को बटुक भैरव का स्वरूप मानते हुए भोजन अवश्य कराए.

दांपत्य जीवन से तनाव दूर : नवरात्र की नवमी के दिन स्नान के बाद गणपति की पूजा करें और मां दुर्गा की तस्वीर के समक्ष दो मुखी घी दीपक लगाकर मां सिद्धिदात्री का स्मरण करें. इसके साथ ही उन्हें कुमकुम, सिंदूर और लाल फूल आदि चढ़ाएं. उसके बाद 108 बार ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: मंत्र का जाप करें. ऐसी मान्यता है कि इससे वैवाहिक जीवन में सुख का आगमन होता है. पति-पत्नी के बीच चल रहा तनाव भी दूर होता है.

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